शराब दुकानों से 25 प्रतिशत सस्ती विदेशी शराब बाजारों में उपलब्ध है

फरार शराब ठेकेदार एके सिंह का दामाद शराब फेक्ट्री में पदस्थ आबकारी अधिकारी है

इंदौर। शहर के शराब कारोबार में अवैध कारोबार की जड़े इतनी ज्यादा गहरी है कि वहां तक पहुंचना संभव नहीं है। शहर में बिक रही अवैध और तीन नंबर की शराब स्वयं ठेकेदार ही अलग-अलग हिस्से में बेच रहे हैं। सबसे ज्यादा खपत होने वाली शराब के दो भाव इस प्रकार है कि दुकान से खरीदने पर रायल चैलेंज की कीमत 1210 रुपए है, जबकि 800 रु. में खुले में बिक रही है। बिलेंडर 1600 रुपए की 900 रु. में रायल स्टेग 1070 रु. की 800 रु. में और इम्पीरियल ब्लू 960 रु. की 600 रु. में आराम से मिल रही है। शहर में जब डप्लीकेट से ओरिजनल ही सस्ती मिल रही है तो फिर डुप्लीकेट क्यों बनेगी। खेत में 10-20 बाटले बनाई जा सकती है। ट्रक भरकर शराब नहीं बन सकती है। शहर में 18 से 20 गाड़ी के परमिट रोज उतर रहे हैं।
इस अवैध कारोबार में ठेकेदार खुद भी गले-गले डुबे हुए हैं। फरार शराब ठेकेदार एके सिंह का दामाद पीथमपुर की फेक्ट्री में आबकारी अधिकारी के रूप में पदस्थ है। बिना इजाजत एक बाटल शराब नहीं निकल सकती। फिर इतनी बड़ी तादाद में कैसे आ रही है? एक ट्रक में 700 पेटी शराब आती है। 4 फेक्ट्रियों से यह काला कारोबार प्रशासन की आंख में धूल झोंककर आबकारी विभाग की सांठगांठ से चल रहा है। आश्चर्य की बात यह है कि लाकडाउन के दौरान जब पूरा प्रदेश बंद था, उस दौरान भी इन कंपनियों से हर दिन 8 ट्रक शराब के परमिट निकल रहे थे। जब कोई पी नहीं रहा था, तो फिर यह शराब कहां जा रही थी। राजस्थान, महाराष्ट्र और आंध्रप्रदेश के नाम पर निकलने वाले परमिट इंदौर की सड़कों पर खुले मिल रहे हैं। शराब बनाने वाली फेक्ट्रियों में पीथमपुर की सिल्वर ओक जिसके मुखिया पिंटु भाटिया है, बड़वाह की एसोसिएट बेवरिज जिसके मालिक आनंद केड़िया है, वहीं काटपुट रोड पर अग्रवाल बेवरिज भी पिंटु भाटिया के पास है। जीरापुर, बड़वाह इन सब फेक्ट्रियों से 3 नंबर का माल स्मगल होता है। यहां पर पदस्थ डीओ रेंज के अधिकारी फरार शराब माफिया एके सिंह का दामाद भदोरिया है। इसके अलावा केड़िया की लेबड़ में ग्रेड गेलन भी शामिल है। दूसरी ओर ठेकों पर मिल रही शराब से सस्ती शराब पेटियों में उपलब्ध हो रही है। ऐसे में कुछ शराब कारोबारियों ने तीन प्रकार के काउंटर भी खोल दिए हैं। एक पर थोक शराब बाजार से सस्ती, दूसरी ओर परमिट पर उठाई शराब जिसमें दूसरे के परमिट पर उठाई शराब भी बेची जा रही है। शहर में इन चारों फेक्ट्रियों से हर दिन 18 से 20 ट्रक गाड़ियों के परमिट जारी होते हैं। इन्हीं गाड़ियों में से इंदौर शहर में शराब का अवैध कारोबार जमकर चल रहा है। आबकारी विभाग और पुलिस विभाग जिस शराब को लेकर वाहवाही लूट रही है, वह कुल मिलाकर 200 बोतल भी एक दिन में नहीं आ पाती है, जबकि 600 पेटी तो केवल आरएस ही बिक रही है। इसके अलावा 7000 पेटियां शराब की किधर उतर रही है, सबको मालूम है। कुल मिलाकर इस शराब के कारोबार में करोड़ों की अवैध कमाई में राजनेता तक डूबे हुए है। एके सिंह को किसका संरक्षण है? यह सबको मालूम है। अब तो भोपाल में भी इस बात के चर्चे है कि शराब ठेकेदारों को अवैध कामकाज के बाद भी कौन बचा रहा है। मंदसौर और अन्य जगह मकान और ढाबे तहस-नहस हो गए। जबकि इंदौर में फरार कारोबारियों के मकान को झांकने भी कोई नहीं गया है। दूसरी ओर पुलिस का दावा है कि हेमू ठाकुर इन दिनों नेपाल में है। इसके अलावा दो और फरार आरोपियों को डबरा में पदस्थ रहे बड़े पुलिस अधिकारी जो इंदौर में मौजूद है, समझौता कराने के लिए बड़े प्रयास कर रहे हैं।

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