इंदौर : पुरानी डायरियों पर दिए करोड़ों के प्लाट नहीं मिले, फिर से डायरियों पर ही 500 करोड़ की जमीन जाली हस्ताक्षरों से बेची

संजय दासौत, मेहता बंधू सहित कई माफिया समेट रहे हैं बाजार से पैसा

इंदौर। एक ओर जहां जिला प्रशासन भूमाफियों और जमीनों के जालसाजों के खिलाफ अभियान चला रहा है तो दूसरी ओर शहर के बड़े मगरमच्छ जो इसी शहर में करोड़ों रुपए प्लाट डायरियों पर बेचकर एकत्र कर रहे हैं उन पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। इस शहर में कोरोना काल में ही 500 करोड़ रुपए से ज्यादा की जमीनें डायरियों पर ताकतविहिन लोगों को बेच दिए हैं। दी गई डायरियों में बड़े जालसाजों के कहीं हस्ताक्षर नहीं है। बायपास से लेकर रिंग रोड और सुपर कारिडोर पर 500 एकड़ से ज्यादा जमीनें बकायदा नक्शे बनाकर बेची जा रही है, जबकि इनमें से एक को भी न तो विकास अनुमति मिली है न रेरा ने अनुमति दी है और न ही टीएनसी से कोई स्वीकृति मिली है। एक ही भूमाफिया ने 85 करोड़ रुपए डायरियों पर ही ले लिए हैं। दूसरी ओर सुपर कॉरिडोर पर 200 एकड़ जमीन संजय दासौत ने डायरी पर ही फिर बेच दी है। संजय दासौत वहीं हैं जिन्होंने पहले भी डायरियों पर भूखंड के पैसे लेने के बाद प्लाट देने से इनकार कर दिया। एक और मामले में डायरियों पर बुक किए गए प्लाट में नया मामला उजागर हो गया है। इस जमीन पर जिस किसान ने पैसे लिए थे वह जमीन उसकी थी ही नहीं। अब यह जालसाज शिकायत के पहले शहर छोड़ने की तैयारी कर रहे हैं।

क्यों बिक रहे हैं डायरियों पर ?
शहर के कई जालसाज भूमाफिया पहले भी यही काम करते रहे हैं। अभी भी कर रहे हैं। एक ओर जहां रिंग रोड और बायपास पर 30 से अधिक टाउनशिप में प्लाट खाली पड़े हैं तो दूसरी ओर डायरियों पर प्लाट कैसे बिक रहे हैं? इस मामले में जमीन के जादूगरों का कहना है कि सभी स्वीकृति वाली कॉलोनियों के प्लाटों के भाव और डायरियों के प्लाटों के भाव में 40 प्रतिशत तक का अंतर है और इसी लालच में मुर्गे फंसते हैं। बाद में 7-8 साल बाद प्लाट नहीं मिलने पर केवल 10 प्रतिशत ही बचते हैं बाकी अपने पैसे वापस ले जाते हैं। अभी बेचे जा रहे प्लाट की सभी डायरियां 3 साल में पलट जाएंगी।
1 लाख प्लाट खाली पड़े हैं
वैध कॉलोनियों में पूरे शहर में 1 लाख प्लाट छोटे-बड़े खाली पड़े हैं, जिनके खरीददार नहीं आ रहे हैं। ऐसे में डायरियों पर प्लाट खरीदने वाले तेजी से सस्ते प्लाट खरीदने की लालच में उलझ रहे हैं।
शिकायत कर सकते हैं
जिला प्रशासन का कहना है कि यदि डायरियों पर प्लाट बेचने को लेकर कहीं पर भी शिकायत आएगी तो बिना अनुमति और बिना विकास प्लाट बेचने के मामले में अपराधिक प्रकरण दर्ज किए जा सकते हैं।

नहीं होने चाहिए नक्शे पास
डायरियों पर बेचे गए भूखंडों के नाम पर की जा रही जालसाजी रोकने के लिए जिला प्रशासन को डायरियो पर बिकी जमीन के नक्शे पास नहीं करना चाहिए। पटवारी से लेकर तहसीलदार तक सभी को मालूम है कि कहां पर डायरियों पर बुकिंग हो रही है। गुगल मेप निकालकर भी इन जमीनों के नक्शों पर यदि रोक लगी तो एक ही दिन में 2000 से ज्यादा शिकायतें उन माफियों के खिलाफ पहुंच जाएगी।
इस समय जिला प्रशासन में जमीनों के जालसाजों को शिकायत पर बुलाया जा रहा है परंतु कार्रवाई न करते हुए उनसे पत्र लिखवाए जा रहे हैं। खंडवा रोड में साकार रियल लाइफ कॉलोनी के प्लाट डायरी पर बेचने वाले संजय दासौत की एक शिकायत जिला प्रशासन में पहुंची थी जिसमें उन्होंने 10 प्लाट के 22 लाख रुपए ले रखे हैं। इन डायरियों पर संजय दासौत के हस्ताक्षर नहीं हैं। ऐसी पुरानी 200 डायरियां पहले ही संजय दासौत की बाजार में घूम रही है। दूसरी ओर सुपर कॉरिडोर पर 200 एकड़ में बिना रेरा की अनुमति के डायरियों पर ही करोड़ों रुपए फिर से ले लिए गए हैं। यही स्थिति बायपास पर 120 एकड़ जमीन की बन गई है। यहां किसानों को केवल 5 लाख रुपए का बयाना दिया गया है। यह जमीन अब दूसरे किसानों की निकल गई है। अब जमीन के जालसाज शहर से भागने की तैयारी में है। इसी प्रकार ओमेक्स टाउनशिप, बायपास पर डीएलएफ के पीछे 100 एकड़ जमीन डायरियों पर बेचकर 85 करोड़ रुपए जमा हो गए हैं। इसी प्रकार उज्जैन रोड़, बड़ा बांगडदा, नैनोद में मेहता बंधुओं ने 150 एकड़ जमीन डायरी पर बेच दी है। किसी भी डायरी पर भूमाफियाओं के हस्ताक्षर नहीं हैं।

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