बंगाली चौराहे पर पीलर और रोटरी भविष्य के लिए बड़ी मुसीबत बनेंगे

यातायात का भारी दबाव आने के बाद बड़े वाहन यहां उलझते रहेंगे

 

इंदौर। बंगाली चौराहे पर ब्रिज निर्माण के बीच आईआईटी द्वारा दिये गये तीनों सुझाव के बाद अंतिम रुप देने में लोकनिर्माण विभाग अभी भी भ्रमित हो रहा है। दूसरी ओर जिस तीसरे सुझाव को लेकर लोकनिर्माण विभाग चौराहे पर काम प्रारंभ करना चाहता है। वह और बड़ी मुसीबत भविष्य में बनेगा। इस पुल के निर्माण में पुल के नीचे किसी भी सुरत में पीलर या रोटरी का निर्माण कई हादसों के लिए खुला आमंत्रण होगा। दूसरी ओर पिपल्याहाना पुल से इस पुल को ज्यादा बेहतर तरीके से समझा जा सकता है। पिपल्याहाना पुल में पीलर से पीलर की दूरी तीस मीटर से ज्यादा होकर दोनों तरफ तीस तीस मीटर खुली हुई है। इसलिए यहां वाहनों के मोड़ने में कोई कठिनाई नहीं हो रही है।
इंदौर के वास्तुविद और वरिष्ठ इंजीनियर अतुल सेठ ने बंगाली चौराहे पर बन रहे पुल को लेकर लंबे समय से अपने सुझाव लोकनिर्माण विभाग और शहर के जनप्रतिनिधियों को दिये थे। इसके बाद भी यहां पर पिछले चार महीनों से कई प्रयोग किये गये जो प्रयोग आम लोगों के लिए मुसीबत ही बने। आईआईटी द्वारा यहां पर तीन विकल्प दिये गये थे इसमे से दो विकल्प में रोटरी बनाई जानी है और एक विकल्प बगैर रोटरी के लंबे स्पान का विकल्प है। इस पुल के नीचे लंबी रोटरी का स्थान नहीं है। इसलिए यहां पर रोटरी के विकल्प फेल हो चुके हैं। दूसरी रोटरी में भी ५० फूट व्यास की गोलाई रखी गई थी जिसमे वाहनों का मोड़ना एक बड़ी मुसीबत हो रहा था। इस रोटरी के कारण स्कूल की बसों का आवागमन आने वाले समय में यातायात जाम का सबसे बड़ा कारक बना ऐसे में इस तीसरे विकल्प को लेकर सुझाव दिये गये थे उसमे कहा गया है कि इसमे रात को जब सिग्रल नहीं चलेंगे तो दुर्घटना का भय बना रहेगा। इंदौर शहर के हर चौराहे पर रात को सिग्रल नहीं चलने पर पीली बत्ती देखकर ही वाहन निकलते है। ऐसे में तेज रफ्तार से आने वाले वाहन ही दुर्घटना का कारण बनते है। पिपल्याहाना में जैसी रोटरी बनाई है उसके नीचे साठ फीट सड़क की चौड़ाई होने के कारण यहां यह प्रयोग सफल हो सकता है परंतु बंगाली चौराहे पर सायकल से लेकर आटोरिक्शा, हाथठेले सभी वाहन चलते हैं और यहां ट्राफिक का दबाव भी बना रहता है। ऐसे में यहां किसी भी प्रकार की रोटरी बनती है तो यह भविष्य में यातायात में भारी व्यवधान पैदा करेगी। इसे देखने के लिए स्कूली बसों को एक बार ट्रायल के रुप में चलाकर देख लेना चाहिए। भविष्य में यहां जब मेट्रो स्टेशन बनेगा तो अभी आने जाने वाले ८० हजार लोगों से तीन गुना ज्यादा यातायात का दबाव यहां बन जायेगा। ऐसे में यहां पर पीलर या रोटरी का निर्माण बाद में आम लोगों के लिए भारी मुसीबत ही सिद्ध होगा।

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