500 अरब रुपए बैंकों के डूबने की कगार पर

उच्चतम न्यायालय के दो निर्णयों ने बैंकों की चूलें हिलाई

मुंबई (दोपहर आर्थिक डेस्क)। उच्चतम न्यायालय के दो फैसलों के बाद बैंकों में बड़ी घबराहट फैल गई है। टेलिकॉम क्षेत्र की एक कंपनी और रिटेल क्षेत्र की एक कंपनी की खरीदारी को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने इस पर रोक लगा दी है। इसके चलते बैंकों के पांच सौ अरब रुपए ऐसे उलझ गए हैं कि यदि समय रहते कोई प्रयास नहीं हुआ तो यह दोनों कंपनियां दिवालिया कानून के तहत चली जाएंगी और इससे बैंकों को भयावह नुकसान उठाना पड़ेगा। इसका असर बैंकों की तीसरी तिमाही में दिखाई देगा। बैंकों ने इस मामले में सरकार को भी वास्तविकता से परिचित करवा दिया है।
उच्चतम न्यायालय ने टेलिकॉम क्षेत्र की बड़ी कंपनियों पर बकाया को लेकर पिछली तारीख से वसूली के निर्देश दिए थे। इसमें वोडाफोन, आइडिया भयावह घाटे में चली गई हैं। दोनों ही कंपनियों का संचालन अब असंभव होता जा रहा है। इसे लेकर अगले पंद्रह दिनों सरकार कोई बड़ी राहत-नीति का ऐलान कर सकती है। वोडाफोन को 300 अरब रुपए से ज्यादा बैंकों के चुकाने हैं। यदि कंपनी को कोई राहत सरकार की तरफ से नहीं मिली और खरीदार नहीं मिले तो यह कंपनी दिवालिया कानून के तहत चली जाएगी। इससे बैंकों का तीन सौ अरब रुपए से ज्यादा बुरी तरह उलझ जाएगा। वोडाफोन की अर्थव्यवस्था ध्वस्त हो गई है और वह अब कर चुकाने में असफल होने के बाद सरकार की सभी शर्तों पर कंपनी सौंपने के लिए भी तैयार है। दूसरी ओर रिलायंस और फ्यूचर रिटेल के बीच उच्चतम न्यायालय के निर्देश के बाद सौदा रद्द होने के कारण यहां 200 अरब रुपए का बैंकों का लोन उलझ गया है। फ्यूचर रिटेल के मुखिया किशोर बियाणी ने अब बैंकों का लोन चुकाना बंद कर दिया है। डूब रही कंपनी को बचाने के लिए ही उन्होंने 24 हजार करोड़ में यह कंपनी मुकेश अंबानी को बेची थी। उच्चतम न्यायालय ने अमेजॉन के सिंगापुर अदालत के फैसले को लागू करते हुए इस सौदे पर रोक लगा दी है। यह कंपनी अब दिवालिया कानून में यदि कोई खरीदार नहीं मिला तो चली जाएगी। इस प्रकार से दो कंपनियों में बैंकों के पांच सौ अरब रुपए डूबने की हालत देखते हुए कई बैंकों के हाथ-पांव बुरी तरह फूल रहे हैं। बैंक क्षेत्र में बड़ी घबराहट इस समय देखी जा सकती है।

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