11 लाख करोड़ बट्टे खाते में

रेवड़ी की तरह खा गए बैंकों में जमा धन डकैत उद्योगपति

नई दिल्ली (ब्यूरो)। सरकार ने संसद में बैंकों के डूबत ऋण की जानकारी देते हुए बताया कि पिछले वर्ष जहां 1,75,876 लाख करोड़ रुपए बट्टे खाते में डाले गए थे, वहीं इस बार राशि कम होकर 1,31,894 करोड़ रही। यह वह राशि है जो उद्योगपतियों को ऋण के रूप में दी थी, जिसकी वसूली नहीं हो सकी है। वित्त मंत्री ने बताया कि बैंकों का एनपीए घट रहा है। दूसरी ओर बैंक डूबत ऋण बट्टे खाते में डालकर अपनी बैलेंस शीट को साफ कर रही है। कुल सात साल में 11 लाख करोड़ रुपए मोदी सरकार ने बट्टे खाते में डाल दिए है।
वित्ती मंत्री द्वारा कल लोकसभा में दी गई जानकारी के बाद सारे आंकड़े सामने आ रहे हैं। जहां बैंक अब डूबत ऋण को अपने खातों से अलग हटाकर बैलेंस शीट साफ कर रही है। दूसरी ओर यह बताया जा रहा है कि मनमोहन सिंह के कार्यकाल में डूबत ऋण 11.97 प्रतिशत थे, जो अब घटकर 31 मार्च 2021 को 9.11 प्रतिशत तक आ गए हैं। इन सात सालों में मोदी सरकार में 7.94 लाख करोड़ रुपए बट्टे खाते में डाल दिए गए है। यह राशि कुल मिलाकर 7 साल के कार्यकाल में 11 लाख करोड़ से ज्यादा होने जा रही है। न्यूज वेब पोर्टल मल्टी पर्पस नालेज ने इस रिपोर्ट की पड़ताल करते हुए बताया कि सरकारी बैंकों के डूबत ऋण के आंकड़े अभी भी पूरी तरह से स्पष्ट नहीं है। दूसरी ओर सरकार पेट्रोल-डीजल की कीमतों पर टैक्स लगाकर इस भरपाई को पूरा करने के लिए आम आदमी पर पिछले दो साल में तीन लाख करोड़ से ज्यादा का टैक्स वसूल कर चुकी है। जबकि अभी कच्चे तेल के भाव कम है, इसके बाद भी रियायत नहीं मिल रही है।
मनमोहन सिंह के 10 साल में 2 लाख 20 हजार करोड़ बट्टे खाते में
नई दिल्ली। यूपीए सरकार के प्रधानमंत्री रहे मनमोहन सिंह के कार्यकाल में भी डूबत ऋण थे। 2009 से 2015 से 1,45,226 हजार करोड़ रुपए डूबत ऋण में डाले गए थे। 10 साल के कार्यकाल में कुल 2 लाख 20 हजार करोड़ रुपए बैंकों के डूबत खाते में डाले गए। यानी हर साल 18 हजार करोड़ रुपए ही बैंकों के डूबत खाते में डाले गए थे, जबकि मोदी सरकार में हर साल यह आंकड़ा सवा लाख करोड़ से ज्यादा के ऋण डूबत खाते में डाले जा रहे हैं।

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