डिफाल्ट लोन बढ़कर 1,65,732 करोड़ रुपए हुए

नई दिल्ली (ब्यूरो)। वैश्विक कोरोना महामारी के दो साल में सर्वाधिक मार अर्थव्यवस्था पर पड़ी है जिसमें सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों को ज्यादा प्रभावित किया है। भारतीय रिजर्व बैंक और सरकार की लोन रिस्ट्रकचरिंग और पैकेज की घोषणा के बावजूद भी एमएसएमई सेक्टर का बैड लोन जो सितंबर 2020 में 8.2 प्रतिशत के मुकाबले 17.33 लाख करोड़ के ग्रोस एडवांस का 9.6 प्रतिशत है जो अब बढ़कर 165723 करोड़ रुपए हो गया है।
रिपोर्ट के मुताबिक आरटीआई के जवाब में आरबीआई ने कहा कि एमएसएमई की ग्रोस नॉन परफॉर्मिंग एसेंट (एनपीए) या इन उद्योगों का डिफाल्ट लोन जो सितंबर 2021 तक 20,000 करोड़़ रुपए से बढ़कर अब 1.65,732 करोड़ रुपए हो गया है। सितंबर 2020 में यह आंकड़ा 1,45,673 करोड़ रुपए था। आरबीआई के अनुसार एमएसएमई का बेड लोन सितंबर 2020 में 8.2 प्रतिशत के मुकाबले अब 17.33 लाख करोड़ रुपए के ग्रोस एडवांस का 9.6 प्रतिशत है। सितंबर 2019 में एमएसएमई का बेड लोन 1,47,260 करोड़ रुपए (एडवांस का 8.8 प्रतिशत) से घट गया था। आरबीआई का कहना है कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का एमएसएमई एनपीए में 1,37,087 करोड़ रुपए का बड़ा हिस्सा है। सरकारी बैंकों की बात करें तो पंजाब नेशनल बैंक ने सितंबर 2021 तक 25,893 करोड़ रुपए का एमएसएमी एनपीए था। इसके बाद स्टेट बैंक ऑफ इंडिया में 24,394 करोड़ रुपए, यूनियन बैंक में 22,297 करोड़ रुपए और कैनरा बैंक में 15,299 करोड़ रुपए था। लोन नॉन परफॉर्मिंग एसेट तब में बदलता है जब प्रिंसिपल या इंट्रेस्ट 90 दिनों के बाद ओवरड्यू हो जाता है। आरबीआई ने जनवरी 2019, फरवरी 2020, अगस्त 2020 और मई 2021 में एमएसएमई के लिए चार बार लोन रिस्ट्रक्चरिंग स्कीम की घोषणा की। इसके बाद भी बैड लॉस में वृद्धि हुई। इन योजनाओं के तहत 1,16,332 करोड़ रु. के 24.51 लाख एमएसएमई खातों का रिसट्रकचर किया गया। आरबीआई की ट्रेंड एंड प्रोग्रेस ऑफ बैंकिंग रिपोर्ट के मुताबिक मई 2021 में आरबीआई द्वारा जारी सर्कुलर के तहत 51,467 करोड़ रु. के कर्ज का रिस्ट्रक्चरिंग किया गया था। आरबीआई के अनुसार एक सूक्ष्म इकाई का निवेश एक करोड़ रु. से अधिक नहीं होना चाहिए और कारोबार 5 करोड़ रु. से अधिक नहीं होना चाहिए। छोटी इकाइयों का निवेश 10 करोड़ रु. और कारोबार 50 करोड़ रु. अधिक नहीं होना चाहिए। मध्यम उद्यम का निवेश 50 करोड़ रुपए और टर्नओवर 250 करोड़ रु. से अधिक नहीं होना चाहिए।

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