गुस्ताखी माफ-प्रवक्ताओं पर लगाम…परिंदे पर नहीं मार पा रहे…निधि का श्राद्ध…

प्रवक्ताओं पर लगाम…
कांग्रेस में प्रवक्ताओं की फौज संगठन को ही भारी पड़ रही है। बिना तैयारी के न्यूज चैनलों पर अपनी भद्द पिटवाने को लेकर अब कांग्रेस में ही समर शुरू हो गया है। उधर, कमलनाथ ने ऐलान कर दिया है कि बिना इजाजत किसी भी चैनल पर अपना ज्ञान बघारने प्रवक्ता नहीं जाएंगे। अब कांग्रेस ही तय करेगी कि ज्ञानवान कौन है। कांग्रेस कार्यालय पर विषय के जानकारों को बिठाया जाएगा, जो प्रवक्ता को मैदान में उतरने से पहले धनुर्धारी बनाएंगे। उल्लेखनीय है कि प्रवक्ताओं का चयन दिल्ली से हुआ था और यह सभी टैलेंट-हंट के जरिए चयनित हुए थे। सौ से ज्यादा प्रवक्ता इन दिनों मैदान में हैं।
परिंदे पर नहीं मार पा रहे…
मोती तबेला की रियासत में बिना अनुमति के बगैर परिंदा भी पर नहीं मार सकता है। एक-दो परिंदों ने आने के लिए कोशिश जरूर की, परंतु वे भी एक पर को पीछे की तरफ लगाए हुए थे। एक ही पर से कोशिश कर रहे थे। इंदौर जिला प्रशासन में जहां किसी जमाने में अधिकारी पदस्थ होने के लिए भोपाल के गलियारों में गोटें जमाते रहते थे, वे अधिकारी इस बार गलियारों में इसलिए फटकते रहे कि कहीं कोई इंदौर न पहुंचा दे। राजा छत्रसाल की मूंछों का रुतबा इतना था कि जो हैं, वे भी अब तीसरी लहर के पहले ही सामान समेटना चाहते हैं। अब वक्त बताएगा कि किनका सामान आता है और किनका सिमटता है।
निधि का श्राद्ध…
चंद महीने बचे हैं और दूसरी आजीवन सहयोग निधि का समय फिर आने जा रहा है। इधर भाजपा के नगर अध्यक्ष गौरव बाबू करोड़पति ऐलान के बाद अब तक आधे लक्ष्य में भी नहीं पहुंच पाए हैं, यानी पांच करोड़ इकट्ठा होना थे और दो करोड़ पैंसठ लाख ही भेला हुए। दूसरी ओर राजेश सोनकर ने पचहत्तर लाख का लक्ष्य रखा था और समय से पहले ही बाजे-गाजे के साथ इसे पूरा कर दिया। इधर गौरव बाबू को अब लगता है कि यह पूरा नहीं हो पाएगा। बरसों पहले इंदौर भाजपा ने अटलबिहारी वाजपेयी को तेरह हजार की श्रद्धानिधि देने का ऐलान किया था। तमाम कोशिश के बाद गरीबी में तीन हजार रुपए ही मालवा मिल चौराहे पर आमसभा के दौरान उन्हें दिए थे। इस पर अटलजी ने मंच से कहा था- कोई नई बात नहीं है, तेरह का कहा था और तीन कर डाला, श्रद्धानिधि नहीं हुई तो श्राद्ध कर डाला। अब भाजपा में आजीवन निधि का श्राद्ध पहली बार देखने को मिलेगा।

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