सरकारी स्कूलों में पहुंच रहे हैं मध्यमवर्गीय परिवार

ट्यूशन फीस के बदले पूरी फीस मांग रहे निजी स्कूल संचालक

 

 

इंदौर (धर्मेन्द्र सिंह चौहान)
कोरोना काल के चलते कई लोगों की नौकरी चली गई। घर का बजट गड़बड़ा गया, प्रायवेट स्कूलों की मनमानी फीस के चलते अब ज्यादातर पालक बच्चों को सरकारी स्कूलों में दाखिला करवाने के लिए प्रयासरत देखे जा रहे हैं। मगर इनकी परेशानी कम होने की जगह बढ़ती ही जा रही है। दूसरी ओर कई परिवार जिनकी आय कम हो चुकी है वे भी अब अपने बच्चों को लेकर सरकारी स्कूलों की ओर जा रहे हैं। शिक्षा विभाग का भी कहना है कि इस बार अच्छे नंबरों से पास हुए कई बच्चें सरकारी स्कूलों में प्रवेश लेते हुए दिखाई दे रहे हैं।
निजी स्कूलों के संचालक बच्चों की टीसी के बदले फीस की मांग कर रहे हैं। जबकि पालक सरकार के उस फैसले की दुहाई दे रहे हैं जिसमें सरकार ने कहा था कि कोई भी स्कूल बच्चों से सिर्फ ट्यूशन फीस ही ले सकेंगे। जबकि निजी स्कूलों में पूरी फीस वसूली जा रही है। ज्यादातर ऐसे पालकों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा हैं जो अब अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों में दाखिला दिलाना चाह रहे हैं। प्रदेश की सरकारी स्कूलों में नए प्रवेश की प्रक्रिया 15 जून से प्रारंभ हो चुकी है। कोरोना काल में निजी स्कूल संचालकों द्वारा मंहगी फीस से परेशान हो रहे ज्यादातर पालकों का रुझान अब सरकारी स्कूलों की और हो चला हैं। मगर यहां उन्हें काफी परेशानी झेलना पड़ रही है। निजी स्कूलों द्वारा बच्चों से ट्यूशन फीस की जगह पूरी फीस मांगी जा रही है। पालकों को न तो रिजर्ल्ट बताया जा रहा हैं और न ही स्थानांतरण प्रमाण पत्र दिया जा रहा हैं। जिससे पालकगण अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों में प्रवेश दिलाने में असफल हो रहे है। प्रदेश की सभी सरकारी स्कूलों में 30 जून तक दाखिला प्रक्रिया होना है, अब मात्र कुछ ही दिन शेष बचे हैं ऐसे में पालकों की परेशानी को प्रशासन भी सुनने को तैयार नहीं है। जिससे छात्र-छात्राओं के साथ ही पालकों के सामने संकट खड़ा हो गया है।
पालकों की परेशानी बढ़ी…
नंदानगर में रहने वाली मनीषा चौहान ने बताया कि मेरी बेटी पास ही के कॉनवेंट स्कूल में कक्षा 10 वीं की छात्रा हैं। दसवीं की फीस 12 हजार रुपए बता रहे हैं, जब स्कूल की टीचर को ट्यूशन फीस की बात कहीं तो उन्होंने साफ कह दिया पहले पूरी फीस जमा करो फिर बात करेंगे। इसी तरह बजरंग नगर में रहने वाली सविता भारद्वाज ने भी बताया कि मेरे दोनों बच्चे पास ही के एक प्रायवेट स्कूल में पढ़ते हैं। मेरे पति की मृत्यू होने के बाद घर में कोई कमाने वाला नहीं बचा जिससे अब हम स्कूल में फीस जमा करवाने में असमर्थ है। स्कूल के सर का कहना हैं कि सरकारी स्कूल में बच्चों को डालो मगर मार्कशिट और टीसी पूरी फीस जमा करने के बाद ही देने का कह रहे हैं।

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