पिनाकल द ग्रेंड : 28 भूखंड विवादों में- इधर जमीन की बाले-बाले रजिस्ट्री मुख्यमंत्री के ओएसडी रहे और दो आईजी के नौकरों के नाम पर हो गई
50 करोड़ के जमीन घोटाले में एक बार फिर आशीष दास, संजय अग्रवाल, गिरिश वाधवानी के नाम
इंदौर। प्रशासन ने कोरोना महामारी से मुक्त होते ही अब भूमाफियाओं के खिलाफ फिर से अभियान शुरू कर दिया है। दूसरी ओर 50 करोड़ के जमीन घोटाले में आशीष दास और गिरिश वाधवानी सहित कई ओर लोगों का चिट्ठा भी खुलने जा रहा है। पिनाकल द ग्रेंड में 27 पीड़ितों ने आईजी को शिकायत की है कि उनसे पैसे लेकर रजिस्ट्रिया दिग्गजों के नाम हो गई है। मजेदार बात यह है कि इस जमीन की रजिस्ट्री करवाने वालों में पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के ओएसडी रहे प्रवीण कक्कड़ भी शामिल है। वहीं दो पूर्व आईजी के नौकरों के नाम पर भी इसी जमीन की रजिस्ट्रियां हो चुकी है। सवाल उठ रहा है कि प्लाट कैसे मिलेंगे?
कुख्यात जमीन जालसाज आशीष दास ने पिनाकल द ग्रेंड के नाम से यह टाउनशीप विकसित की थी। बाद में इस जमीन में बड़ी हेराफेरी हो गई। आशीष दास ने इस जमीन का एक हिस्सा संजय अग्रवाल, वीना अग्रवाल और एक अन्य भूमाफिया को बेच दिया। इधर आशीष दास ने विवादों में हत्या हो चुकी संदीप तेल को भी यह जमीन गिरवी रखी थी। बाद में भूमाफियाओं ने यह गुरनाम धारीवाल को पावर देकर रजिस्ट्रियां करवा दी। इधर 27 से अधिक प्लाट के खरीददार अभी भी भटक रहे हैं। संजय अग्रवाल ने गुंडागिर्दी मचाते हुए सभी की रजिस्ट्रियां रोक रखी है। इसी जमीन का एक बड़ा हिस्सा यानी 25 हजार वर्गफीट जमीन की रजिस्ट्री प्रवीण कक्कड़ के नाम पर हो गई है। साथ ही इंदौर में रहे दो आईजी ने भी यहां अपने नौकरों के नाम पर प्लाट ले लिए थे। इसकी भी रजिस्ट्रियां हो चुकी है। अब जायज प्लाट खरीदने वाले भटक रहे हैं। पूरा मामला 50 करोड़ से अधिक के घोटाले का। भूमाफिया संजय अग्रवाल ने यहां पर अपने रिश्तेदारों के नाम पर बिना लेनदेन के रजिस्ट्री कर रखी है। यदि इस टाउनशीप के कागजातों के जांच की जाए तो शहर में पदस्थ रहे कई ईमानदार अधिकारियों के असली चेहरे सामने दिखाई देने लगेंगे। जिनके बारे में कहा जाता था वे ईमानदार है। आश्चर्य की बात है कि इसके बाद भी कुख्यात जमीन जालसाज के साथ मिलकर करोड़ों की जमीन हथिया चुके हैं।