उज्जैन रोड़ पर गोदरेज की टाउनशिप को लेकर कई सवाल

कंपनी का कहना है हमने कोई बुकिंग नहीं की, दलालों को दी राशि से हमारा कोई लेनादेना नहीं

Many questions regarding Godrej township on Ujjain road
Many questions regarding Godrej township on Ujjain road

इंदौर। पिछले एक माह से सांवेर रोड़ पर विकसित की जा रही टाउनशिप गोदरेज के नाम पर पूरे शहर में इन दिनों सोशल मीडिया के माध्यम से एक हजार वर्गफीट के प्लाट ६० लाख में और १५०० वर्गफीट के प्लाट ७५ लाख में बुक किए जा रहे हैं। इधर अभी केवल गोदरेज की टाउनशिप को विकास अनुमति मिली है। दलाल लाखों रुपये के चेक कंपनी के नाम पर और कुछ जगह नकद एकत्र कर रहे हैं। इधर कंपनी का कहना है कि जब तक रेरा से स्वीकृति नहीं होगी तब तक हम किसी भी प्रकार के भूखंड की बुकिंग नहीं कर रहे हैं। जो भी दलालों को इन भूखंडों के नाम पर चेक या नकद राशि दे रहे हैं वे अपनी मर्जी से ही दे रहे होंगे। अभी रेरा से नक्शा ही स्वीकृत नहीं हुआ है। वही बिना रेरा की अनुमति के सुपर कोरिडोर पर भी एक बड़ी कंपनी की टाउनशिप पिछले दो साल से स्वीकृत के अपने भूखंड बेच चुकी है। यहां पर भी बड़ी तादाद में लोग उलझे हुए हैं।

इन दिनों शहर में कई नामी कंपनियां अपने नाम से टाउनशिप विकसित करने के लिए उतर रही है और बिना किसी डेवलपमेंट व पूर्णता के भूखंड बेचना भी प्रारंभ कर रही है। सारे नियम कानून और रेरा को धत्ता बताते हुए इन भूखंडों की राशि खुले खाते में एकत्र की जा रही है। उल्लेखनीय है कि पूर्व कलेक्टर के कार्यकाल में इसी प्रकार से डायरियों पर बिना रेरा अनुमति के भूखंड बेचने वाले दलालों पर बड़ी कार्रवाई की गई थी। वहीं आशीष सिंह के कार्यकाल में भी उज्जैन रोड़ पर केनोपी लगाकर बिना रेरा के भूखंड बेचने वालों पर बड़ी कार्रवाई करते हुए कई दलालों पर मुकदमे दर्ज किए गए थे। अब फिर से केनोपी के बजाए सोशल मीडिया पर खुले खाते में भूखंड बेचे जा रहे हैं। भूखंड बेचने वाले दावा कर रहे हैं कि रेरा से उन्हें अगले कुछ ही दिनों में अनुमति मिल जाएगी। जबकी विकास अनुमति आने के बाद ही बाकी प्रक्रिया शुरु होती है।

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यह पहला मामला इंदौर में देखा जा रहा है जिसमे बिना रेरा की अनुमति में दलालों द्वारा खुले खाते में सोशल मीडिया के माध्यम से राशि एकत्र की जा रही है। यहां यह उल्लेखनीय है कि इससे बड़ी एक ओर टाउनशिप जो राष्ट्रीय स्तर की जमीन कारोबार करने वाली कंपनी द्वारा सुपर कोरिडोर पर बनाई जा रही थी सारे दस्तावेजों के बाद भी पिछले दो साल से रेरा की अनुमति नहीं ला पाये हैं। मजेदार बात यह है कि ७० प्रतिशत राशि प्लाट होल्डरों से लेने के बाद कंपनी ने इन्वेस्र्टर समिट में इंट्रीग्रेटेड टाउनशिप के नाम पर मंत्री के साथ नया करार दिखाया है। इधर कंपनी को जिन्होंने पैसे दे रखे है वे भी अपने पैसों की वापसी नहीं कर पा रहे हैं। इसका मुख्य कारण यह है कि जिन दलालों के माध्यम से सुपर कोरिडोर पर भूखंड खरीदे गये थे कंपनी ने उनकी दलाली देकर उन्हें बाहर कर दिया है। इधर यही स्थिति यहां पर भी रहेगी जहां कंपनी पहला भुगतान लेते ही दलालों को इस टाउनशिप से मुक्त कर देगी। गोदरेज कंपनी की तरफ से अभी तक किसी भी प्रकार का आश्वासन नहीं दिया गया है ना ही कंपनी के लोग सीधे बातचीत कर रहे हैं केवल नक्शा शहर में घूम रहा है। कंपनी की ओर से कहा जा रहा है कि गोदरेज कंपनी द्वारा किसी भी प्रकार से भूखंडों के नंबर के साथ भूखंड बुक नहीं किए जा रहे हैं यह कंपनी तय करेगी कि किसे कौन सा भूखंड रेरा अनुमति के बाद दिया जा सकेगा। जो भी हो शहर में गोदरेज टाउनशिप के नाम पर करोड़ो रुपये के चेक तेजी से जमा कराये जा रहे हैं।

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