गुस्ताखी माफ-पंडित नरोत्तम से पुरुषोत्तम के मार्ग पर…

पंडित नरोत्तम से पुरुषोत्तम के मार्ग पर…
इन दिनों मध्यप्रदेश के मंत्री और इंदौर के प्रभारी मंत्री इंदौर आकर नरोत्तम से पुरुषोत्तम बनने के मार्ग पर निकल पड़े हैं। वे यह भी संदेश देना चाहते हैं कि उनकी उपलब्धि भाजपाई नरों में पुरुषोत्तम की तरह होगी। आते ही उन्होंने अपने दिव्य दर्शन में यह बता दिया कि उन्हें मौका मिला तो वे कितनी गति से रफ्तार देंगे। कार्यकर्ताओं को लंबे समय से पदों की लॉलीपॉप जो न चूसी जा रही थी और न निगली जा रही थी, उसे रफ्तार दी, परंतु मालवा-निमाड़ का पानी जरा अलग है। चाहकर भी वे सूची नहीं बनवा पाए। अब चौदह अगस्त को एक बार फिर इस सोपान में कुछ कदम बढ़ेंगे। इंदौर आने के बाद उन्होंने लगभग सभी घाटों पर फूल चढ़ाए। वे इस कोने से सत्तन गुरु से मिलने के बाद दूसरे कोने के दक्खन गुरु से भी मिल आए। फिर पहले लोग कैलाश जाते थे, उनका भाग्य बुलंद था। कैलाश खुद उनके द्वार पहुंच गया। पर्वतीय मिलन ने उन्हें सब बताया, पर इंदौर का स्वभाव नहीं बताया। हालांकि वे चंबल का पानी पीने वाले हैं, जिसका मिजाज कुछ अलग रहता है। अब मालवा-निमाड़ के पानी की बात हम करें तो एक कहावत है कि किसी जमाने में अकबर अपने लवाजमे के साथ यहां से गुजरे थे। बारिश के कारण उनके रथ का पहिया मिट्टी में धंस गया और न चाहते हुए भी उन्होंने अपना डेरा वहीं डाल दिया। सुबह उठे तो उन्होंने देखा कि जमीन सूखी है और मिट्टी रथ के पहियों से निकल चुकी है। उन्होंने बीरबल से कहा – यहां की मिट्टी कैसी है। इस पर बीरबल ने कहा- सम्राट, जितनी जल्दी हो यहां से निकलना चाहिए, क्योंकि यहां की मिट्टी नहीं, यहां के लोगों का स्वभाव भी है, जो यह मिट्टी बता रही है कि जितनी जल्दी चिपकती है, उतनी जल्दी छोड़ भी देती है। यहां बारह कोस पर बोली और चौदह कोस पर झोली बदल जाती है। जो भी हो, अच्छा है, सबके घर जा रहे हैं, समय मिले तो हमारे घर भी आना, अभी पुरुषोत्तम के पास बल है, संबल है और सबसे बड़ी बात बारह अक्टूबर के बाद उनके ग्रह प्रबल हैं। अब वक्त बताएगा कि इंदौर के पानी और दाल-बाफले में कितना जोर है। जब वे स्वास्थ्य मंत्री थे तो नरोत्तम ही रहे। इंदौर में कई हादसों के बाद भी उनके साक्षात दर्शन नरोत्तम के रूप में नहीं हुए थे। चलिये अब पुरुषोत्तम के रुप में उनके दर्शन शहर को हो जाए तो क्या बात है…
-9826667063

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