गुस्ताखी माफ़-भाजपा नेताओं के कौए उड़ रहे ..मान लो भैंस गई पानी में…

शहर की कसी हुई प्रशासनिक व्यवस्था के बीच इन दिनों भाजपा नेताओं के द्वारे कौएं उड़ रहे हैं। जिन नेताओं के यहां सुबह से 10-20 लोग समस्या लेकर खड़े दिखाई देते थे, आजकल उनके यहां भी सन्नाटा छाया रहता है। लगभग शहर की आबादी को यह पता लग गया है कि इन दिनों नेताओं की नहीं चल रही है। जिन्हें काम कराने है, वे भाजपा नेताओं के द्वारे न जाकर अधिकारियों से सीधे संपर्क निकालने की कोशिश में लग गए हैं। काम कराने वालों का कहना है कि आरबीआई गवर्नर का इतना आशीर्वाद है कि उनकी हस्ताक्षरयुक्त चिट्ठी देखते ही काम गति पकड़ लेता है। नेताओं के द्वारे पर काम लेकर जाओ तो वह पीर गति को पकड़ लेता है। इस मामले में भाजपा की दुर्दशा और इन दिनों कार्यकर्ता को दरकिनार किए जाने पर एक ताकतवर रहे नेता ने कहा कि भाजपा में इन दिनों नीतिविहीन नेताओं के खड़े हो जाने से कार्यकर्ता का सम्मान खत्म हो गया है। उन्होंने पुरानी भाजपा का एक जिक्र सुनाते हुए सुंदरलाल पटवा के कार्यकाल में क्या व्यवस्था थी, इस पर अपनी बात कही। मंत्री वार्ड की बैठक में आते थे और वहीं पर अधिकारियों को बुलाकर अपने कार्यकर्ताओं से परिचय करवाते हुए यह कहते थे कि जनहित के काम लेकर जब भी ये लोग आपसे मिले, इनके सम्मान में कोई कमी नहीं होना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा उत्सवचंद पोरवाल और गोकुलदास भूतड़ा जैसे नेता, कार्यकर्ता को सबसे ज्यादा प्राथमिकता देते थे। एक बार भरी बारिश में भागीरथपुरा में बैठक लेने के बाद जब उनके कार्यकर्ता भीग गए तो उन्होंने अपने घर ले जाकर आयुर्वेदिक दवा की पुड़िया देकर कहा कि इसे तीन बार खा लेना, मैं सुबह देखने आऊंगा। आज कोई किसी को देखना तो दूर की बात है, मिलना भी नहीं चाहते हैं। पर यह बात मानी कि आज भी आरके स्टूडियों में सुबह से दरबार लग जाते हैं। इलाज कराने का मामला हो या शादी का, सब जगह खड़े मिलते हैं। यह भी बताया कि कैलाश विजयवर्गीय से उनका लाख वैचारिक विरोध है, परन्तु एक मात्र ऐसा नेता है, जिसने पिछले दिनों भाजपा के क्षेत्र क्र. 1 के नेता रहे जयदीप जैन की बेटी के गुजरात में बीमार पड़ने पर पूरी ताकत लगा दी। हालांकि बेटी बच नहीं पाई, पर उन्होंने कार्यकर्ता के लिए अपने संस्कारों का परिचय दिया। जिन्हें देना था, वे घर सौए रहे। अब ऐसा लगता है सत्ता का आनंद ले रहे मुट्ठीभर नेताओं को कार्यकर्ताओं की कोई चिंता नहीं है। अब यह वक्त बताएगा कि इसक परिणाम क्या होंगे?

मान लो भैंस गई पानी में…
अंतत: भाजपा की नगर और जिला कार्यकारिणी का गठन भारी खींचतान के चलते नहीं हो पा रहा है और अब यह भी तय हो गया है कि यह गठन नहीं हो पाएगा। 2 साल से 10 बार घोषणा होने के बाद भी यहां संगठन के बड़े नेताओं की प्रतिभा का लाभ नहीं दिख सका। 27फरवरी को 2 साल होने जा रहे हैं, इधर पुरानी कार्यकारिणी को ही फिर से प्रशिक्षण शिविर में ज्ञान पिलाना पड़ा। हालत यह रही कि पूर्व पार्षदों और मंडल महामंत्री को ही इस बैठक में आमंत्रित किया गया। कुल मिलाकर पूरी तरह से अब भाजपा कांग्रेस के संस्कारों वाली पार्टी बन गई है। बिना संगठन के अध्यक्ष पद पर तलवारे चलाने रहने का हुनर सिखाने के लिए भाजपा में प्रमोद टंडन भी कांग्रेस से पहुंच गए हैं। जिन्होंने पूरा कार्यकाल ही बिना कार्यकारिणी के निकालने के अनुभव सिखाने का निर्णय भी लिया है।

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