3 लाख करोड़ रुपए गरीबों को बांटों
बैंक एसोसिएशन ने कहा - लोगों की वित्तीय हालत बेहद खराब, ऋण लेने को तैयार नहीं
नई दिल्ली (दोपहर डेस्क)। देश के सबसे बड़े औद्योगिक संगठन भारतीय उद्योग परिसंघ ने सरकार से आग्रह किया है कि वह देश को आर्थिक रफ्तार देने के लिए तीन लाख करोड़ रुपए सीधे गरीबों के खाते में ट्रांसफर करे। इससे बाजार में कारोबारी रफ्तार मिलेगी। सरकार ने इसके पहले जो बीस लाख करोड़ का राहत पैकेज घोषित किया था, वह किसी के काम नहीं आया। न उद्योगों ने नए ऋण लिए और न ही पैसा आम लोगों तक पहुंचा। दूसरी ओर यूएसबी सिक्युरिटी ने भी कहा है कि अब भारत की विकास की रफ्तार वी नहीं, यू शेप की रहेगी। इसके अलावा इंडियन बैंक एसोसिएशन ने अपनी ताजा रिपोर्ट में कहा है कि आम लोगों की वित्तीय हालत बेहद दयनीय हो गई है। अब वे किसी भी प्रकार के खर्च से दूरी बनाए हुए हैं, कर्ज भी नहीं उठा रहे हैं, इसका असर उद्योगों पर अगले दो माह में दिखाई देने लगेगा। देश बड़ी महामंदी की ओर तेजी से बढ़ रहा है।
भारतीय औद्योगिक परिसंघ सीआईआई ने कहा कि महामारी के बाद देश के कई उद्योगों के उत्पादन पर इसका भयावह असर अगले कुछ माह बाद दिखाई देने लगेगा। बड़ी तादाद में नौकरियां जाना शुरू हो जाएंगी। यदि सरकार उद्योगों को घोर आर्थिक संकट से बचाना चाहती है तो कम से कम तीन लाख करोड़ रुपए का पैकेज बनाकर सीधे लोगों के हाथों में पहुंचाए। गरीबों के खातों में सीधे यह राशि दी जाए, ताकि वे बाजार में तेजी से सामान की खरीदी शुरू करें। इससे बाजार को भी बड़ी रफ्तार मिलेगी, वरना आने वाले समय में कई उद्योग घोर आर्थिक संकट में उलझ जाएंगे। दूसरी ओर इंडियन बैंक एसोसिएशन ने भी अपनी ताजा रिपोर्ट में देश की वित्तीय हालत को बेहद खराब बताया है। साथ ही बैंकों को भी बड़ा नुकसान हो रहा है। कर्ज लेने वालों की संख्या पिछले दस वर्ष में सबसे न्यूनतम स्तर पर पहुंच गई है। लोग खरीदारी से पीछे हट रहे हैं। इसके कारण आने वाला समय और कठिन होगा, वहीं यूवीएस ने भी दावा किया है कि पहली तिमाही में ही अर्थव्यवस्था को बड़ा झटका लगने जा रहा है। बारह प्रतिशत की गिरावट के कारण अब अर्थव्यवस्था वी शेप में रिकवर नहीं होगी। बहुत लंबे समय तक अर्थव्यवस्था गर्त में रहेगी। सभी एजेंसी सरकार को चेता रही हैं कि यदि समय रहते सरकार ने कदम नहीं उठाए तो आने वाला समय उद्योगों से लेकर आम आदमी के लिए अच्छा नहीं होगा और भीषण महंगाई का सामना करना पड़ेगा।