82 प्रतिशत आबादी 171 रुपए से कम खर्च करने वाली, 62 रुपए खर्च करने वाले ही अब गरीबी रेखा में शामिल

नई दिल्ली (ब्यूरो)। विश्व बैंक की जिस रिपोर्ट को बताकर भारत की 34 करोड़ आबादी जो गरीबी रेखा में आती थी वह घटकर 7.5 करोड़ बताई जाने लगी है, यानी 25 करोड़ से ज्यादा लोग गरीबी रेखा से बाहर होने का दावा किया गया है। उसी रिपोर्ट को खंगालने पर विकासशील देशों के लिए गरीबी रेखा को लेकर जो गाइड लाइन दी गई थी, उसमें गरीबी रेखा में वे ही आएंगे जिनकी खर्च करने की क्षमता प्रतिदिन अधिकतम 62 रुपए है, जबकि विकसित देशों में इसे 3 डॉलर यानी 240 रुपए माना गया है। हालांकि 2011 के बाद अब तक गरीबी रेखा को लेकर किसी भी प्रकार का नया निर्धारण सरकार ने जारी नहीं किया है। इसी में एक और जानकारी जो सामने आई है उसके अनुसार देश की 82 प्रतिशत आबादी 200 रुपए रोज खर्च करने की क्षमता रखती है।
विश्व बैंक की जिस रिपोर्ट को लेकर सरकार अपनी पीठ ठोंक रही है उस रिपोर्ट के पन्ने बता रहे हैं कि देश में अभी भी बहंकर गरीबी बनी हुई है। जून 2011 में गरीबी रेखा से नीचे की आबादी 27 प्रतिशत थी, जो सरकार के वर्ष 2022-23 में घटकर 7.5 करोड़ रह गई। ये वे गरीब हैं जो 62 रुपए रोज भी खर्च करने योग्य नहीं हैं। 200 रुपए तक खर्च करने की क्षमता रखने वाले मात्र 82 प्रतिशत जबकि 171 रुपए तक खर्च करने वालों की संख्या बढ़कर 88.89 प्रतिशत हो गई है। जिन देशों ने अपने यहां से कोई जानकारी नहीं दी उन देशों को लेकर विश्व बैंक ने गरीबी की नई रेखा में उन्हें शामिल किया है जो 62 रुपए से कम खर्च कर पा रहे हैं। सरकार अभी तक बेरोजगारी, गरीबी और अति गरीब को लेकर किसी भी प्रकार का सर्वे या आंकलन लम्बे समय से बंद कर चुकी है, और इसी कारण अब देश में कई आंकड़े मिलना संस्थाओं को मुश्किल होते जा रहे हैं।