गुस्ताखी माफ – कठिन समय में भी शंकर ने संकल्प सेवाभाव दिखाया…राज्यपाल के लायक भी…रायता फैलाने वालों की कमी नहीं…

 

 

 

 

कठिन समय में भी शंकर ने संकल्प सेवाभाव दिखाया…
इंदौर के सांसद शंकर लालवानी की पत्नी का कैंसर की बीमारी से संघर्ष के बाद दु:खद निधन हो गया। वे पिछले तीन माह से इस बीमारी से लड़ रही थीं। इस दौरान कोरोना महामारी को लेकर सांसद शंकर लालवानी ने भी कभी भी अपने पारिवारिक त्रास को किसी के सामने नहीं कहा। वे रात को पत्नी के पास उसका दु:ख बांटते थे तो दिन में आम लोगों के लिए जीवटता, सेवा और संकल्प के लिए संघर्ष करते दिखते थे। इस दौरान कई बार वे अपनी परेशानी को स्वयं ही समझते और झेलते थे, पर उन्होंने इसका जिक्र कभी सार्वजनिक रूप से लाभ लेने के लिए नहीं किया। निश्चित रूप से इस कठिन समय में उन्होंने मानवीयता और सेवा का जो भाव रखा, वह काबिलेतारीफ रहा। उनकी धर्मपत्नी अमिता लालवानी के निधन पर इस कालम की ओर से उनके लिए श्रद्धासुमन। ईश्वर उन्हें अपने चरणों में स्थान दें।
राज्यपाल के लायक भी…
इंदौर के कुछ नेता जो उम्रदराज होने के बाद राजनीति में अपने अंतिम अवसरों के लिए प्रयत्नशील थे, उन्हें राज्यपालों की नियुक्ति में नाम न आने के बाद गहरा झटका लगा है, यानी यदि अगले एक साल और उन्हें जगह नहीं मिली तो वे 75 के लगभग पहुंचने लग जाएंगे। इसमें कृष्णमुरारी मोघे का नाम सबसे ऊपर है। प्रभात झा भी कुछ नहीं से कुछ तो की तर्ज पर प्रयत्नशील थे। हालांकि राजनीति में अवसरों की कोई नीति नहीं होती है। कोरोना के पहले और बाद में की गई मेहनत अब नर्मदाजी में बहती दिखाई दे रही है।
रायता फैलाने वालों की कमी नहीं…
आज एक बार फिर इंदौर के प्रभारी मंत्री नरोत्तम मिश्रा शहर में अवतरित हुए है। हालांकि वे आज सुबह से ही कई दिग्गज नेताओं के घरों में अपने चरण रख कर रज छोड़ रहे है। हालांकि उनके जारी कार्यक्रम में केवल उनके ही अभिन्न मित्र और आर.के. स्टूडियो के मुखिया भिया के निवास पर भोजन का आयोजन था। उनके आने से पहले ही शहर के तमाम दूसरे बंद हो चुके और नहीं चल रहे स्टूडियो ने 24 घंटे में पूरी ताकत प्रभारी पर भारी बनने के लिए भोपाल में लगा दिया। रायता ऐसा फैलाया कि एक ही दिन में उन्हें कई नेताओं के यहां अपने ब्रह्म स्वरूप के दर्शन देने होंगे। घर बैठे भाजपा नेताओं से लेकर बाहर बैठे भाजपा नेताओं के यहां उन्हें अब पूरा दिन कंदमूल खाना होगा। बंद कमरे में तो बातचीत केवल आर.के. बैनर में ही होना तय है।
और अंत में…
शहर से अचानक दीदी चित्रकूट के घाट पर संतों के समागम में पहुंच गईं। यहां उन्हें संघ के तुलसीदास से लेकर कई दासों के दर्शन करने का अवसर मिलेगा। वैसे भी वे संघ कोटे में अपने नंबर बढ़ाती हैं। इससे अच्छा मौका फिलहाल कोई नहीं होगा। तीन दिन पहले से ही वे चित्रकूट के घाटों का कार्यक्रम बना चुकी थीं। हालांकि घाट तो पहले भी थे, पर घाटों में चुनावी चढ़ाई का अवसर उन्हें अब दिखाई दे रहा है।
-9826667063

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