बड़ा फर्जीवाड़ा महंगी शराब बोतलों के बारकोड होलोग्राम में

स्केनकरने पर दूसरे ब्रांड की सस्ती शराब बोतल में होने की जानकारी

Big fraud in barcode hologram of expensive liquor bottles
Big fraud in barcode hologram of expensive liquor bottles

इंदौर।

शराब होलोग्राम को लेकर हुए फर्जीवाड़े का मामला अब सामने आ रहा है। इंदौर, भोपाल संभाग के कई जिलों में शराब दुकानों के कर्मचारियों और ग्राहकों के बीच विवाद की स्थिति भी सामने आ रही है। शराब खरीदने वाले ग्राहकों द्वारा होलोग्राम स्केन करने पर गड़बड़ पाई गई।

जिसके बाद ग्राहकों से कर्मचारियों की बहस हुई। फर्जी बारकोड लगाकर करोड़ों रुपये का खेल विभाग के अधिकारियों द्वारा खेला जा रहा है। महंगे दामों वाली शराब की बोतलों में बारकोड होलोग्राम (एक्साइज एडहेजिव लेवल) के इस फर्जीवाड़े पर अब जांच शुरु हो रही है।

शराब बोतलों पर चस्पा किए जा रहे बारकोड को स्केन किए जाने के बाद बोतल में दूसरे ब्रांड की सस्ती शराब की जानकारी आ रही है। साथ ही इसकी मात्रा भी ९० एमएल ही मिल रही है। इंदौर की लगभग सभी विदेशी शराब दुकानों पर यह खेल जारी है।

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आबकारी आयुक्त को जब कुछ लोगों ने इसकी जानकारी दी तो उन्हें भी आश्चर्य हुआ। इसके बाद अब इस मामले की जांच तीन बिंदुओं पर की जा रही है। शराब बोतलों पर चस्पा ईएएल की पूरी प्रक्रिया की जानकारी देने के लिए संभागीय उपायुक्तों को रिपोर्ट बनाकर देना है। पूरे मामले में आबकारी प्रभारी रीवा जिले में पदस्थ आलोक खरे की भूमिका और मानिटरिंग पर भी सवाल उठ रहे हैं।

इनकी निगरानी के बाद शराब बोतलों में चस्पा होलोग्राम में यह बड़ी गड़बड़ी सामने आई है। आलोक खरे वहीं आबकारी अधिकारी है जिनके विरुद्ध लोकायुक्त पुलिस ने एक साल पहले छापे की कार्रवाई की थी। इस दौरान करोड़ों की नकदी और बेनामी संपत्ति के कागज भी मिले थे।

आश्चर्य की बात यह है कि शिकायत मिलने के बाद भी अभी तक संभागों से किसी भी प्रकार की जांच रिपोर्ट नहीं पहुंची है। सबसे ज्यादा गड़बड़ी इंदौर में की गई है। शराब ठेकेदारों का कहना है कि विभाग के अफसर ही इस काम के लिए जिम्मेदार है फैक्ट्रियों पर कार्रवाई नहीं की जा रही है। साथ ही दुकानों से भी ऐसी शराब बोतलों की जांच किए जाने में ढिलाई बरती जा रही है।

जबकि इस मामले में सराकर को एसआईटी गठित कर जांच करना चाहिए। जब तक विदेशी शराब के स्टोर्स से निरिक्षण कर वहां स्टोर की गई विभिन्न प्रकार की शराब की सैंपलिंग नहीं की जाएगी तब तक बारकोड, होलोग्राम में हुए करोड़ों रुपये के फर्जीवाड़े का मामला सामने नहीं आयेगा।

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