गुस्ताखी माफ – डिजाइन क्या बिगड़ी डिजाइन बनाने में लग गए…रणदिवे खजूर में ही अटके रहेंगे…किसका वंशवाद भारी होगा…

डिजाइन क्या बिगड़ी डिजाइन बनाने में लग गए…
क्षेत्र क्रमांक पांच में आने वाले बंगाली चौराहे पर पुल की डिजाइन क्या बिगड़ी, कई नेता अपनी डिजाइन बनाने में लग गए। पुल का कार्य तो कई बरसों से चल रहा है, परंतु हल्ला मचाने वाले नेता पिछले दो दिनों में जिस तरीके से कूद रहे हैं, ऐसा लगता है कोई मिर्ची की थैली टिका गया हो। अधिकारियों की गलती बताकर खुद गंगा की तरह पवित्र सिद्ध करने में लगे हैं। हालांकि पांच नंबर की विधानसभा का खेल अलग है। खिलाड़ियों को लग रहा है कि बाबा अब शायद क्षेत्र क्रमांक पांच के बाबा दावेदार न रहें, इसलिए पुराने सभापति अजयसिंह नरुका के साथ सांसद को भी यहां पर पेलवान के साथ पटा-बनेठी घुमाने का मौका मिल गया है। परिणाम वही आया, जो आना था, यानी आठ करोड़ लगाकर अब पुराने पाप धोए जाएंगे। दूसरी ओर सांसद ने भी इस बैठक में सस्ती लोकप्रियता को लेकर स्वयं ही अपना वीडियो जिस तरीके से जारी करवाया उसे लेकर कई नेता और अधिकारियों को ऐतराज है। नेताओं का कहना है कि मुख्यमंत्री और मंत्री भी विभागीय बैठक लेते है पर इस तरह से अधिकारियों को नीचा दिखाने और जलील करने की कोशिश नहीं करते है। विभागीय बैठकों में नाराजगी और प्रशंसा दोनों ही सामान्य होती है। सांसद को किसी पढ़े-लिखे अधिकारी को लेकर यह समझ लेना चाहिए अब उनकी छोटी लोकप्रियता की कोशिशें उनको हंसी का पात्र बना रही है। हम नहीं कह रहे अपने बारे में खुद ही एक सर्वे करवा ले तो उन्हें जमीनी हकीकत पता लगा जाएगी।
रणदिवे खजूर में ही अटके रहेंगे…
भाजपा की नगर इकाई अध्यक्ष गौरव रणदिवे के लिए किसी महाभारत से कम नहीं दिखाई दे रही है। इस बार उन्हें ज्योति बाबू के भी तीन से चार नाम इकाई में जोड़ने हैं और वह भी ताकतवर पदों पर। इकाई के लिए मोहन सेंगर का नाम भी दिया गया है। दूसरी ओर दादा दयालू के तीसरे नेत्र को देखते हुए यह मामला पेंच में आ गया है। इक्कीस सदस्यीय कार्यकारिणी के लिए होनी है वही, जो मामा रचि राखा… परंतु इसके बाद भी सारा झगड़ा तीन महामंत्री पदों को लेकर है। हालांकि गणित बता रहे हैं कि दो-चार और पेलवान को एक-एक महामंत्री मिल जाएगा, बाकी नेताओं के लिए संत्री की जगह छोड़ रखी हैं। अब देखते हैं कौन, कितना जोर लगा पाएगा।

एक ओर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राहुल गांधी से लेकर मुलायमसिंह के पुत्र पर वंशवाद को लेकर प्रहार करते रहते हैं। कई बार वे इन वंशजों को नीचा दिखाने में भी कोई कसर बाकी नहीं रखते हैं। दूसरी तरफ मध्यप्रदेश में इंदौर सहित लगभग हर बड़े नेता के पुत्र वंशवाद की प्रक्रिया को ही आगे बढ़ा रहे हैं। देखना होगा मोदी के वंशवाद पर पुत्रों का वंशवाद कितना भारी पड़ता है।
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