गुस्ताखी माफ -एक ही घर में महापौर के दो दावेदार…दादा ने सिंहासन त्यागा तो दीदी ने आसन त्यागा….जोर का झटका दूर से लग रहा है…

एक ही घर में महापौर के दो दावेदार…
कांग्रेस की ओर से अभी तक संजय शुक्ला ही महापौर के दावेदार हैं। अभी तक इसलिए कि कांग्रेस में बी-फार्म मिलने के बाद भी कई लोगों को नामांकन भरने को नहीं मिलता। वह अलग प्रकार के लोग होते हैं, जो बी-फार्म की जालसाजी कर पुत्रमोह में अंधे होने के बाद पार्टी के साथ धोखाधड़ी कर लेते हैं… तो यह माना जाए आज दिनांक तक संजय बाबू ही उम्मीदवार हैं। हालांकि धुकधुकी आधी रात को उन्हें भी बनी रहती है। दूसरी ओर बैठे-बिठाए उन्हीं के परिवार के सदस्य और भाजपा के युवा मोर्चा के मुखिया रहे गोलू शुक्ला ने भी महापौर उम्मीदवारी की दावेदारी ठोक दी है, यानी बर्तन बजाने के लिए बाहर नहीं जाना पड़ेगा। घी कहीं पर भी गिरे, जाएगा खिचड़ी में ही। हालांकि गोलू पंडित लंबे समय से भाजपाई तैयारी में जुटे हुए थे और उन्होंने ‘प्रभातÓ के होते ही ‘साधनाÓ करना शुरू कर दी थी। इस बीच आर.के. स्टूडियो में भी उन्हें चरित्र अभिनेता के रोल मिलने लगे थे। लंबे समय से वे रणनीति भी बना रहे थे। दूसरी ओर जरूरत पड़ने पर वे भी दस-बीस खोखे का मुंह नहीं देखेंगे। अब भले ही उन्होंने अपना दावा ठोंक दिया हो, पर भाजपा में आजकल दावा नहीं, दांव काम कर रहा है।
दादा ने सिंहासन त्यागा तो दीदी ने आसन त्यागा….
इंदौर में भाजपा कार्यसमिति की बैठक को लेकर बड़े सख्त इंतजाम किए गए थे। भाजपा के इंदौरी शंकराचार्य और महामंडलेश्वर के अलावा 1008 को ही कार्यसमिति स्थल में प्रवेश दिया जा रहा था। इधर, महादेव के देव भी अचानक यहां पहुंचे और उन्होंने बताया कि वे महादेव-पुत्र हैं। आकाश तो परिक्रमा पर हैं, परंतु इसके बाद भी इस समागम में उन्हें प्रवेश नहीं दिया गया। हालांकि नगर अध्यक्ष ने उन्हें किस प्रकार से यहां व्यक्ति-पूजन और ज्ञान दिया जाता है, यह बताया और फिर उन्हें वापस मंगल द्वार पर लाकर प्रणाम करने के बाद रवाना कर दिया। साथ में यह भी बताया कि जो देवगण एक बार अंदर आ जाएंगे, वे फिर बाहर नहीं निकल पाएंगे। अंदर आने वाले सभी देव को बताया गया है कि वे यहां आकर मोह-माया से मुक्त हो जाएं और माया के चक्कर को त्याग दें। बैठक में भाजपा के ब्रह्माण्ड नायक जे.पी. नड्डा के प्रवचनों के बाद जिन्हें जीवन भर प्रवचन देने की आदत रही हो, उनके लिए आधा घंटा भी सुनना बड़ा जटिल होता है… तो हुआ ऐसा कि एक प्रवचन समाप्त होते ही दूसरे की प्रक्रिया शुरू होने के पहले ही दादा दयालू ने अपना आसन त्याग दिया और उन्हीं की देखादेखी महारथी उषा दीदी ने भी अपना आसन छोड़ दिया और उद्बोधन बीच में ही छोड़कर दादा के साथ उनकी छाया में ही चली गईं। हालांकि इस बीच ताई ने भी कुछ समय के लिए प्रवचन त्याग दिए, परंतु उन्होंने ऐसा स्वास्थ्य कारणों से किया। जब नगर अध्यक्ष से पूछा गया कि बाहर जाने पर सभी के लिए रोक थी तो फिर यह सुविधा किस आधार पर दी गई। उन्होंने बताया नर के लिए नियम होते हैं, नारायणों के लिए कौन नियम बनाता है। वैसे भी दादा दयालू जहां खड़े होते हैं, उसके बाद से ही प्रवचन शुरू होते हैं। वैसे भी आर.के. बैनर का स्लोगन है- हम, हम हैं… बाकी सब चार इंच कम हैं। नारायण… नारायण…।
जोर का झटका दूर से लग रहा है…
क्या आपको भरोसा होगा कि बिजली के झटके चार सौ किलोमीटर दूर से भी लग सकते हैं? झटके ऐसे लग रहे हैं कि बिना बात के ही बिजली कंपनी के अधिकारी इन दिनों अपने खंबों पर चढ़कर खुद ही झटके देख रहे हैं। हो यह रहा है कि बिजली कंपनी के मंत्री प्रद्युम्नसिंह, जो ज्योति बाबू के कोटे से मंत्री हैं, पर उनके लटके-झटके केवल ग्वालियर और उसके आसपास ही दिखाई देते हैं। पिछले दिनों वे खुद ही बिजली के खंबे पर चढ़ गए तो कहीं खटिया डालकर खुद ही बैठ गए। इधर, इंदौर में कंपनी के बिजली अधिकारी हटाइ ले खटिया डरवा लगे… की तर्ज पर अपने यहां के खंबों की जांच पड़ताल कर रहे हैं। उन्हें भय है कि कहीं ऐसा न हो कि साहब यहां किसी खंबे पर चढ़ जाएं तो दो घंटे तो यह पता लगाने में चले जाएंगे कि इस खंबे पर करंट कहां से आ रहा है। दूसरी ओर कई जगह पैसे लेने के बाद भी कालोनियों में खंबे नहीं लगे हैं। बिजली कंपनी में आजकल एक ही आवाज आ रही है- राम नाम… जरा खंबा बचा के।
-9826667063

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