3000 करोड़ से ज्यादा के उद्योग दिवालिया होने की लाइन में लगे हैं, 269 को मंजूरी

पहले बैंकों को मिल रहे थे 100 रुपए में से 36 रुपए, अब मिल रहे हैं 27 रुपए

Industries worth more than Rs 3000 crore are in line for bankruptcy, 269 approved
Industries worth more than Rs 3000 crore are in line for bankruptcy, 269 approved

नई दिल्ली (ब्यूरो)। देश के ऐसे उद्योग जो चलने में सक्षम नहीं हो रहे हैं, उनके बंद करने के लिए सरकार द्वारा बनाए गए राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधीकरण (एनसीएलटी) में इस साल भी दिवालिया होने के लिए 987 उद्योगों ने आवेदन लगाए हैं, जबकि पिछले साल 2023 में यह संख्या 1263 रही थी।

दिवालिया होने वाले उद्योगों पर करोड़ों रुपए के कर्ज बैंकों के बकाया हैं। इन उद्योगों को बैंक कर्ज में बड़ी छूट देकर अपने रुपए की चवन्नी वसूल कर पा रही है। पिछले साल जहां ऐसे उद्योगों से 100 रुपए पर 36 रुपए मिल रहे थे, इस साल वह घटकर 27 रुपए रह गए हैं।

देशभर में बड़ी तादाद में करोड़ों रुपए का कर्ज लेकर कामकाज शुरू करने वाले औद्योगिक घराने अब उद्योगों के लगातार घाटे में जाने के बाद बैंकों सहित अन्य देनदारियों को समाप्त करने के लिए राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधीकरण में आवेदन लगा रहे हैं।

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पिछले साल 2023 में 1263 आवेदन आए थे, जिसमें से 179 को ही समाधान योजना में लिया जा सका है, जबकि इस साल 269 प्रकरणों को मंजूरी दी गई है, जिनसे बैंक दिए गए कर्ज का 100 रुपए में से 27 रुपए ही वसूल कर पाएगी। उल्लेखनीय है कि आम आदमी द्वारा लिए गए कर्ज को चुकाने के लिए उसे भारी भरकम ब्याज के साथ पेनल्टी, फाइल चार्ज सहित कई भुगतान भरना होते हैं।

इधर उद्योगपतियों के लिए दिवालिया होने या पैसे नहीं दिए जाने की स्थिति में सरकार और बैंक बड़ी छूट लगातार देते जा रहे हैं। इसे बैंकों की भाषा में हेयर कट कहा जाता है। नेशनल कंपनी लॉ ट्यूबनल एक अर्धन्यायिक निकाय है, जिसका गठन कंपनी के कर्ज संबंधित विवादों को निपटाने के लिए सरकार ने 2016 में गठित किया था। इसमें बड़ी तादाद में रियल इस्टेट कॉरोबारियों के अलावा देश के कई उद्योग बैंकों के कर्ज और देनदारियों से बचने के लिए पहुंच रहे हैं। bankruptcy

कोरोना समाप्त होने के बाद 2023 में बैंकों ने जहां 64 प्रतिशत तक कर्ज में हेयरकट दिया था तो वहीं इस साल और बढ़ती तादाद के कारण 73 प्रतिशत तक हेयरकट दिया गया है। हालांकि 2023 की अपेक्षा इस साल दिवालिया होने के लिए आवेदन लगाने वाले उद्योगों की संख्या में कमी आई है, पर फिर भी लगातार इनकी संख्या बढ़ती जा रही है।

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