गुस्ताखी माफ -मायने बदल दिए संगठन महामंत्री पद के…बड़ी कारें घूम रही है दुख लेने के लिए…

 

मायने बदल दिए संगठन महामंत्री पद के…

अंतत: भाजपा के संगठन महामंत्री सुहास भगत के विदाई समारोह के दिन करीब आ रहे हैं। हालांकि इंदौर के भाजपाई नेता उनके कार्यकाल को किसी उपलब्धि के रुप में नहीं देखते उनके कार्यकाल में ही भाजपा की सरकार विदा हुई थी जो जोड़ जुगाड़ से वापस स्थापित हो सकी। दूसरी ओर उनकी उपलब्धियों में भाजपा के बड़े नेता केवल एक ही राग अलापते है कि उन्होंने बिना संगठन को विश्वास में लिए खुद ही 11 नगर अध्यक्षों की नियुक्ति कर एक नई परंपरा शुरु कर दी थी कि अब संगठन मंत्री का गुट अलग से होगा। अपने कार्यकाल में उन्होंने कोई समग्र बैठक नहीं ली उदाहरण के लिए देखा जाए तो अरविंद मेनन और कप्तान सिंह के कार्यकाल को कार्यकर्ता माडल के रुप में देखते है। कप्तानसिंह 2003 में संगठन को पूरी ताकत और रणनीति के लिए अपनी पहचान रखते है उन्हीं के मार्गदर्शन में उमा भारती की सरकार मध्यप्रदेश में आई थी। परंतु जब उमा भारती उमा से निकलकर कप्तान सिंह की माँ बनने का प्रयास करने लगी तो फिर समीकरण गड़बड़ा गये थे। खड़ाऊ लेकर सत्ता की कुर्सी पर बैठे बाबूलाल गौर ने बाद में उमा भारती ेक खड़ाऊ कप्तानसिंह के यहां जमा कर दिये थे। वहीं अरविंद मेनन का कार्यकाल भी संगठन के लिहाज से बेहतर रहा भोजशाला जैसा मुद्दा उन्हीं के कार्यकाल में समाप्त हुआ था। एक एक विधानसभा में उन्होंने कार्यकर्ताओं को जमीनी ताकत दिलाई थी। अब देखना है अगले संगठन मंत्री जो अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से आ रहे है वे कैसेअपनी जगह बनायेंगे।

बड़ी कारें घूम रही है दुख लेने के लिए…
सांवेर में इन दिनों नेता पुत्रों के बीच हरा मल्लम दीनदुखियों को लगाने का अभियान चल रहा है। कोई सुबह घूम रहा तो कोई शाम को घूम रहा है। संकट के समय जो लोग मदद के लिए घूमा रहे थे वे अब खुद घूम रहे हैं। कोरोना महामारी के दौरान घर घर पांव छूने वाले चुनाव के बाद पूरे क्षेत्र को महामारी के लिए छोड़कर अपने कामों में लग गये थे। अब सब सामान्य होने के बाद इन दिनों बड़ी गाड़ियां छोटे घरों के सामने खड़ी दिखाई देती है। सांवेर से उम्मीदवार रहे प्रेमचंद गुड्डु की पुत्री रीना बौरासी यहां कोरोना से मृत हुए लोगों के परिवारों में दुख बांट रही है। दोनों काम हो रहे हैं। दो साल बाद की तैयारी भी इसी के साथ हो जाएगी। दूसरी ओर ताजे ताजे भाजपाई मंत्री बने पेलवान के पुत्र चिंटू पेलवान भी इन दिनों पिता की तर्ज पर गली मोहल्ले में दिखाई दे रहे हैं। तन मन के साथ धन सरकार का दिलाने को लेकर वे सारे प्रयास बता रहे हैं। इस बीच राजेश सोनकर अभी कहीं दिखाई नहीं दे रहे हैं। उनके करीबी कह रहे है वे समय से पहले तैयारी कर लेंगे। परंतु सावन सोनकर जरूर अपनी विरासत वापस लेने के लिए यहां दिखाई दे रहे हैं। यह नेताओं के लिए एक नई मुसीबत भी है।
टंकियों के नीचे नेताओं की जंग…
नगर निगम में टंकियों पर तैनात मस्टरकर्मियों के दिन अब खराब शुरु हो रहे हैं। इसमे से कई मस्टरकर्मी जो टंकियों पर तैनात थे वे अपने भाजपाई आकाओं के सौजन्य से घंटे से नौकरी किया करते थे। यानि केवल टंकी पर दो तीन घंटे ही दिखते थे और उसके बाद उनके दर्शन नेताजी के द्वार पर ही होते थे। सभी के दूसरे काम धंधे अच्छे खासे चल रहे है नगर निगम से मिलने वाला वेतन साइड इनकम के रुप में जाना जाता है। नगर निगम के अधिकारियों का कहना है कि राजा छत्रपति के कार्यकाल मेंतमाम नेताओं के इन नकुल सहदेव की हर दिन नगर निगम प्रांगण में परेड होने लगी थी। इसमे कई चेहरे पहली बार ही प्रांगण में दिखाई दे रहे थे। अब एक बार फिर नगर निगम में परेड परंपरा की बड़ी जरुरत है।

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