किराने की 12 लाख दुकानें बंद
शहरी क्षेत्र में 10 प्रतिशत, ग्रामीण क्षेत्र में 13 प्रतिशत ने सामान समेटा
मुंबई (ब्यूरो)। देशभर में 8 साल के अंदर लगभग 12 लाख किराने की दुकानें बंद हो गई है, जबकि 2010-11 में इन दुकानों की संख्या में 20 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई थी। मात्र एक साल में ही ग्रामीण क्षेत्र की 56 हजार किराना दुकानों ने अपना कामकाज समेट लिया है। इन दुकानों से लगभग एक करोड़ लोगों के घर चला करते थे। अब वे सभी नए रोजगार की तलाश में हैं।
ऑल इंडिया कन्ज्यूमर प्रोडक्ट डिस्ट्रिब्यूटर्स फेडरेशन एआईसीएडीएफ के अनुसार पिछले साल देशभर में 2 लाख किराना दुकानें बंद हुई थी। इनमें करीब 45 प्रतिशत मेट्रो शहरों की और 30 प्रतिशत टू टियर शहरों की थी। बेडरेशन के अनुसार 2015 से 2023 के बीच देशभर में 9.4 फीसदी किराना दुकानें कम हुई है। इनकी संख्या 11 लाख 50 हजार आंकी गई है।
वर्ष 2022-23 में 56 हजार दुकानें ग्रामीण क्षेत्रों में भी बंद हो गई है। उल्लेखनीय है कि 2015 के पहले तक देशभर में किराना दुकानें तेजी से बढ़ रहीं थीं। बंद होने को लेकर बड़ी वजह ऑन लाइन सामानों की खरीदी है। इस समय जोमेटो, बिग बॉस, अमेजॉन, बिग बास्केट, झेप्टो कम कीमत पर सीधे घरों में मात्र आधे घंटे में सामान पहुंचा रही है। इसके चलते लोग क्विक कॉमर्स से इन दिनों तेजी से सामान खरीद रहे हैं।
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16 शहरों के साढ़े चार हजार ग्राहकों से किए गए सर्वे में पता लगा है कि 31 प्रतिशत लोग अब ऑन लाइन सामान मंगवा रहे हैं। इसके कारण किराना दुकान कारोबार स्पर्धा से तेजी से बाहर होता जा रहा है और ऑन लाइन का कब्जा बढ़ रहा है। उल्लेखनीय है कि सामान मंगाने का कुल 13 ट्रिलियन डॉलर का कारोबार होता है। इसमें से 34 प्रतिशत हिस्सा किराना बाजार का हुआ करता था जो अब तेजी से घटता जा रहा है। इन दुकानों के चलाने वाले अमूनन कम पढ़-लिखे लोग हुआ करते थे। उनके पास गरीब परिवार के लोग नौकरी करते थे। इन किराना दुकानों के बंद होने के चलते 1 करोड़ लोगों के पास छोटे रोजगार समाप्त हो गए हैं वहीं दुकान से पलने वाले परिवार भी नया काम तलाश रहे हैं।