मुख्यमंत्री की फटकार के बाद काला मुंह लेकर पुलिस विभाग सड़कों पर उतरा
मध्य क्षेत्र अब ठेलामुक्त हो जाएगा दुकानों के बाहर रखा सामान भी जब्त होगा
> कलेक्टर ने दौरे के बाद व्यापारियों को दो टूक समझाया
> सड़कों पर लगने वाली दुकानों के हटने से यातायात को बड़ी राहत मिली
इंदौर। राजबाड़ा और उसके आसपास के पूरे मध्यक्षेत्र को अब ठेलामुक्त किए जाने को लेकर नगर निगम और जिला प्रशासन ने अभियान शुरू कर दिया है। कल भी पूरे क्षेत्र में ठेले और दुकानों के बाहर जगह घेरने वाले व्यापारियों को चेतावनी के साथ सामान भी जब्त किए गए। इसका असर यातायात पर देखने को मिला। जिस राजबाड़ा चौराहे से गुरुद्वारे तक वाहन निकालने के लिए 7 से 8 मिनट तक लग जाते थे वहां डेढ़ से दो मिनट में ही रास्ता मिल रहा था। यहां से निकलने वाले लोगों ने प्रशासन के इस कार्य की बेहद प्रशंसा की है। दूसरी ओर शहर में बढ़ रहे अपराधों से घबराने के बाद पुलिस भी मैदान में उतरी है। सारा अमला सड़कों पर ही दिखाई देने लगा है। ऐसा लग रहा है सारे अपराध सड़कों पर ही हो रहे थे।
कल कलेक्टर मनीष सिंह, अपर कलेक्टर पवन जैन, एडिशनल एसपी राजेश व्यास, उपायुक्त लता अग्रवाल, सहित अनेक अधिकारियों ने राजबाड़ा गोपाल मंदिर इमामबाड़ा अटाला बाजार निहालपुरा क्षेत्र का मौका मुआयना किया। सड़क खुली ओर यातायात नियंत्रण को लेकर प्रशासन सख्त रहेगा। अधिकारियो ने तय किया कि सड़क अवरुद्धता को नही होने दिया जावेगा। पटरी हाथ ठेला ओर हाथ फेरी को राजबाड़ा क्षेत्र के चारो ओर प्रतिबंधित किया है। साथ स्थाई दुकानदारों के कब्जे अतिक्रमण दुकान शटर सीमा से बाहर होने पर दुकान सील करने और गिरफ्तारी की जाएगी। दुकानों के आगे दुकान मालिक स्टाफ कर्मचारियों के वाहन निर्धारित तीन पार्किंग गोपाल मंदिर निहालपुरा शॉपिंग काम्प्लेक्स, सुभाष चौक पार्किंग ओर पुराने एसपी आफिस की जगह पार्किंग के लिए रहेगी।
दूसरी ओर मुख्यमंत्री की फटकार के बाद चूड़ीकांड में देश में कालिख पुतवाने की बात करने वाले अफसर अब मुंह काला लेकर ही शहर में कानून व्यवस्था ठीक करने निकल गए है। उल्लेखनीय है कि डीआईजी ने पिछले दिनों बाणगंगा थाना प्रभारी को पुलिस अधिकारियों की बैठक में कहा था कि उन्होंने पूरे देश में इंदौर का मुंह काला कर दिया है। मजेदार बात यह है कि अब पुलिस अमले के बड़े अधिकारी इसी काले मुंह को लेकर शहर की कानून व्यवस्था ठीक करने के लिए सड़कों पर उतर गए है। सारे अपराध सड़कों पर ही दिखाई दे रहे है। दूसरी ओर थानों की गश्त पूरी तरह बंद हो चुकी है। बीट के प्रभारियों को अपने क्षेत्र की पूरी जानकारियां ही नहीं है। सारा अमला थानों के अलावा सड़कों पर ही बना हुआ है। शहर में गश्त नाम की कोई चीज अब पिछले 6 महीनों से नहीं हो रही है। दूसरी ओर सड़कों पर जांच के नाम पर वसूली का काम भी तेजी से चल रहा है।