गुस्ताखी माफ-बड़े भैया का ज्ञान…माता भक्त अब दूसरी भक्ति में लगे…क्यों उलझा भंवरकुआं थाना…

बड़े भैया का ज्ञान…
राजनीति में लंबे समय टिके रहना हो तो गंगापुत्रों का ज्ञान ज्यादा काम आता है और भाजपा में तो बात ही अलग है। यहां तो अब गंगापुत्रों के पास ज्ञान के अलावा कुछ नहीं बचा है। कई ज्ञानी भाजपा को जीवन देने के बाद अब अपने घर के ओटले पर दरी बिछाकर अपने और भाजपा के दिन देख रहे है। इसी तर्ज में भाजयुमो के नए-नए प्रदेश मंत्री बने सुभेन्द्रसिंह गौड़ विष्णुप्रसाद शुक्ला यानि बड़े भैया के द्वार आशीर्वाद लेने पहुंचे। बड़े भैया ने कहा राजकाज के साथ भिया कामकाज भी थोड़ा जमा लेना वरना जब राजकाज का काम राजनीति के चलते निपट जाएगा तो कामकाज के लायक नहीं बचोगे। जिन्होंने पूरी उम्र राजकाज में लगा दी वे इन दिनों अपने घरों के बाहर कामकाज भी नहीं कर पा रहे है। जो भी हो बात तो सही कही है।
माता भक्त अब दूसरी भक्ति में लगे…
कल इंदौर में देवी अहिल्याजी की पुण्यतिथि पर शाम को पालकी का आयोजन था। इस दौरान हर बार सबसे आगे रहने वाले किरपालु यानि सुदर्शन इस बार मैदान से गायब रहे। जानकारी ली तो पता लगा कि उनके निवास पर आज सिंधियाजी भोज करने पहुंच रहे है। उन्होंने भी भोज की तैयारी तो की पर अपने घर की बजाय धर्मशाला में भोज का आयोजन कर दिया। इस दौरान उन्होंने धर्म और शाला दोनों का ही ज्ञान ज्योति बाबू से ले लिया। वैसे भी वे ग्वालियर अंचल के ताकतवर नेता नरेन्द्रसिंह तोमर के झंडा बरदार है और यहां की जमीनी राजनीति समझने के लिए जमीन समझना भी ज्योति बाबू के लिए जरूरी था। जो भी किरपालु ऐसे ही माल खिलाने में कम विश्वास रखते है, परंतु इसी बहाने आसपास के चेले चपाटियों को भी माल सुतने का अवसर मिल ही गया।
क्यों उलझा भंवरकुआं थाना…
पिछले दिनों भंवरकुआं थाने की जगह तय होने को लेकर निर्णय नहीं हो पाने के बाद भी थाने के निर्माण के लिए टेण्डर जारी करने की प्रक्रिया शुरू हो गई। थाने और इसी क्षेत्र में बनने वाली टंकी के लिए पहले विश्वविद्यालय अपनी जमीन देने को सहमत थे। परंतु बाद में यह अधिकारियों के बीच विवाद के बाद उलझ गया। देवी अहिल्या विश्वविद्यालय की कुलपति और जिलाधीश के बीच जमीन को लेकर विवाद के बाद दोनों ने अपनी प्रतिष्ठा का प्रश्न बना लिया है। विवाद के दौरान यह कहा गया कि जमीन कैसे नहीं मिलेगी। इसे लेकर अब यह मामला बिगड़ चुका है। आने वाले समय में भी इस विवाद का निपटारा होने की संभावना इंदौर स्तर पर संभव नहीं होगी। कुलपति के परिवार में भी दो आईएएस अधिकारी मौजूद है।
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