गुस्ताखी माफ-63 तो सुपारी और पीले चावल लेकर घूम रहे हंै…टेंशन लेने का नई… अरुण ही है मैदान में…

63 तो सुपारी और पीले चावल लेकर घूम रहे हंै…
अंतत: निकाय चुनाव की वास्तविक स्थिति दिखाई देने के बाद जहां उन भाजपाइयों के दिल छलनी-छलनी हो गए हैं, जो हर दूसरे दिन पार्षद होने के ख्वाब देखा करते थे। अब यह चुनाव नई सरकार के आने के बाद ही होंगे, क्योंकि अगले वर्ष दिसंबर के बाद कुछ और चुनाव की प्रक्रियाएं भी रुकी हुई हैं। कुल मिलाकर अब यह फाइल बंद हो गई है। दूसरी ओर मामा ने टुकड़े-बटके में जोड़-जाड़ कर एकत्र हुई सरकार को स्थापित करने में ज्योति बाबू के साथ जिन लोगों को निगम और मंडलों के ख्वाब दिखाकर जोत रखा था, अब उनके लिए भी यह खबर दु:ख भरी ही है कि फिलहाल निगम-मंडल भी निकाय चुनाव की तरह ही झूलते रहेंगे। कारण भी समझ लीजिए, 28 विधानसभाओं में उपचुनाव के पहले और बाद पदों की ऐसी रेवड़ी दिखाई थी कि नेता गिर-गिर पड़ रहे थे। 28 तो यह तय है ही, 10 ज्योति बाबू के यहां से जूते-चप्पल पहनकर तैयार बैठे हैं। इमरती से लेकर गिरिराज तक फोन का इंतजार कर रहे हैं, वहीं 15 ऐसे हैं, जिन्हें काम पर लगाने के लिए लॉलीपॉप दी गई थी। दस केंद्रीय मंत्रियों के नकुल-सहदेव हैं, जिन्हें भी आश्वासन दे रखा है। अब कुल मिलाकर निगम-मंडलों में पद अधिक से अधिक पंद्रह हैं और सुपारी और पीले चावल लेकर घूमने वालों की संख्या कम से कम 63 है। कल चली लंबी बैठक के बाद जो खबरें उड़ रही है वह केवल चुनाव की तैयारियों में कार्यकर्ताओं को जोतने के लिए ही दिखाई दे रही है। सूत्र कह रहे है अभी निगम मंडलों में यदि ज्योति बाबू का मेरा टेसू यही अड़ा खाने को मांगे दहीबड़ा जैसा रहा तो केवल तीन नियुक्तियां ही अभी होंगी। ऐसे में बरैया के छत्ते में कोई भी समझदार नेता हाथ नहीं डालेगा और इन दिनों भाजपा में तो आम की तरह समझदारों की बहार आई हुई है।
टेंशन लेने का नई… अरुण ही है मैदान में…
उपचुनाव की आहट आते ही कांग्रेस और भाजपा में उम्मीदवारों को लेकर कवायद शुरू हो गई है। हालांकि भाजपा में उम्मीदवारों को लेकर फिलहाल कोई कवायद शुरू नहीं हुई है। कांग्रेस में अभी तक उम्मीदवार अरुण यादव खंडवा के लिए तय हैं। अरुण यादव, राहुल गांधी की पसंद भी हैं और उन्हें दिग्विजयसिंह और कमलनाथ दोनों का ही संरक्षण है। इसके अलावा जो नाम चल रहे हैं, उनका भोपाल में कोई नामलेवा भी नहीं है। यह बात जरूर है कि खंडवा में डूब का बड़ा क्षेत्र आने के कारण कमलनाथ, मेधा पाटकर को भी लोकसभा में पहुंचाना चाहते हैं, परंतु वे राजनीति में आने की इच्छुक नहीं हैं। किसी और रास्ते से मेधा पाटकर को कांग्रेस सदन में पहुंचाने के लिए प्रयास करेगी। दूसरी ओर अरुण यादव के करीबी खंडवा में इन दिनों बेहद गोपनीय तरीके से जमीनी हालत देख रहे हैं। कांग्रेस के संगठन के एक बड़े नेता ने दावा किया है कि इस बार खंडवा में भाजपा को चने चबाने पड़ जाएंगे, क्योंकि अब हालत भाजपा के पक्ष में नहीं है। डूबत क्षेत्र का बड़ा वोट बैंक भी कांग्रेस के साथ आ गया है।
-9826667063

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