Sulemani chai: भोपाली इफ्तार

शिवराज सरकार में मुख्यमंत्री निवास पर रोज़ा इफ्तार अल्पसंख्यक भाजपाइयों के लिए फख़्र की बात होती थी, पर वो रोज़ा इफ्तार नफरती सियासत की भेंट चढ़ गया, लेकिन इस बार से सनवर पटेल ने वक्फ के बैनर के नीचे इफ्तार की शुरुआत कर दी है। तारीखों की जमावट वक्फ बिल के विरोध के समय रही इत्तेफाक रहा कुछ और… खैर रोज़ा का दस्तरखान वक्फ बोर्ड ताजुल्मसाजिद पर सजा, जिसकी दावत इन्दौर में जिला अध्यक्ष रेहान बांट रहे थे। पहला प्रोग्राम है, इसलिए पूरे प्रदेश से कम लोगों को बुलाया था, पर दावत के कार्ड का इंतेज़ार सबको था। अब जिन्हें कार्ड मिला, उनमें कुछ बबलू डब्लू और कुछ छोले भोले तो फुला नहीं समा रहे थे। इसी के साथ इन्दौरी एक नंबर काजी भी अपनी सल्तनत के डायमंड को बचाने सनवर के हर कर्यक्रम में मक्खी की तरह चिपके रहते हैं… रहें भी क्यों नहीं, प्रदेश में पटेल अल्पसंख्यक मुखिया से कम भी तो नहीं।
हैट्रिक की तैयारी…
शहर में राजनीतिक रोजा इफ्तार की शुरुआत हो चुकी है। इंदौर में पहला राजनीतिक इफ्तार कांग्रेस नेता सत्तू पटेल ने विधानसभा पांच में रखा है। इसी के साथ सत्तू भय्या ने पांच नंबर से दावेदारी का भी बिगुल फूंक दिया है। अब साहब दबी जबान में खजराने से पट्टे ही कह रहे हैं कि इस बार सत्तू की हैट्रिक पक्की है। वैसे भी अब कांग्रेस में गिनती चुनती के मजबूत नेता बचे हैं। सत्तू भय्या उन्हीं में से आते हैं। पांच नम्बर में खजराना, आज़ाद नगर बड़े मुस्लिम इलाके हैं, जिनके सहारे जीत का सपना देख रही है, लेकिन बाबा भी बाबा हैं… बीजेपी के होने के बाद भी बाबा का कहीं विरोध नहीं है और बाबा के तिलस्म को तोडऩा मुश्किल है। हां, अगर इस बार बीजेपी बाबा की बढ़ती उमर के मद्देनजर चेहरा बदलती है तो सत्तू को कुछ उम्मीद बन सकती है।
नए-नए नमाजी…
रमजान में नए-नए नमाजियों से बेचारी मस्जिद कमेटी परेशान है। एक तो सालभर गायब रहते हैं… दूसरा रमजान आते ही कमेटी के सामने अलिफ़ लैला के जिन्न की तरह मुसल्लत हो जाते हैं। ऐसे मसले लगभग हर मस्जिद में देखने को मिल रहे हैं। कहीं-कहीं तो मारामारी भी हो चुकी है। अब साहब बेचारे कमेटी वाले सालभर मस्जिद के इंतजामात में लगे रहते हैं… और कई मुश्किल का समना करते हैं, अब इन नए-नए नमाजियों को थोड़ा तो भरोसा कमेटी पर कर ही लेना चाहिए!
दुम छल्ला…
मजलिस में चल रहे अनुशासन की सख्ती से लगता है कि अब एमआईएम आपसी टकरार से हो रहे नुकसान से बचकर कदम दो कदम आगे बढ़ सकती है। मजलिस को सोशल मीडिया पर लगातार बदनाम करने वाले इंदौरी कार्यकर्ता और मजलिस की बैठक में अनुशासनहीनता करने वालों को सीधे बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है। हैदराबाद से भी कोई सहारा नहीं मिल रहा… बेचारे हैदराबाद जाते हंै, उसके पहले नेताजी का वीडियो हैदराबाद असद साहब तक पहुंच जाता है। साथियों के साथ नेताजी हैदराबाद से बैरंग लौट आते हैं। एक ही जवाब कोर कमेटी से बात कीजिए… अब ऐसा लगता है कि मजलिस धीरे-धीरे अपने असली रूप में आ रही है, जहां पर अनुशासन भी होगा और अनुशासित कार्यकर्ता भी होंगे।
मेहबूब कुरैशी 9977862299