गुस्ताखी माफ-‘साहब अब ताकतवर नहीं हो पाएंगे….सांसदजी को इंदौर का हुनर काम आया…हरिराम कौन…
‘साहबÓ अब ताकतवर नहीं हो पाएंगे….
भाजपा की राजनीति में लंबे समय ताकतवर पदों पर रहे मोघेजी (साहब) को अब अपने आपको राजनीति में स्थापित रहने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है, जबकि भाजपा के बड़े नेता इन्हें विस्थापित श्रेणी में मान चुके हैं। संगठन के नेताओं का कहना है कि जब कर्नाटक के मुख्यमंत्री अब पचहत्तर वर्ष होने पर हटाए जा रहे हैं, ऐसे में उनकी वापसी संभव नहीं है। वैसे भी उनके लिए सात साल में कई अवसर ऐसे आए, जब उनकी पदस्थापना हो सकती थी, परंतु नहीं हो पाई। इसमें तीन बार राज्यसभा के लिए, दो बार संगठन के लिए और एक बार अब लोकसभा उम्मीदवारी के लिए पापड़ बेलने पड़ रहे हैं। कुल मिलाकर सार यह है कि मोघेजी की अब भाजपा की सक्रिय राजनीति में वापसी संभव नहीं होगी।
सांसदजी को इंदौर का हुनर काम आया…
कल लोकसभा के दूरदर्शन पर प्रसारण के दौरान इंदौर के लोकप्रिय सांसद एक घंटे में छह बार दिखाई दिए। हालांकि वे लोकसभा में कुछ कर नहीं रहे थे, केवल कैमरे की तरफ देखकर हर बार मुस्कुरा रहे थे। उनकी ओर कैमरे की नजर छह बार एक-दूसरे से चंद घंटों में ही मिल चुकी थी। इस दौरान लोकसभा में दो बार से लेकर चार बार के जीते सांसद और मंत्री भी इतनी बार दूरदर्शन पर दूर से अपने दर्शन नहीं करवा पा रहे थे। इंदौर में कैमरे के सामने टिके रहने का हुनर आज दिल्ली में उनके काम आ रहा है। मानना पड़ेगा, कैमरामैन कहीं के भी हों, सभी बेचारे व्यवहारिक होते हैं। कोई आश्चर्य की बात नहीं, आने वाले समय में सदन चलता रहेगा और सांसदजी दिखते रहेंगे।
हरिराम कौन…
पिछले दिनों संगठन को लेकर कोर कमेटी की एक बैठक, जिसमें प्रभारी मंत्री नरोत्तम मिश्रा, संगठन मंत्री जयपाल चावड़ा, क्षेत्र क्रमांक चार की विधायक मालिनी गौड़ और भाजपा के नगर अध्यक्ष गौरव बाबू के बीच एकांत चर्चा में मोहन सेंगर का नाम महासचिव के लिए मालिनी गौड़ द्वारा रखे जाने के मामले का जमकर प्रचार किया गया। अब सवाल उठ रहा था कि इस बैठक में हरिराम कौन है? तय हो गया था कि नरोत्तम मिश्रा, जयपाल चावड़ा, मालिनी गौड़ ने इस मामले में कोई चर्चा नहीं की है तो फिर इसे प्रचारित कैसे करवाया गया। पत्ते साफ होते गए कि बड़ा खेल खेलने के चक्कर में गौरव बाबू ने अपने पैरों पर खुद ही कुल्हाड़ी मार ली। अब वे न घर के (यानी दो नंबर के) और न घाट के (यानी चार नंबर के) विश्वसनीय नहीं रहे।
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