संगठन की मजबूती को लेकर जोर, सभी विधानसभा क्षेत्रों में मंडलम और सेक्टर का नये सिरे से होगा गठन

जिम्मेदारों को भेजा पत्र, सौ दिन में काम खत्म कर रिपोर्ट भेजे

इंदौर। विधानसभा चुनाव में भले ही अभी समय हो लेकिन कांग्रेस ने जमीनी स्तर पर खुद को मजबूत करना शुरु कर दिया है। इसको लेकर प्रदेश कांग्रेस की ओर से सभी कांग्रेस जिलाध्यक्षों, विधायकों, विधानसभा प्रत्याशियों और प्रमुख चुनाव संचालकों को पत्र जारी कर रहे हैं। इसमें कहा गया है कि पत्र मिलते ही निर्धारित सौ दिनों में मंडलम एवं सेक्टर का गठन करे और कांग्रेस की मजबूती को लेकर क्या कुछ किया जाना जरुरी है अपने सुझाव की रिपोर्ट तैयार करके पार्टी मुख्यालय भेजे। पीसीसी चीफ कमलनाथ के निर्देश पर मिशन २०२४ की तैयारियों को कांग्रेस ने धरातल पर उतारना शुरु कर दिया है।
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक इन दिनों प्रदेश कांग्रेस अपने मिशन २०२४ को लेकर अभी से संजिदा हो चुकी है और आने वाले विधानसभा चुनाव में इसकी क्या रणनीति होगी इसको लेकर उसने मजबूती की ओर कदम बढ़ा दिया है। तथा संगठन की मजबूती में कांग्रेस के सदस्यों, सिपेहसालारों, पदाधिकारियों को काम पर लगा दिया है। सूत्रों का कहना है कि कमलनाथ का मानना है कि आगामी विधानसभा चुनाव २०२४ में हमारा मुकाबला भाजपा से नहीं बल्कि भाजपा के संगठन और उसकी अनुषंगिक शाखाओं से है। कमलनाथ का यह भी मानना है कि यदि कांग्रेस संगठन मजबूत रहा और उसकी विभिन्न शाखाओं के जमीनी कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों ने एक बार फिर जमकर मैदान पकड़ लिया तो भाजपा को वैसे ही अर्श पर ले आयेंगे जैसे पिछली बार लेकर आये थे।
सूत्रों का कहना है कि कमलनाथ ने मध्यप्रदेश में कांग्रेस की स्थिति की पूरी समीक्षा की है और समीक्षा के पश्चात ही इस प्रकार का पत्र जारी किया गया है। जारी पत्र में निर्देश दिये गये हैं कि आने वाले सौ दिनों में प्रदेश में मंडलम एवं सेक्टर गठन कर दिया जाए और गठन के साथ ही धरातल पर काम शुरु कर दिया जाए। यदि यह कार्य हो जाता है तो एक बार फिर कांग्रेस का संगठनात्मक ढांचा मजबूत होगा और इसका लाभ उसे २०२४ के विधानसभा चुनावों में मिलेगा।
कामयाब रहा था नया प्रयोग…
सूत्रों का कहना है कि विगत विधानसभा चुनाव २०१८ में चुनाव में जाने से पहले प्रदेश कांग्रेस के तमाम रणनीतिकारों ने आरएसएस की तर्ज पर मंडलम और सेक्टर स्तर पर पदाधिकारियों को नियुक्त कर उन्हें अहम जिम्मेदारी दे दी थी और पदाधिकारियों ने भी पूरे समर्पित होकर पार्टी के लिए काम किया था। उस समर्पण का फायदा यह मिला था कि १५ साल का लंबा वनवास काटने के बाद कांग्रेस सत्ता में लौट आई थी और कमलनाथ को मध्यप्रदेश की कमान मिली थी यह अलग बात है कि कांग्रेस के दिग्गज नेताओं की आपसी गुटबाजी में मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार गिर गई थी। उसके बाद इधर प्रदेश में पिछले दो सालों से कोरोना वायरस की सक्रियता ने भी कांग्रेस की विभिन्न गतिविधियों को प्रभावित किया।
मंडलम और सेक्टर पर जोर
कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि पीसीसी चीफ के साथ साथ वे तमाम रणनीतिकार जो कि मध्यप्रदेश में कांग्रेस की नाव के खिवैया है उनका जोर एक बार फिर मंडलम और सेक्टर पर है। वहीं साथ ही साथ महिला कांग्रेस की पदाधिकारियों को भी सक्रिय करने पर है। कांग्रेस संगठन का मानना है कि हर पांच पोलिंग बूथ पर एक सेक्टर और हर १० से १७ पोलिंग बूथ पर एक मंडलम बनाकर तथा महिला कांग्रेस और कांग्रेस के अनुषंगिक संगठनों के पदाधिकारियों को सक्रिय कर संगठन को मजबूत किया जा सकता है।

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