गुस्ताखी माफ़- ज्योति बाबू ने पूरी भाजपा खदबदा डाली…

इन दिनों भाजपा संगठन में छोटे कार्यकर्ता से लेकर बड़े दिग्गज नेताओं में भी ज्योति बाबू की राजनीतिक कार्यप्रणाली को लेकर बड़ी खदबदाहट शुरू हो गई है। भाजपा में कभी भी चिट्ठी-पतरी लिखकर सार्वजनिक करने की परंपरा नहीं रही। चिट्ठी लिखने तक की परंपरा भी नहीं थी, परन्तु इंदौर के भाजपा नेता घनश्याम व्यास के जयपाल चावड़ा के खिलाफ लिखी चिट्ठी के बाद अब गुना के भाजपा सांसद के.पी. यादव ने ज्योति बाबू की पट्ठावाद वाली कांग्रेसी संस्कृति के खिलाफ पत्र लिखकर बताया है कि वे लगातार उनकी ही लोकसभा में कांग्रेसी संस्कृति चला रहे हैं। सिंधिया समर्थक मंत्री और नेता सरकारी कार्यक्रमों में भी उन्हें बुलाते तक नहीं है। वहीं सिंधिया समर्थक मंत्री उनकी अध्यक्षता में होने वाली बैठक का बायकाट भी कर रहे हैं। पार्टी में इन दिनों ज्योति बाबू के आने के बाद जिस प्रकार की कार्यशैली पैदा हो गई है, उससे पूरे प्रदेश में भाजपा के दूसरी ओर तीसरी लाइन के नेता अंदर ही अंदर जल भुन रहे हैं। कारण यह है कि हर जगह पर उन्होंने अपने कार्यकर्ताओं को पदों पर बैठाने के लिए जिद पकड़ रखी है। इसी के चलते कई जिलों में प्रदेश अध्यक्ष इकाई तक घोषित नहीं कर पा रहे हैं। सबसे ज्यादा दुर्दशा इंदौर की नगर इकाई की हो गई है। पूरी भाजपा एक तरफ है और दूसरी तरफ ज्योति बाबू के छह रत्न है, जिन्हें वे हर हाल में संगठन में लाना चाहते हैं। यह भी तय है कि केपी यादव की चिट्ठी कोई सामान्य नहीं है। उन्होंने कमल चिन्ह पर ज्योति बाबू को हराया था। कई दिग्गज नेताओं का इस चिट्ठी पर वरदहस्त है। ग्वालियर अंचल में पहले से ही ज्योति बाबू के समर्थकों और भाजपा नेताओं के बीच शीत युद्ध जारी है। इस युद्ध में नरेन्द्र सिंह तोमर से लेकर जयभानसिंह पवैया, प्रभात झा, नरोत्तम मिश्रा तक शामिल है, कारण यह है कि भाजपा को खड़ा करने में और महल से युद्ध लड़कर अपनी जमीन बनाने में इन नेताओं ने अपना पूरा जीवन लगा दिया है। दूसरी ओर यदि केपी यादव अब भाजपा के मंगल पांडे बनकर सामने आए हैं तो उनके पीछे कई दिग्गजों का संरक्षण भी है। ज्योति बाबू के बारे में उनके समर्थकों का कहना है कि वे अपने नेताओं को पद दिलाने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं और कांग्रेस में उनकी यही जिद सरकार भी ले बैठी थी। अभी भी उन्होंने निगम मंडलों में अपने तमाम समर्थकों को नियुक्त कराने के लिए पहली बार दिल्ली हाईकमान को मजबूर कर दिया। लंबे समय बाद भाजपा में आधे तेरे, आधे मेरे की कांग्रेसी संस्कृति दिखाई देने लगी है। भाजपा के मुट्ठीभर लोगों को सत्ता की लालसा ने पूरी भाजपा कार्यकर्ता को कई सालों तक इसका खामियाजा भुगतने के लिए भी याद रखा जाएगा। भाजपा कार्यकर्ता को अब अपना हक छिनता हुआ प्रतीत हो रहा है। मलाई खाने में शामिल होने वालों में सुहास भगत से लेकर सिंधिया तक अब याद किए जाएंगे। उल्लेखनीय है कि भाजपा में अब शुचिता और संस्कार चिंतन और मंथन का युग समाप्त होकर दूसरी पार्टियों को मथ कर मक्खन निकालने का कार्य शुरू हो गया है और इसी के चलते भाजपा अपने संस्कृति संस्कारों वाले कार्यकर्ता को दरकिनार कर मथे गए मक्खन को लाकर पदों पर बैठा रही है और इसकी अच्छी-खासी कीमत भी दे रही है,परन्तु मथे गए मक्खन के साथ भाजपा की शुचिता संस्कार की राजनीति में दूसरे दलों की दोयमदर्जे की पट्ठावाद की राजनीति यानि सड़ी हुई छाछ के साथ गंदा पानी भी शामिल हो रहा है। यह हम नहीं कह रहे हैं भाजपा के ही प्रदेश के एक बड़े नेता ने यह दर्द बयां किया है। जो भी हो अब भाजपा और कांग्रेस की संस्कार और संस्कृति में आने वाले दिनों में कोई फर्क नहीं दिखेगा। न तुम हो यार आलू…. और न हम है यार गोभी… तुम भी हो यार धोबी…. और हम भी यार धोबी…

-9826667063

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