25 प्रतिशत छोटे उद्योग दिवालिया होंगे

पार्लियामेंट्री स्टेंडिंग कमेटी ने सरकार के आत्मनिर्भर पैकेज का पोस्टमार्टम किया

नई दिल्ली (ब्यूरो)। एक ओर मोदी सरकार की वित्त मंत्री कह रही है कि सरकार के आत्म निर्भर पैकेज का भरपूर लाभ उद्योगों ने लिया है। दूसरी ओर सरकार द्वारा बनाई गई पार्लियामेंट स्टेंडिंग कमेटी ने इस पैकेज का पूरी तरह पोस्टमार्टम करते हुए कहा है कि इसका बहुत ज्यादा लाभ छोटे उद्योगों को नहीं मिला। पहली और दूसरी कोरोना की लहर ने उद्योगों की कमर तोड़कर रख दी है। 25 प्रतिशत छोटे उद्योग लंबे समय से बैंकों की किश्त नहीं भर रहे हैं। और इनमें से कई ने सरकार के दिवालिया कानून के तहत जाने का निर्णय ले लिया है। सरकार के किए गए बड़े-बडे दावे बता रहे हैं कि छोटे उद्योगों को न सस्ता कर्ज मिला, न सहायता मिली और वे कर्ज के जाल में उलझ गए हैं।
सरकार की पार्लियामेंट्री कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में सरकार के आत्मनिर्भर पैकेज की ढेरों खामिया उजागर कर दी है। यह रिपोर्ट लोकसभा के पटल पर रखी गई है। अब देखना है सरकार इसे किस प्रकार बताती है। स्टेंडिंग कमेटी ने माना है कि छोटे उद्योगों को उनके भुगतान ही नहीं मिल पाए हैं। छोटे उद्योगों में आने वाले होटल उद्योग सहित कई उद्योग अब कर्ज के जाल में उलझ गए हैं। इनमें से कई एनपीए के बाद खुद को दिवालिया कानून के तहत ले जा रहे हैं। उल्लेखनीय है कि सरकार ने आत्मनिर्भर पैकेज में कहा था कि इससे नौकरियां बचेगी, व्यापार बढ़ेगा और मंदी भी नहीं रहेगी। जबकि आईएमएफ (विश्व मुद्रा कोष) ने तीन दिन पहले ही स्पष्ट किया कि भारत में उद्योग बेहद दयनीय स्थिति में हो गए हैं। सरकार ने कोई मदद सही तरीके से नहीं दी और अब देश में मंदी लंबे समय तक चलेगी।

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