73 प्रतिशत कंपनियों की संपत्ति बाजार में बिकने को तैयार

रियल एस्टेट कारोबार बैंक और बाजार के कर्ज में उलझ गया

नई दिल्ली (ब्यूरो)। कोरोना महामारी के दौरान भयावह आर्थिक संकट झेल रही 73 प्रतिशत कंपनियां अब अपनी सम्पत्ति बाजारों में बेचने के लिए तैयारी शुरू कर रही हैं। यह सभी कंपनियां मंदी के भयंकर संकट का सामना करने के कारण संपत्ति बचने के लिए मजबूर हैं। मध्यम उद्योग सरकार के ऋण लेने के प्रस्ताव पर कोई विचार करने को तैयार नहीं है। उद्योगों का कहना है जब बाजार में खपत ही नहीं है तो कर्ज लेकर चुकाने के लिए नई मुसीबत खड़ी हो जाएगी।
अर्न स्टेयंग ने देश के उद्योगों के साथ किए सर्वे में यह जानकारी उजागर की है। उन्होंने बताया कि 70 प्रतिशत कंपनियों ने बेचने वाली सम्पत्ति को होल्ड कर रखा है और वे सही समय का इंतजार कर रही हैं। इसमें कंपनी की कोर सम्पत्ति को छोड़कर अन्य सम्पत्ति बेचने के लिए तैयारियां की जा रही हैं। जीआईसी इंटरनेशनल के डायरेक्टर गौरव गोयल का कहना है कि संघर्ष कर रहे उद्योग ऋण लेकर नई मुसीबत लेना नहीं चाहते हैं। विनिवेश प्रक्रिया के लिए वे दूसरे रास्ते तलाश कर रहे हैं। इसमें बड़ी तादाद में कंपनियां अपनी सम्पत्ति बेचकर बचे हुए कर्ज से मुक्त होने की तैयारी कर रही हैं। दूसरी ओर देश के बड़े रियल इस्टेट कारोबारी शहजादासिंह कपूर ने कहा कि इस समय रियल एस्टेट भारी संकट से गुजर रहा है। लिए गए कर्ज को चुकाने के लिए माल बिक नहीं रहा है और कर्ज की रफ्तार तेजी से बढ़ रही है। ऐसे में नए कर्ज के लिए सोचा नहीं जा सकता है, वरना भारी आर्थिक हानि उठाना पड़ेगी। सरकार द्वारा उद्योगों को राहत देने के लिए 3 लाख करोड़ का नया कर्ज पैकेज जारी किया है, पुराने कर्ज पैकेज को ही उद्योगपतियों ने स्वीकार नहीं किया था।

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