अद्भुत जहां इंदौर में पहाड़ी पर ओरिजनल केसर की हो रही लहलहाती खेती
इंदौर के वरिष्ठ शिक्षाविद के साथ पर्यावरण विद डॉ. एस.एल गर्ग ने कर दिया कमाल
इंदौर। (शिवाजी मोहिते) जी हां, इंदौर के जीएसीसी कॉलेज से रिटायर प्रिंसिपल,पर्यावरणविद डॉक्टर शंकरलाल गर्ग की वर्षों पुरानी एक अद्भुत सोच ने सबको सोचने पर मजबूर कर दिया है।
गर्ग ऐसे व्यक्तित्व हैं जिन्होंने होलकर कॉलेज में प्रिंसिपल रहते हुए राष्ट्रपति अब्दुल कलाम को सबसे पहले इंदौर में शिक्षा के कार्यक्रम में लाकर सबको अचंभित भी कर दिया था। उन्होंने वर्षों पहले महू से आगे एक पहाड़ी खरीदी और उस बंजर पहाड़ी पर अपने सपनों की केसर की खेती कर सबको चौका दिया।
गर्ग मानते हैं कि यह सब ईश्वर के आशीर्वाद से ही संभव हो पाया है। उक्त पहाड़ का नाम केसर पर्वत ही रखा गया है। आज पहाड़ी पर विशाल कुंड-कुआ बनाकर लाखों पेड़-पौधों को जिंदा रखने का भी कार्य किया जाता है।
आज वह पहाड़ी एक खूबसूरत जंगल का रूप ले चुकी है। यहां 2500 से भी ज्यादा सागवान, पीपल के साथ अनेक प्रजाति के लाखों पेड़-पौधे हरियाली के रूप में अपनी छटा बिखर रहे हैं। महू की जामली ग्राम पंचायत से 2 किलोमीटर दूर केसर पर्वत है।
केसर की खुशबू आने के कारण इसका नाम केसर पर्वत रखा गया है। यहां विभिन्न प्रजातियों के 35 हजार पेड़ लगे हुए। जिनमें लौंग, इलाचयी, ड्रेगन फ्रूड, लीची, स्ट्राबेरी, सिंदुर के पौधे प्रमुख है। यहां 50 हजार पौधे लगाने का लक्ष्य निर्धारित किया है, जो जल्द ही पूरा कर लिया जाएगा।