जमीन के जादूगरों ने सरकारी स्कूल भी 9 लाख में खरीद लिया
17 साल पहले कराई रजिस्ट्री पर अब खाली कराने के प्रयास शुरु किए
इंदौर। शहर में सरकारी जमीनों या सिलिंग की जमीनें खरीदने को लेकर बहुत सारे मामले आपने पढ़े होंगे परंतु अपने आप में यह पहला मामला होगा जब जमीन के जादूगरों ने पचास साल से चल रहे सरकार स्कूल को निजी संपत्ति बताकर खरीद लिया। आश्चर्य की बात यह भी है कि इस स्कूल को खाली कराने को लेकर नोटिस भी जारी हो गये थे। वहीं खरीददारों ने दस्तावेजी प्रक्रिया इस प्रकार से तैयार की थी कि यदि किसी प्रकार का विवाद होगा तो उसे बेचने वाला नहीं खरीदने वाला ही निपटायेगा। यह स्कूल २४०० वर्गफीट में बना हुआ है। इसका सौदा ९ लाख रुपये में करते हुए बकायदा इसकी रजिस्ट्री भी करवा दी गई। इस बीच इस मामले में क्षेत्रीय विधायक को जब जानकारी मिली तो उन्होंने हस्तक्षेप किया अब यह मामला कलेक्टर के पास भी शिकायत में पहुंच रहा है।
बताया जा रहा है परदेशीपुरा में डमरु उस्ताद के चौराहे के पास बने इस स्कूल को पहले क्रमांक ८ नंबर स्कूल के नाम पर जाना जाता था। अब यह क्रमांक २८ के साथ में छात्राओं के लिए हो गया है। इसके खरीददारों ने यह जमीन और स्कूल की बिल्डिंग बेचवाल केप्टन मुकुंद पिता रामसिंहभाई वर्मा निवासी वी-१/१५ आजाद अपार्टमेंट अरविंद मार्ग नई दिल्ली है। जिन्होंने लिखापढ़ी करते हुए यह बिल्डिंग रमाकांत शर्मा पिता सूरजमल शर्मा, श्रीमती निर्मला पति रमाकांत शर्मा निवासी ३२/२ हुकुमचंद कॉलोनी को बेच दिया है। land mafia indore
इसकी रजिस्ट्री भी वार्ड क्रमांक १४ में करवाई गई है। इस भूखंड का भुगतान ९ लाख रुपये देने के बाद लिखापढ़ी में स्पष्ट किया गया है कि यह जगह श्रीमती शांताबाई पति रामसिंह भाई वर्मा ने सिटी इन्प्रुवमेंट ट्रस्ट से खरीदी थी। जिसका पत्र क्रमांक ५४ दिनांक २-९-१९९५ था। श्रीमती शांताबाई वर्मा मेरी माताजी थी और उनका स्वर्गवास हो गया है। इसके बाद उक्त भूमि का में ही वारिस हूं। इस रजिस्ट्री को लेकर आश्चर्य की बात यह है कि यह रजिस्ट्री २००७ में कराई गई है। इसका भुगतान २००७ में ही चेक द्वारा किया गया था।
यह चेक सभी एक ही दिन में १७-१२-२००७ को दिये गये। इसके अलावा पचास हजार रुपये नकदी भी देना बताया गया इस प्रकार कुल नौ लाख रुपये की राशि देना बताई गई। इसके बाद रजिस्ट्री कराने वाले १६ साल तक चुप रहे और फिर उन्होंने इस स्कूल की जमीन पर अपना दावा लगाते हुए इसे खाली कराने के लिए राजनीतिक दबाव का उपयोग करते हुए जिला शिक्षा अधिकारी से निर्देश भी जारी करवा दिये कि स्कूल खाली कर यह जमीन इन्हें सौंपी जाए। इस रजिस्ट्री में कई खामियां भी दिखाई दी।
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इस बीच जब यह मामला आगे बढ़ा तो रजिस्ट्रार आफिस से दस्तावेज निकाले जाने के बाद यह पाया गया कि यह स्कूल की जमीन रामसिंह भाई वर्मा को स्कूल के लिए ही आवंटित की गई थी। इस रजिस्ट्री में स्कूल चलाने के लिए किराये पर जगह देना बताया गया है। जबकि पिछले पचास सालों में इस स्कूल से कोई किराया नहीं लिया गया है। land mafia indore
इस मामले में रजिस्ट्री में बेचवाल की तरफ से यह भी लिखाया गया है कि उसके पास में से असल दस्तावेज कहीं खो गये हैं। जिसके कारण फोटोप्रतियां ही असल दस्तावेज माने जाए। इस मामले में जब जानकारी क्षेत्र के विधायक रमेश मेंदोला तक पहुंची तो उन्होंने स्वयं ही इसकी रजिस्ट्री व अन्य दस्तावेज अपने स्तर पर निकलाये और पाया कि यह जगह पूरी तरह से स्कूल की है और यहां स्कूल की पचास सालों से संचालित किया जा रहा है। land mafia indore
दो मंजिला में बने इस स्कूल के लिए उस दौरान १९५५ में रामसिंहभाई वर्मा के आवेदन पर भी आवंटित की गई थी और तब से यह स्कूल चल रहा है। आश्चर्य की बात यह भी है कि रामसिंहभाई वर्मा बेहद ईमानदार मजदूर नेता के रुप में पहचाने जाते थे। पाटनीपुरा चौराहे पर उनकी मूर्ति भी लगी हुई है। रामसिंहभाई वर्मा को स्वयं इंदिरा गांधी ने उनके दबंग स्वभाव और स्पष्टवादी होने के कारण राज्यसभा में मनोनीत किया था, परंतु आश्चर्य की बात यह है कि उनके पुत्र जो सेना में भी पदस्थ बताये जा रहे हैं। उन्होंने अपने पिता के अच्छे कार्यों पर इस प्रकार से भूमाफियाओं से मिलकर पलिता लगाने का प्रयास किया है। यह जगह आज शिक्षा विभाग के अधीन है। अभी इसकी कीमत ७५ लाख रुपये के लगभग होती है।