100 से अधिक लोग आवारा कुत्तों का शिकार होकर पहुंच रहे हैं अस्पताल

शहर में 2 लाख की संख्या के पार हो गए हैं आवारा कुत्ते, रेबीज इंजेक्शन शहर में, जांच मुंबई में

इंदौर। शहर में रोजाना 100 से ज्यादा लोग स्ट्रीट डॉग्स का शिकार हो रहे हैं। शहर के सरकारी व निजी अस्पतालों में लगने वाले रेबीज के इंजेक्शन की संख्या बता रही है कि यहां पर स्ट्रीट डॉग बाइट के मामले रोजाना कितने सामने आ रहे हंै। शहर में रेबीज के इंजेक्शन लगाने की व्यवस्था तो है मगर एक भी सेंटर ऐसा नहीं जहां रेबीज की जांच करवाई जा सके। पूरे प्रदेश में रेबीज की जांच कहीं भी नहीं होती है। इसके सेम्पल मुम्बई भेजे जाते हैं।

शहर को मुम्बई का बच्चा शायद इसलिए भी कहते हैं कि यहां से हर रोज रेबीज की जांच के लिए मुंबई जाना पड़ता है या जांच भेजी जाती है। कारण, शहर में रोजाना स्ट्रीट डॉग्स बाइट के 100 से ज्यादा मामले सामने आ रहे हंै। स्वास्थ विभाग के सूत्रों के अनुसार हुकुमचंद पॉली क्लिनिक में 60, निजी अस्पतालों में 30 ईएसआईसी व अन्य केन्द्रों में 10 से 20 स्ट्रीट डॉग बाइट के लोग रेबीज का इंजेक्शन लगवाने पहुंच रहे हैं।

हुकमचंद पॉली क्लीनिक और निजी अस्पतालों के साथ ही कई सरकारी व प्रायवेट केंद्रों में रेबीज का इंजेक्शन लगाने की व्यवस्था है, लेकिन इंदौर सहित प्रदेश में कहीं भी रेबीज की जांच की व्यवस्था नहीं है। इनके संदिग्ध मरीजों की जांच के सैंपल मुंबई भेजने पड़ते हैं। हुकुमचंद पॉली क्लीनिक में प्रतिदिन औसतन डॉग बाइट के 70 से 80 मरीज पहुंच रहे हैं। 20 से 25 लोग निजी अस्पतालों में तो 10 से 15 प्रतिशत अन्य केंद्रों पर एंटी रेबीज टीके लगवाने के लिए इन दिनों पहुंच रहे हैं।

 

सबसे ज्यादा शिकार बच्चे

वहीं बात करें लॉकडाउन के दौरान की तो उस दौरान भी करीब 30 हजार लोगों को स्ट्रीट डॉग ने निशाना बनाया था। हुकमचंद पॉली क्लीनिक के प्रभारी आशुतोष शर्मा ने बताया कि डॉग बाइट का सबसे ज्यादा शिकार बच्चे होते हैं। शहर के बैकवर्ड हिस्से से अधिक केस आते हैं। वैसे तो पूरे शहर से यहां रोजाना रेबीज के इंजेक्शन लगवाने आते हंै मगर ज्यादा संख्या जैसे खजराना, एमआर-10, द्वारकापुरी, चंदन नगर, पालदा, सांवेर रोड औद्योगिक क्षेत्र, बाणगंगा, कुशवाह नगर, समाजवादी इंदिरा नगर, स्कीम नंबर 71 क्षेत्र से केस ज्यादा हैं।

मार्निंग वाकर भी परेशान

रात के अलावा मॉर्निंग वॉकर भी कुत्तों का शिकार बनते हैं। डॉग बाइट की घटना को रोकने के लिए ट्रेंचिंग ग्राउंड और छावनी में डॉग्स नसबंदी के दो सेंटर संचालित किए जा रहे हैं, जहां दिन 60 से 70 कुत्तों की नसबंदी होने का दावा किया जाता है। मगर हकीकत कुछ और बयां कर रही है। वहीं डॉग बाइड की घटनाएं रोकने के लिए ओर लोगों को जागरुक करने की जिम्मेदारी दो एनजीओ को दी गई है। बावजूद इसके स्ट्रीट डॉग्स बाइट के मामले शहर में दिनोंदिन बढ़ते ही जा रहे हैं।

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