अब की बार रेवड़ियां जोरदार

कांग्रेस और भाजपा की सरकारों में सीधे नकद देने के ऐलान

अब की बार रेवड़ियां जोरदार
अब की बार रेवड़ियां जोरदार

नई दिल्ली (ब्यूरो)। एक ओर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी लगातार राज्यों में दी जा रही सुविधाओं को रेवड़ी बताकर इस पर नाराजगी भी जाहिर कर चुके हैं तो दूसरी ओर आने वाले समय में 5 राज्यों में होने वाले चुनाव को लेकर जम कर रेवड़ियां कांग्रेस और भाजपा सरकार द्वारा बांटी जा रही है। अब चुनाव के पहले रेवड़ियों को लेकर तीन प्रकार के फ्लेवर देखने को मिल रहे हैं। इसमें अधिकांश राज्य सीधे बैनिफिट देने के लिए योजनाएं दे रहे हैं।

इसमें जहां मध्यप्रदेश की लाडली बहना तो तेलंगाना की महालक्ष्मी सम्मान योजना शामिल है। सभी जगहों पर गैस सिलेंडर पर सब्सिडी को लेकर घोषणाएं हो चुकी है। इधर केन्द्र सरकार भी मकानों को खरीदने के लिए ब्याज की बड़ी सब्सिडी देने जा रही है। इसके लिए 600 करोड़ का बजट बनाया गया है। दूसरी ओर देश पर 150 लाख करोड़ के कर्ज के कारण वित्त मंत्रालय पर इसका गहरा दबाव बना हुआ है। रिजर्व बैंक बाजार में मांग की कमी कम करने के लिए ब्याज दरें बढ़ाकर आम आदमी के खरीदने की क्षमता का गला घोंट रही है।

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चुनाव से पहले अब की बार रेवड़ियां जोरदार का देशव्यापी अभियान शुरू हो गया है। केन्द्र के तमाम विरोध के बाद खुद भाजपा की सरकारें ही रेवड़ी देने में जुट गई है। इसमें मध्यप्रदेश के सस्ते गैस सिलेंडर और लाडली बहना योजना के अलावा 6 और योजनाएं शामिल हैं। राजस्थान में सरकार की मिनिमम इनकम ग्यारंटी और सब्सिडी पर सिलेंडर के अलावा बेरोजगारी भत्ता सहित 8 योजनाएं चलाई जा रही है। छात्रों को सभी राज्यों में लेपटाप से लेकर स्कूटी तक बांटी जा रही है। तेलंगाना में कांग्रेस ने 5 ग्यारंटी दी है। इसमें केस बेनिफिट के अलावा 200 यूनिट बिजली फ्री के साथ गैस सिलेंडर 500 रुपए में दिया जा रहा है।

राज्यों में नकद लाभ देने की परम्पराओं के चलते सभी राज्यों के बजट बुरी तरह गड़बड़ा गए हैं और सभी भयानक कर्ज उठाते जा रहे हैं। दूसरी ओर केन्द्र सरकार भी अब विधानसभा और लोकसभा चुनाव के पहले कई बड़ी घोषणाएं करने जा रही है। इसे भी रेवड़ी ही माना जाना चाहिए पर मेरी रेवड़ी तेरी रेवड़ी से अच्छी की परम्परा के चलते लगातार अब कर्ज की गर्त में देश बढ़ रहा है। केन्द्र सरकार की सस्ते मकान की योजना में 50 लाख तक के मकानों पर 3 से 7 प्रतिशत ब्याज सब्सिडी दी जा रही है। देश में साढ़े 4 लाख छोटे मकान बने पड़े हैं जिनके खरीदार नहीं आ रहे हैं।

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