गुस्ताखी माफ़- भाजपा की नई संस्कृति रासलीला और केरेक्टर ढीला…घर बिठाए नेताओं की  नई भाजपा होगी…

भाजपा के वरिष्ठ नेता और पिछले तीस सालों से संगठन के लिए काम करने वाले उमेश शर्मा भी अब भाजपा की आंतरिक राजनीति के शिकार हो रहे हैं। पिछले दिनों उन्होंने एक नियुक्ति को लेकर सोशल मीडिया पर टिप्पणी की थी, परंतु शिकायत के बाद उन्होंने उसे हटाते हुए क्षमा भी मांग ली थी। उधर सोशल मीडिया पर ही इंदौर के प्रभारी भगवानदास सबनानी ने अनर्गल टिप्पणी को लेकर जारी एक पत्र में लिखा कि आपकों शिकायत संगठन के प्लेटफार्म पर करनी थी और मजेदार बात यह है कि नोटिस भेजने वाले भगवानदास सबनानी ने भी इस नोटिस को सोशल मीडिया पर ही जारी किया, यानी तुम करो तो रासलीला और हम करें तो कैरेक्टर ढीला। अब सवाल उठ रहा है कि पिछले तीस सालों से पार्टी के प्रति समर्पित रहने वाले कार्यकर्ता जिस पर पैंतीस से ज्यादा मुकदमे और जेल जाने के मामले भी लगे हुए हैं। ऐसे में जो शिकायत उमेश शर्मा की है, वही शिकायत भंवरसिंह शेखावत से लेकर दीपक जोशी भी कर रहे हैं। आयातित नेताओं को भाजपा में जिस तरीके से अपने कार्यकर्ता को दरकिनार कर सम्मान दिया जा रहा है, वह किसी भी कार्यकर्ता को हजम नहीं हो रहा है। कई दिग्गज नेताओं को उनके ही क्षेत्रों में आयातित नेताओं के सामने याचक बनकर घूमना पड़ रहा है। जब भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष ही अपने कार्यकर्ताओं पर बुलडोजर चला रहे हैं तो फिर पार्टी की आंतरिक स्थिति क्या होगी। भाजपा पार्टी विद डिफरेंस कही जाती थी, जो अब पार्टी विद डिफरेंसेस हो गई है। उधर कार्यकर्ता अपना अस्तित्व बचाने के लिए तीन जगहों पर लड़ाई लड़ रहा है। बीस साल से संगठन में काम कर रहे कार्यकर्ता अब उम्रदराज बताकर बाहर हो रहे हैं। दूसरा आयातित नेता अपने साथ जो टीम लेकर आए हैं, वह पूरी तरह से कांग्रेस संस्कृति से भरी पड़ी है। ऐसे में उनके सामने खड़ा होना और अपना सम्मान बचाना संभव नहीं होगा। संगठनात्मक लड़ाई तो बनी हुई है। उमेश शर्मा के पहले घनश्याम व्यास भी नियुक्तियों को लेकर एक चिट्ठी सार्वजनिक कर चुके हैं। उस दौरान सौ से अधिक दिग्गज नेताओं ने घनश्याम व्यास से सम्पर्क किया था। अब असंतुष्ट कार्यकर्ताओं और एलर्जिक नेताओं की यदि एक बैठक भी हो गई तो भाजपा के चूले हिलने लग जाएंगे। समय रहते अपने कार्यकर्ता का सबसे पहले सम्मान बरकरार रखने के लिए सत्ता में बैठे नेताओं को सोचना होगा, वरना कार्यक्रमों में जोत कर रखने से कार्यकर्ता का उपयोग हो सकता है, भला नहीं।

घर बिठाए नेताओं की  नई भाजपा होगी…

इन दिनों भाजपा में अंदर ही अंदर कार्यकर्ताओं और घर बिठाए गए नेताओं के बीच बड़ी खदबदाहट शुरू हो गई है। कई दिग्गज नेता संगठन और सत्ता में बैठे नेताओं से असंतुष्ट होकर धीरे-धीरे लामबंद हो रहे हैं। भाजपा के ही एक बड़े नेता इन दिनों ऐसे कार्यकर्ताओं और नेताओं से सम्पर्क कर रहे हैं, जो नाराज चल रहे हैं। यह सभी नेता आने वाले समय में प्रदेश में प्रोग्रेसिव-भाजपा के नाम से दल का गठन करने की तैयारी कर रहे हैं। भाजपा में पहली बार यह कार्य सुंदरलाल पटवा के कार्यकाल में शुरू हुआ था, तब दिग्गज नेता वीरेंद्र कुमार सखलेचा ने भाजपा से अलग होकर अपने तमाम साथियों के साथ नए दल का गठन कर लिया था। हालांकि बाद में वे समय के साथ भाजपा में शामिल हो गए थे, परंतु इस बार मामला धीरे-धीरे परवान चढ़ रहा है। इंदौर के भी असंतुष्ट नेताओं से एक बार चर्चा हो चुकी है। अब यह समय बताएगा कि हंडी में पक रही खिचड़ी पूरी तरह तैयार होती है या हंडी में ही जल जाएगी। सूत्र यह भी बता रहे हैं कि इस नई भाजपा में प्रदेश के वे नेता जो उम्रदराज हो चुके हैं, पर अपने क्षेत्रों में ताकतवर हैं, वे सब एक जाजम पर आने को तैयार हैं। कारण यह भी है कि भाजपा में उनके लिए अब जगह नहीं बची है।

You might also like