देश में दिल के बीमार 34 प्रतिशत बढ़े, अमेरिका में 41 प्रतिशत घटे

नई दिल्ली (ब्यूरो)। देशभर के नागरिकों को लेकर किए गए अध्ययन में चौंकाने वाली रिपोर्ट सामने आई है। इसमें पाया गया है कि आधी आबादी अलाली की जिंदगी जी रहे हैं, एक घंटे भी एक्सरसाइज नहीं करते हैं। दूसरी ओर जहां भारत की 130 करोड़ की आबादी में 5 करोड़ से ज्यादा लोग दिल की बीमारी के मरीज हो गए हैं और इनकी संख्या में 34 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुुई है, जबकि अमेरिका में दिल के मरीजों में 41 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है। देश में दिल के मरीजों की संख्या बढऩे के पीछे पॉम आइल की बड़ी भूमिका बताई जा रही है। कई देशों में इसके खाने पर प्रतिबंध लगा हुआ है, जबकि भारत में इसकी खपत 34 प्रतिशत तक बढ़ गई है।
द लैंसट की स्टडी ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि 2022 में भारत में लगभग 50 फीसदी व्यस्क शारीरिक रूप से एक्टिव नहीं थे। अध्ययन में पाया गया कि भारत में पुरुषों (42 प्रतिशत) की तुलना में कहीं अधिक महिलाएं (57 प्रतिशत) शारीरिक रूप एक्टिव हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन सहित शोधकर्ताओं की एक अंतरराष्ट्रीय टीम ने कहा, उच्च आय वाले एशिया प्रशांत क्षेत्र के बाद वयस्कों के फिजिकली अनफिट के मामले में दक्षिण एशियाई क्षेत्र दूसरे स्थान पर है. विश्व स्तर पर पाया कि लगभग एक तिहाई वयस्क (31.3 प्रतिशत) शारीरिक गतिविधियों में शामिल नहीं रहते। अगर कोई वयस्क व्यक्ति एक सप्ताह में 150 मिनट से कम और अगर कोई किशोर एक सप्ताह में 60 मिनट से कम शारीरिक गतिविधि कर रहा था तो इसका मतलब है कि उसकी फिजिकल ऐक्टिविटी अपर्याप्त है और उसे एक्सर्साइज और शारीरिक गतिविधियों को बढ़ाने की जरूरत है।
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शोधकर्ताओं ने पाया कि भारत में, वर्ष 2000 में 22 प्रतिशत से कुछ अधिक वयस्क शारीरिक गतिविधियों में शामिल नहीं थे जबकि 2010 में, लगभग 34 प्रतिशत तक पहुंच गया। उन्होंने अनुमान लगाया कि अगर मौजूदा रूझान जारी रहते हैं तो 2030 में, 60 प्रतिशत वयस्क फिजिकली अनफिट हो जाएंगे। यह माना जाता है कि 2021 में भारत में 10 करोड़ लोग मधुमेह से पीडि़त थे, और उसी वर्ष लगभग 31 करोड़ लोगों को हाई ब्लड प्रेशर की समस्या थी। Heart diseases increased
अध्ययन के अनुसार, इसके अलावा, 25 करोड़ लोगों को मोटापा होने और 18.5 करोड़ लोगों को एलडीएल या ‘खराबÓ कोलेस्ट्रॉल का उच्च स्तर होने का अनुमान लगाया गया था। इधर फेडरल ड्रग एडमिस्ट्रेशन (अमेरिका) ने 2015 में भी ट्रांसफेटी एसिड पर रोक लगा दी थी। 2018 में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी इसे घातक बताया था। Heart diseases increased
भारत में दिल की बीमारी का मुख्य कारण तेजी से बढ़ रही पॉम आइल की खपत है। इसे ताड़़ का तेल भी कहते हैं। 52 प्रतिशत देशों ने इस पर रोक लगाने की मांग की है क्योंकि इसके निर्माण में बहुत धुआं होता है। इसका उपयोग भारत में हर तेल में मिलावट के रूप में किया जा रहा है। बाजार में मिलने वाले नमकीन सहित अन्य सामान इसी तेल की मिलावट से बन रहे हैं, जो आने वाले समय में विश्व में सबसे ज्यादा दिल की बीमारियों वाले देश में भारत का नाम आगे कर देंगे।