गुस्ताखी माफ़- संघ की सुर पर अब भाजपा की लय ताल होगी…

इन दिनों भाजपा की लय और ताल धीरे-धीरे संघ के सुर पर अब बजने जा रही है। इसी के चलते जहां भाजपा के वे दिग्गज नेता जो संघ से जुड़े नहीं रहे और केवल भाजपा की राजनीति करते रहे वे नेपथ्य में अब धीरे-धीरे चले जाएंगे। इसकी शुरुआत भी कुछ इस प्रकार से देखी जा सकती है कि आने वाले समय में भाजपा में अब हार्डलाइनर ही पदों पर दिखाई देंगे। गुना के सांसद के.पी. यादव की चिट्ठी बता रही है कि अब फैसले संगठन स्तर पर नहीं संघ स्तर पर ही दिखाई देंगे। ज्योति बाबू को जो भी नेता अभी स्वीकारने को तैयार नहीं है वे आने वाले समय में उन्हें अपना नेता मानने लगेंगे। के.पी. यादव को दरकिनार किए जाने को लेकर और अगला टिकिट नहीं दिए जाने को लेकर भी निर्णय होने के बाद वे अब कांग्रेस की ओर जाने का मन बना चुके है। संकेत बता रहे है कि दिल्ली बैठे आका अब ज्योति बाबू को कमान देने का मन बना चुके है। और वे किसी भी नेता की इस मामले में सुनवाई करने को तैयार नहीं है। इसलिए ग्वालियर चंबल के कई नेता अब धीरे-धीरे चुप होते जा रहे है। इंदौर में भी उनके खास समर्थकों को संगठन में लिए जाने को लेकर चल रही खींचतान के बाद भी उनकी नियुक्ति पूरी तरह तय है। विरोध करने वाले आने वाले समय में खुद ही दरकिनार होते दिखाई देंगे। आने वाले समय में कई आमूलचूल परिवर्तन की तैयारी शुरू हो गई। इसके कई उदाहरण धीरे-धीरे अब दिखने लगे है। सबसे पहले संगठन मंत्रियों के पदों को समाप्त किया गया तब भाजपा के कार्यकर्ता इस व्यवस्था से चंद दिन खुश होकर रह भी नहीं पाए थे कि संगठन महामंत्री सुहास भगत के निर्देश पर संगठन मंत्रियों को निगम मंडलों में लाभ के पदों पर बैठा दिया। यह भी समझना चाहिए कि बिना ऊपरी सहमति के यह संभव नहीं है। सभी जगहों पर अब संघ से जुड़े या उनके अनुसांगिक संगठन से जुड़े नेता ही पदों पर विराजित होते जाएंगे। भाजपा में चप्पल घिस रहे कई नेता अब धीरे-धीरे दरकिनार होते जाएंगे। आने वाले समय में भाजपा में संघ की निगरानी में एकदम नई लीडरशीप खड़ी होती हुई दिखाई देने लगेगी। पिछले लंबे समय से संघ के कई पदों पर रहे एक नेता ने यह पूरी स्वीकारोक्ति की है।

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