एमआर-11 का काम रुका, पौने दो सौ करोड़ की जमीन पर डिक्री करवाने वाला पूजारी लापता
बेशकिमती जमीन पर जादुगरों ने किया कब्जा बनाई गौशाला और मंदिर...

इंदौर। एमआर-१२ के निर्माण के सारे प्रयास होने के बाद भी अभी तक इस मार्ग के निर्माण को रफ्तार नहीं मिल पा रही है इसका मूल कारण कई जगह अवैध कब्जे तो है ही वहीं प्रस्तावित सड़क पर भी अवैध कॉलोनियां काटी जा चुकी है इधर बायपास से एबी रोड़ से उज्जैन मार्ग को जोडऩे के लिए प्रस्तावित एमआर ११ का निर्माण भी अब ठंडे बस्ते में चला गया है जबकि प्राधिकरण द्वारा दावा किया जा रहा था कि इस मार्ग के निर्माण में कोई बाधा नहीं है। भूअर्जन की आवश्यकता भी नहीं रहेगी परंतु इसी मार्ग पर सबसे बड़ी बाधा लसुडिय़ा मोरी की चार एकड़ भूमि हो गई है इस भूमि पर पुजारी के नाम पर अदालत से डिक्री करवाई जा चुकी है। अब १५५ करोड़ रुपये की कीमत वाली इस जमीन पर बड़े खेल की तैयारी कुछ जमीन के कारोबारी कर रहे हैं। जबकि यह जमीन जिन दस्तावेजों पर पुजारी के नाम पर की जा रही है उसमे कई खामियां है।
एबी रोड़ को बायपास से मिलाने वाली कांकड़ जो मास्टर प्लान का प्रमुख मार्ग एमआर-११ है में राम लसुडिय़ा स्थित शासकीय भूमि सर्वे नं. ४५/२ जिसका रकबा ४ एकड़ है। यह मार्ग और भूमि का उपयोग मास्टर प्लान २०२१ में मार्ग बताया गया $है। इस चार एकड़ जमीन पर दशम व्यवहार न्यायाधीश इंदौर के न्यायालय में बाबा पूजनदास उदासी पिता हरनामसिंह निवासी लसुडिय़ा के कब्जे के आधार पर भूमि स्वामी घोषित करने के लिए प्रकरण दायर किया गया था। शासन की ओर से पैरवी न होने के बाद यह जमीन २९-९-२००५ को बाबा पूजनदास के नाम पर चढ़ा दी गई। पूजनदास के आम मुख्तियार नामे के आधार पर जमीन भगतराम पिता बूटाराम जुनेजा जिनके पास एबी रोड़ पर कई जमीनें है। ने तहसील न्यायालय में २०१० में अपने नाम चढ़वाने के लिए आवेदन भी प्रस्तुत किया था। तहसील न्यायालय में प्रकरण का परीक्षण करने पर यह पाया गया कि नामांतरण के आवेदन में ना तो मुख्तिायार नामे का उल्लेख है ना ही बाबा पूजनदास द्वारा कोई मुख्तियार नामा प्रस्तुत किया गया $है।
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आश्चर्य की बात यह भी है कि प्रकरण की सुनवाई तक डिक्रीधारी बाबा पूजनदास एक बार भी अदालत के समक्ष उपस्थित नहीं हुआ इसके चलते आवेदन निरस्त कर दिया गया। २००५ में डिक्री पारित होने के पूर्व से ही बाबा पूजनदास लापता हो गया है। इसी जमीन के आसपास रहने वाले कुछ लोगों का कहना है कि जमीन पर कब्जे के मामले में बाबा की हत्या भी हो सकती है। क्योंकि मुख्तियार नामें को लेकर विवाद भी चल रहा था। अब मौके पर १.६५ हेक्टेयर जमीन पर मंदिर के साथ में गौशाला का निर्माण भी करते हुए इसे हथियाने के प्रयास किए जा रहे हैं। इस भूमि पर कब्जा दिखाने के लिए चार पांच बड़े टीन शेड भी बनाकर मूर्ति स्थापित कर दी गई है। आसपास के लोगों ने कभी बाबा पूजनदास को यहां नहीं देखा है। इस मामले में कलेक्टर को भी दस्तावेजों के साथ शिकायत करते हुए यह बताया गया है कि बाबा पूजनदास नाम का कोई आदमी इस क्षेत्र में नहीं है और मुख्तियारनामा भी फर्जी है। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि १७५ करोड़ की बेशकीमती जमीन को हथियाने में शहर के कौन से जमीन के खिलाड़ी पीछे से खेल, खेल रहे हैं।