गुस्ताखी माफ़-डॉक्टरों की चड्डी क्या कसी सब बाहर आ गया…सचिन बिरला कही पनौती न हो जाए…तो भाजपा कम्बल…
डॉक्टरों की चड्डी क्या कसी सब बाहर आ गया…
जब सैया भए कोतवाल… शहर में इन दिनों आम लोगों को प्रशासन कैसे ईमानदार रहा जाए इसका सबक सीखा रहा है। जो नहीं सीख रहे है वे सुधारे जा रहे है। अच्छी बात है होना भी चाहिए। देश में बनाया संविधान सबके लिए एक जैसा ही रहता है। यह शिकायत हमारी नहीं है। यह एमवाय के उन प्रताड़ित डॉक्टरों की है जो यहां पर सबसे बड़े अधिकारी से हर दिन जलील होते है। जब भी दौरा होता है डॉक्टरों की चड्डी ऐसी कसी जाती है कि ऐसा लगता है कि पूरे क्षेत्र में चड्डी पहनकर फूल खिल रहे है। उनके आगमन के पहले ही कुछ डॉक्टर बीपी की गोली तक एक नहीं दो खा लेते है, ताकि उनके सम्मान में कहे जा रहे शब्दों को वे सहज भाव से स्वीकार ले। उन्हें इस बात की खुशी होती है कि उन्हें इस उम्र में सुधरने का मौका मिल रहा है। परंतु जितने सक्षम तरीके से वे एमवाय की बागड़ बनकर उसे सुरक्षित कर रहे है उतने ही तरीके से वे अपने लिए संविधान का पालन नहीं कर रहे है। अब तकलीफ यह भी है कि उन्होंने अपनी अर्द्धांगी को एमवाय में अपने ही हस्ताक्षर से सीधे उच्च पद पर नियुक्त कर दिया है। हालांकि यह अजूबा एमवाय में पहली बार हुआ है। यह भी उल्लेखनीय है कि यहां पर किसी को भी पदस्थ किए जाने के पीछे पूरी प्रक्रिया है। क्या प्रक्रिया है यह तो आप जानो और यह भी पता लगाओ मामले बाहर कौन भेज रहा है। और हां बहनजी एमवाय नहीं जा रही है घर पर ही उनका वेतन चलकर आ रहा है। फिर भी दीपावली के आगमन पर हमारी ओर से आपको और आपके परिवार को बधाई…
सचिन बिरला कही पनौती न हो जाए…
खंडवा लोकसभा उपचुनाव में जहां भाजपा और कांग्रेस के नेता आज शाम को प्रचार समाप्त होने के बाद अपनी वापसी शुरू कर रहे हैं, वहीं खंडवा में पिछले दिनों कांग्रेस के विधायक सचिन बिरला, जो अब भाजपाई हो चुके हैं, उनके भाजपा छोड़ने के बाद क्षेत्र में कांग्रेस के नाराज कार्यकर्ता अब मैदान में उतर गए हैं। तीन चुनाव भाजपा से जीते हितेंद्र सोलंकी के समर्थक भी भाजपा के इस कदम से बुरी तरह नाराज हैं। कांग्रेस कार्यकर्ता लंबे समय से सचिन बिरला के व्यवहार से दु:खी थे और वे इस बार उन्हें निपटाने के लिए तैयारी भी कर रहे थे। उनके भाजपा में शामिल होने को लेकर कांग्रेसी कह रहे हैं पनौती चली गई। खंडवा लोकसभा ठाकुर बहुल सीट है, जहां पर एक लाख से ज्यादा राजपूत समाज के वोट हैं। हर्ष चौहान और हितेंद्र सोलंकी इस क्षेत्र में ठाकुरों पर मजबूत पकड़ रखने वाले नेता माने जाते हैं। कहीं ऐसा न हो कि कूदाकादी की इस बेला में अच्छी-खासी नाव बीच नर्मदा नदी में हिचकोले खाने लगे और फायदे के बजाय नुकसान हो जाए। निमाड़ के नेता कहते हैं कि नर्मदा में लहरों से हर पत्थर शिवलिंग नहीं होता है। इसमें कई खोटे पत्थर भी हिचकोले ले रहे हैं, जो भाजपा में आकर बड़े नेताओं को चार धाम तीरथ यात्रा की तैयारी करवा रहे हैं।
कांग्रेस रजाई की तरह
तो भाजपा कम्बल…
कांग्रेस के पुरातन नेताओं ने कांग्रेस की स्थिति को लेकर बड़ा विचित्र आंकलन किया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस और भाजपा में वही फर्क है, जो रूई से भरी रजाई और कम्बल में है। कांग्रेस रजाई की तरह है और भाजपा कम्बल की तरह। कांग्रेस में यदि आपको अपना मामला ठीक नहीं लगता तो अपने हिस्से की रूई निकालकर अलग रजाई छोटी-बड़ी बना सकते हैं, क्योंकि रूई एक ही प्रकार की है। इस रूई से सभी जातियों को गरमी दी जा सकती है, परंतु अब रजाई से रूई निकल-निकलकर इतनी कम हो गई है कि कान साफ करने के लिए भी रूई नहीं मिल पाती है। वहीं दूसरी ओर भाजपा का कम्बल ऐसा है कि इसमें से बाहर निकलकर नया कम्बल नहीं बनाया जा सकता, यानी जो भी करना हो, इसी कम्बल में रहना पड़ेगा। कम्बल में से रूई भी नहीं निकलती। जो लोग सहमत-असहमत की स्थिति में बाहर चले जाते हैं, उन्हें वापस फिर इसी कम्बल में आना पड़ता है। अलग से कम्बल फाड़कर कुछ नहीं किया जा सकता।