गुस्ताखी माफ़- भाजपाई कहार के हाल भी कभी जान लेते…
एक बार फिर भाजपाई कहार माफ करना कार्यकर्ता भाजपा के चंदा अभियान के लिए मैदान में झोंके जा रहे हैं। इस बार हर वार्ड से कार्यकर्ता को 10 लाख रूपए एकत्र करने हैं। यानि भाजपा से जुड़े लोगों की जेब से अच्छी खासी रकम निकलने जा रही है। इसका असर बाजार में कारोबारियों में भी दिखेगा। एक ओर जहां सभी जगहों पर भाजपा ही भाजपा छाई हुई हैं यानि केन्द्र से लेकर राज्य और राज्य से लेकर निगम तक पूरा साम्राज्य छाया हुआ है इसके बाद भी अब फिर चंदे की जरूरत हो रही है, जबकि भाजपा देश की सबसे बड़ी चंदा लेने वाली पार्टी का सम्मान पहले ही हांसिल कर चुकी है। ढाई हजार करोड़ रूपए का चंदा तो अगस्त में ही आ गया है। इसके बाद भी कार्यकर्ता जोते जा रहें है। तीन साल से कोविड की मार झेल चुके कार्यकर्ता की हालत जानने के लिए सत्ता में बैठे नेताओं ने कभी कोई कोशिश नही की। दूसरी ओर निगम मंडलों से लेकर नगर निगम तक केवल रेवड़ी की तरह ही कार्यकर्ता का उपयोग हो रहा है। अब तो भाजपा में टिकट खरीदने वाले भी आ गए है। पहले भी बिके थे इस बार भी बिकने को तैयार है। फिर इन्ही को कुछ वार्ड देकर अच्छा खासा चंदा उगाया जा सकता है। हालात यह हैं कि प्रभारी मंत्री पहले दौरे में ही ऐसी पटा बनेटी घुमा रहे थे कि क्या कहा जाए। सारी नियुक्तियां पहले 15 अगस्त के पहले ही करने की बात कर रहे थे, दो पंद्रह अगस्त निकल गए, न नगर ईकाई घोषित हुई ओर न ही समितियों का गठन हुआ। यानि होना हो तो हो नही तो हम तो हैं ही। दूसरी ओर कई संघर्ष के बाद भी भाजपा के कई कार्यकर्ता इन दिनों अच्छे खासे आर्थिक संकट का सामना कर रहे है। पिछले समय भाजपा के एक जमीनी कार्यकर्ता की मृत्यु पर उसके घर फूल चढ़ाने वाले में कई दिग्गज थे। परन्तु बाद में किसी ने भी परिवार का हाल समाचार जानने की कोशिश नहीं की। बेहतर होता इन सब कार्यक्रमों के साथ तमाम नेता बुथ विस्तारक कार्यक्रम में तो जुटे रहे परन्तु किसी कार्यकर्ता के घर का हाल जानने की कोशिश नही की। करना क्या है कहारों के बारे में डोली में बैठे लोग केवल उतनी ही देर ध्यान रखते हैं जब तक उनको डोली में कहार जुटे हुए है।
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