मुफ्त में बिजली, स्कूटी, लेपटॉप, मोबाइल की चुुनावी घोषणा के लिए चाहिए चार लाख करोड़़

पेट्रोल-डीजल की कीमतें बढ़ते ही राज्य सरकारों पर महंगाई की मार का असर दिखाई देने लगेगा

नई दिल्ली (ब्यूरो)। पांच राज्यों के चुनाव समाप्त होने के साथ ही राजनीतिक दलों द्वारा की गई लोक लुभावन घोषणाएं पूरी करने के लिए राज्य सरकारों को चार लाख करोड़ रुपए से ज्यादा का बोझ पड़ेगा। इसेेे कम करने के लिए राज्य सरकारें बहुत जल्द, टोल, बिजली, रजिस्ट्री और कई टेक्स बढ़ाकर पूरा करने का प्रयास करेंगी। यानी आपकी ही जेब से निकला पैसा रेवड़़ी की तरह घोषणाएं पूरी करने के काम आएगा। इस बार मुफ्त बिजली, स्कूटी, पुरानी पेंशन, मोबाइल, लेपटॉप जैसे कई ऐलान किए गए हैं।
लगभग सभी राज्य सरकारें अपने बजट से ज्यादा कर्ज में डूब चुकी है। वहीं दूसरी ओर विद्युत नियामक आयोग ने तुरंत बिजली की दरें बढ़ाने के लिए पत्र लिखे हैं। राज्य सरकारों को बिजली कंपनी के 1 लाख 21 हजार करोड़ रुपए देने बाकी हैं। सरकारों के बजट रिकार्ड घाटे स्तर पर पहुंच चुके हैं। सबसे ज्यादा कर्ज में डूबे राज्यों में उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, राजस्थान, झारखंड और तेलंगाना शामिल हैं। एक ओर जहां भारतीय अर्थव्यवस्था लम्बी मंदी के दौर में है तो दूसरी ओर आने वाली राज्य सरकारों के लिए सिवाय कर्ज लेने के अलावा और कोई रास्ता नहीं है। वहीं दूसरी ओर राज्यों की महंगाई दर में भी उत्तर प्रदेश में 6.71 प्रतिशत की महंगाई सबसे ऊपर बनी हुई है। वहीं दूसरी ओर कुछ ही दिनों में पेट्रोल-डीजल की महंगाई आम लोगों के दरवाजे आने ही वाली है। तेल कंपनियों ने 22 रुपए लीटर भाव तुरंत बढ़ाने को कहा है। दो माह से चुनाव के चलते पेट्रोल-डीजल की कीमतें रुकी हुई थी। वहीं दूसरी ओर रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते रुपये की गिरती कीमत भी कर्ज के बोझ को और बढ़ाएगी।

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