मप्र वक्फ बोर्ड की नज़रें तिरछी हैं आजकल। किसी अतिक्रमणकारी या वक्फ जायदाद को नुकसान पहुंचाने वाले के लिए तो है ही साथ ही नजरों का तिरछापन कुछ और लोगो के लिए भी आया है शाही औकाफ की अरबों रुपए की मिल्कियत पर। एक सप्ताह में दो नोटिस थमा दिए गए हैं। नए सदर साहब की तेज रफ्तार को केंद्रीय भाजपा संगठन के इशारों की बानगी बताया जा रहा है। इसी के साथ साहब के विरोधी भी साहब की तरफ उम्मीद भरी नजरों से देख रहे है, लेकिन साहब ने सोच रखा है कि अब किसे उम्मीद से करना है,ओर किसे ना उम्मीद मतलब बत्ती मिलते ही उन लोगो की लिस्ट भी तैयार कर ली गई है , जिन्हें बत्ती देना है,
चट भी मेरी पट भी मेरी अंटा मेरे बाप का…
अल्पसंख्यक मोर्चे में नगर टीम में कांग्रेसियो की नियुक्तिओ को लेकर इंदौर भोपाल एक कर चुके नासिर अब हज कमेटी में कोंग्रेसी को जिला अध्यक्ष पद दिल लाये जिससे छोटे नेता नाराज है, बात सामने आ रही है कि हज जिला अध्यक्ष के लिए साहब बिचोलिये बने थे, दरी बिछाऊ नेता अब दबी जबान में कह रहे है,की पार्टी के नेताओं को दुसरे पार्टी के नेता डेमेज नहीं करते बल्कि उसी दल के नेता उन्हे नुकसान पोहचाते है। यही हाल है भाजपा अल्पसंखयक नेताओं का हो रहा है, इन्दौर वरिष्ठ नेताओं को बड़े बड़े पद मिले, केबिनेट मंत्री, अजमेर कमेटी चेयरमैन ,प्रदेश हज कमेटी से लेकर मोर्चा प्रदेश अध्यक्ष, तक कई कई बार पर पद पाने वालो ने अपने निचे ड्ढ टीम को कभी आगे नहीं बढाया इसलिए इंदौरी भाजपाई ना इन्हे बुलाते है ना इनका फोटो देते है एक आदमी भी इनके साथ नज़र नहीं आता ,अपने बच्चो के साथ ही कर्यक्रमो में कुर्शी तलाशते रहते है। वैसे साहब ने वक्फ बोर्ड नगर अध्यक्ष रहते हुवे अच्छी तरक्की कर ली है ओर साहब यही गीत गाते रहते है कि चट भी मेरी पट भी मेरी ओर अंटा मेरे बाप का।
सदर बाजार की सड़क पर कसरत करेंगे हाजी
दो महीने से खुदा पड़ा सदर बाजार रोड राहगीरों को खूब थका रहा है।आए दिन यहां से निकलने के लिए लोगो को बड़ी कसरत करने पड़ रही है। लोग अब थक चुके है। शहर काजी डॉ इशरत अली भी इसी उबड़ खाबड़ रास्तो के बीच बनी मुख्य ईदगाह में चार बार नमाज़ अदा करा चुके है। हर बार अधिकारियों से गुजारिश होती है कि ये बड़ी महत्वपूर्ण सड़क है इसे बनवा दी जाय लेकिन नतीजा नही निकलता। काज़ी साहब भी कोशिशें कर के थक चुके है। कई मुस्लिम संगठनों ने भी इस सड़क के लिए आवाज़ उठाई लेकिन ज्यादा ऊपर तक नही जाती। अब हज के दिन आ रहे है ,और इसी सड़क पर इमबोरकेशन पॉइंट भी है। लाज़िम है कि अब हाजी भी थकने वाले है । इतना ही नही हाजियो के हज़ारों परिजनों को भी इस सड़क से गुजरने के लिये थकना पड़ेगा। लोग कहते है निज़ाम संभाल रहे अधिकारियों की थकान मिठे तो जनता की थकान मिटाने पर काम शुरू हो।
खतरा नम्बर। 205,
खजरने में ग्राम कनाड़िया के खसरा नम्बर 205 ,जिसमे वक्फ की जमीन को बाले बाले बेच दिया गया और रजिस्टिरि भी करा दी गई अब वो खसरा कई लोगो के लिए खतरा बना गया है , वक्फ की बेशक़ीमती जमीन को खुर्द बुर्द करने में बड़े बड़े नाम सामने आ रहे है , जो कि खजरने के साथ साथ शहर में सफेद कुर्ते पाजामे में खुद को पाक साफ बताते है ,अब उनके लिबास दागदार होने वाले है, जब तक वक्फ की मिल्कियत बेचने वाले ओर बिकवाने वालो पर करवाही नही हो जाती ये सुधरने वाले नही । जल्द हो इन पर करवाही कराई जयगी।
साहब सिर्फ तमगे तक
अध्यक्ष की कुर्सी चाहिए। मंत्री वाला तमगा और इसके मुताबिक सुविधाओं की भी ख्वाहिश। कार भी आलीशान और बंगला भी सम्मान वाला मिल जाए। बात जब इस सीट से जुड़े काम की आई तो साहब को घर की याद आ गई। प्रदेश के हाजी 53000,( इंदौर मुम्बई) के बड़े फर्क की बड़ी रकम से हाजी बड़े परेशान हैं, कई बातों के लिए हैरान हैं, यहां वहां तांक झांक रहे हैं, भोपाल के चक्कर भी काट रहे है, कि कोई उनकी पुकार सुन ले, साहब हों तो सुनें! किसी ने पूछा, कि ऐसे किस तरह जिम्मेदारी पूरी होगी? जवाब आया जैसे अल्पसंख्यक मोर्चा में पूरी कर रहे थे! सवाल फिर उठा, वहां क्या किया, क्या करते थे, क्या कर रहे हैं? जवाब आया कुछ भी नहीं…!!!