इंदौर। शहर में शासकीय भूमि हो या सड़क के किनारे पैदल मार्ग या फिर कॉलोनियों में बने उद्यान इन दिनों मंदिरों के अतिक्रमण का केंद्र बनते जा रहे हैं। नियमों के विपरित बन रहे इन मंदिरों को लेकर लगातार शिकायतें जहां बढ़ रही है वहीं आने वाले समय में जब भी सड़कों का कोई विकास कार्य करना होता है तो यह बीच में खंबे की तरह जगह घेर लेते हैं। पिछले दिनों सूर्यदेव नगर के बी-सेक्टर में बगीचे के अंदर बन रहे मंदिर को तोड़ा गया था इसे लेकर जहां नगर निगम के अधिकारियों ने चुप्पी साध ली थी किसके कहने से यह तोड़ा गया था यह भी कोई बोलने को तैयार नहीं था।
यह मामला जिलाधीश कार्यालय में चल रही जनसुनवाई के दौरान लगातार जिलाधीश तक क्षेत्र के लोगों द्वारा शिकायत के रुप में किया जा रहा था। इधर नगर निगम द्वारा तोड़े गये बेलेश्वर महादेव मंदिर का मामला भी गले की हड्डी बन गया है। इस मामले में मुख्यमंत्री खुद ही ऐलान कर चुके हैं दूसरी ओर इस क्षेत्र की तीन कॉलोनियों के रहवासी संघ लंबे समय से इस मंदिर को बगीचे से हटाने की लड़ाई लड़ रहे थे। यूं तो शासकीय भूमि पर धार्मिक स्थल निर्माण को लेकर ३६ साल से कानून बना हुआ है परंतु इसके बाद भी शहर में शासकीय भूमि पर पांच हजार से ज्यादा धार्मिक स्थल तन गये हैं।
शहर में धर्म के नाम पर हो रही राजनीति अब इतनी ज्यादा हो गई है कि किसी भी धार्मिक स्थल को जो शासकीय भूमि पर बिना किसी स्वीकृति के किया जा रहा है उसे रोकने को लेकर शासन में बैठे अधिकारियों ने अब हाथ डालने से पूरी तरह अपने आप को दूर कर लिया है। सूर्यदेव नगर के बी सेक्टर में बिना किसी अनुमति के बन रहे इस मंदिर को लेकर क्षेत्र के लोगों ने जनसुनवाई के दौरान जिलाधीश को शिकायत लगातार की थी इस पर उन्होंने ही नगर निगम को जब मंदिर हटाने के निर्देश दिये तो उन्होंने लिखित में पत्र चाहा था।
इसके बाद जिलाधीश ने अधिकारियों को नाराजगी व्यक्त करते हुए निर्देशित किया कि वे इसे तोड़े। परंतु जब मंदिर तोड़े जाने को लेकर राजनीति शुरु हो गई तो यह पता लगाया जाने लगा कि किसके आदेश से यह कार्रवाई की जा रही थी। इस मामले में नगर निगम के अधिकारियों ने चुप्पी साध ली थी। केवल वे इस मामले में आगे कोई कार्रवाई नहीं करने की बात करते रहे।
दूसरी ओर पटेल नगर के बेलेश्वर महादेव मंदिर में भी नगर निगम ने अभी तक कोई अनुमति नहीं दी है। अधिकारियों ने भी कहा है कि वे खुद ही बना ले। इधर अब कांग्रेस भी अब धरम-करम की राजनीति प्रारंभ कर चुकी है। अब कांग्रेस के प्रमोद द्विवेदी ने दावा किया कि आज जेसीबी लेकर एक बार फिर ६० फीट रोड़ चौराहे पर बने भेरु मंदिर को तोड़ने के लिए जेसीबी पहुंची थी। मंदिर तोड़ने के लिए पहुंची जेसीबी के ड्रायवर ने कहा शासन का आदेश है। परंतु जयसियाराम के नारे लगने के कारण ही और हल्ला मचने के कारण यह मंदिर नहीं तोड़ा जा सका।
शासकीय भूमि पर धार्मिक स्थल खड़ा करना जुर्म
किसी भी स्थान पर शासकीय भूमि हो या सड़क कहीं पर भी अवैध धर्म स्थल का निर्माण रोकने के लिए वर्ष १९८४ में कानून बनाया था जिसे २४ अक्टूबर २००१ में औह सशक्त किया गया। इसमे धार्मिक स्थलों की आड़ में अवैध निर्माण करने और वसूली कामकाज नहीं हो पाये इसे लेकर अपराधिक प्रकरण दर्ज करने का प्रावधान भी किया गया था।
छह माह की सजा और जुर्माना
शासकीय भूमि पर जिस भी व्यक्ति द्वारा अवैध कर्मस्थल का निर्माण किया जाता है उस पर पुलिस को यह अधिकार दिया गया है कि वह उस पर मुकदमा दर्ज कर छह माह का कारावास और तीन हजार रुपये तक जुर्माना वसूल कर सकती है। इसके अलावा धर्म स्थल हटाने का खर्च भी उसी से वसूला जाता है।
अधिकार जिलाधीश को
अवैध धर्मस्थलों को लेकर सुनवाई का अधिकार जिलादीश को होता है और वे सुनवाई के बाद शासकीय भूमि पर किये गये अवैध धार्मिक स्थल को हटाने का आदेश दे सकते हैं। सूर्यदेव नगर में भी यही मामला रहा था। यहां पर बन रहे मंदिर में मूर्ति स्थापित नहीं हुई थी।