गुस्ताखी माफ-मधु की तुलसी से जुगलबंदी…इंदौर में उठ रही है पुत्रों के खिलाफ आवाज…

मधु की तुलसी से जुगलबंदी…
इन दिनों पेलवान के और भाजपा के वरिष्ठ नेता मधु वर्मा के बीच जोरदार जुगलबंदी देखने को मिल रही है। चुनाव के पहले यह जुगलबंदी दादा दयालू के साथ देखने को मिलती रही। पेलवान के सुर में सुर मिला रहे हैं इन दिनों मधु भिया। कारण जो भी हो, यह इस बात का द्योतक है कि राजनीति में सामने वाले के इतने कपड़े भी मत उतारो कि जब अपने साथ घूमे तो बाहुबली और महाबली में फर्क करना मुश्किल हो जाए। किसी जमाने में दोनों ही छात्र जीवन की राजनीति में आमने-सामने के अखाड़े में पटा-बनेठी घुमाते थे। अब एक साथ घुमा रहे हैं। पेलवान गा रहे हैं – मिले सुर मेरा-तुम्हारा… तो मधु वर्मा कह रहे हैं- दो साल और बचे हैं, घर बसे हमारा। जो भी हो, अभी तो पेलवान का सिक्का चल रहा है। भाजपाई भी मानने लगे हैं कि पेलवान की चवन्नी भाजपाइयों के सौ रुपए पर भारी है, इसीलिए पेलवान पूरी भाजपा पर भारी हैं।
इंदौर में उठ रही है पुत्रों के खिलाफ आवाज…
भाजपा में अब बहुत ही कम नेता ऐसे बचे हैं, जिन्होंने स्वयं को शिखर पर राजनीति करने के बाद भी अपने बच्चों को राजनीति से दूर ही रखा। इसमें गोपी नेमा से लेकर महेंद्र हार्डिया तक शामिल हैं। दादा दयालू वैवाहिक नहीं हैं, इसलिए उनके परिवार में अभी तक कोई नाम नहीं दिख रहा है। इधर देखें तो लगभग हर भाजपा नेता ने अपनी आने वाली पीढ़ी को भाजपा के हवाले कर दिया है या भाजपा अब आने वाले समय में इन पीढ़ियों के नेतृत्व में काम करेगी। मुन्नालाल यादव के क्षेत्र के सौ से अधिक भाजपा कार्यकर्ताओं ने सीधे भाजपा के मध्यप्रदेश के प्रभारी मुरलीधर राव को पत्र लिखकर अपना दु:खड़ा रोया है। इसमें कहा है कि पच्चीस साल तक पिताश्री वार्डों में डटे रहे, मकान से निकलकर हवेली में आ गए, अब उनके बेटे अंकित यादव, जो केवल हर साल लाखों रुपए विज्ञापनों पर खर्च कर जन्मदिन मना रहे हैं, वे हमारे माई-बाप बन जाएंगे, यानी आने वाले समय में भी हम जैसे कार्यकर्ता क्या केवल इन नेताओं की दरी ही उठाते रहेंगे, वहीं मुन्नालाल वार्ड 58 में तमाम विरोध के बाद भी अपने बेटे की लांचिंग में लग गए हैं। भाजपा नेता के पुत्रों का आलम यह है कि पुत्र-मोह में कई नेता अपने क्षेत्र के कार्यकर्ताओं को आगे नहीं आने दे रहे हैं। इन दिनों भाजपा पार्षदों के पुत्र इस निकाय चुनाव में मैदान में उतर रहे हैं। कुछ की पत्नियां उतर रही हैं, यानी कुल मिलाकर सात-आठ वार्ड कार्यकर्ताओं को मिल जाएं तो बहुत होंगे।
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