गुस्ताखी माफ़: आर के के वीडियो लाखों ने क्या देखे….आ गई अप्सरा….अब भाजपा के बड़ी बयार शुरू होगी…

gustakhi maaf

आर के के वीडियो लाखों ने क्या देखे….

पिछले दिनों आरके स्टूडियो के भिया की एक शार्ट फिल्म सोशल मीडिया पर जारी हो गई। चाहने वाले इतने हैं कि चंद घंटों में ही उसके देखने वालों की संख्या लाखों में पहुंच गई। आरके स्टूडियो के मुख्य निर्माता-निर्देशक दादा और भिया की यूं तो ऐसी शार्ट फिल्में कम ही आती हैं। अब किसी ने यह शार्ट फिल्म गुगल पर भी डाल दी। हालत यह हो गई कि गुगल वाले इसमें भी विज्ञापन दिखाने लगे। जो भी हो, इस शानदार नृत्य में यह समझ नहीं आ रहा था कि कौन किसकी ऊंगली पर नाच रहा है। हालांकि हमारा मानना है कि हर राजनेता और व्यापारी और अधिकारी का अपना एक निजी जीवन भी होता है, जिसमें बिना अनुमति झांकने का अधिकार किसी को नहीं है। परंतु सोशल मीडिया पर यह सब बातें समझाना मुश्किल है। पत्रकारिता के कुछ सिद्धांत हैं इसीलिए अकल वाले मीडिया घरानों ने कुछ नहीं दिखाया। हालांकि इसके बाद भिया भी जाग गए कि कहीं ऐसा न हो कि अभी तो रामायण मंडलों या भजन कार्यक्रमों में जाने पर दो-तीन भजन ही गाना पड़ते हंैं, कहीं ये नई व्यवस्था माथे आ गई तो दो-चार बारात और दो-चार शादियों में इस उमर में बिना बात के कमर मटकानी पड़ जाएगी। वहीं इसके बाद आर के स्टूडियो से नए फरमान में यह भी तय हो गया कि अब यदि किसी समारोह में ऐसे हालात आ गए तो पहले छुट भैय्ये मोबाइलधारकों के मोबाइल हटवा दिए जाएं, ताकि पारिवारिक आयोजनों का अकारण प्रचार प्रचार न हो। वैसे भी भिया से शहर के लोगों का प्रेम इतना है कि उनका बस चले तो दिनभर ही चिपटे रहे। इस मामले में दादा दयालू ने पहले दिन से ही लाइन खींच रखी है। वे केवल डायरेक्शन देते हैं कि कौन कहां नाचेगा और कौन अब मेरी ऊंगली पर नाचेगा। उनका आलम यह है कि वे किसी गली से भी निकल जाएं तो बिना बात के ही नाच-गाना शुरू हो जाता है। इसी लिए उनके विरोधी भी उनकी उंगली से डरते हैं।

आ गई अप्सरा….

अंतत: लम्बे समय बाद एक बार फिर पूरी तरह सज संवरकर अप्सरा आ रही है। कई दिलों की धड़कन और लम्बे समय तक आत्मा तृप्त करने वाली अप्सरा कोरोना काल में ऐसी नदारद हुई कि उसके चाहने वाले उस तक पहुंचने के लिए चक्कर लगाते रहे। कुछ पता लगाते रहे कि आखिर अप्सरा को हुआ क्या है? वैसे भी उसे हाथों पर रखने वाले एक मिनट भी अकेला नहीं छोड़ते थे। अब फिर उसके चाहने वालों के लिए यह खुशखबरी है कि वह इस बार पूरे श्रंृगार के साथ नए लटके-झटकों के साथ फिर से उसी परिसर में, उसी जगह पर पहुंच रही है। अभी भी अप्सरा के आंगन में जाने वाले उसे भूलते नहीं हैं। कहते हैं जो लजीज बात अप्सरा में है वह कहीं और नहीं। तो फिर इंतजार खत्म, अगले कुछ दिनों में एक बार फिर रविन्द्रनाट्यगृह परिसर में उसी अदा के साथ मिलने को तैयार है।

अब भाजपा के बड़ी बयार शुरू होगी…

मालवा निमाड़ के भाजपा के कद्दावर नेता रहे दीपक जोशी जहां कांग्रेस में आने का मन बना चुके हैं, वहीं उनके लिए विधानसभा सीट को लेकर भी तैयारी शुरु हो गई है। कांग्रेस उन्हें महू या बड़नगर से उम्मीदवार बना सकती है। माना जा रहा है कि दोनों ही सीटें भाजपा के उम्मीदवारों के कमजोर रहने के कारण कांग्रेस को लाभ मिलेगा। हालांकि भाजपा अभी भी उन्हें आश्वाशनों पर ही लटका कर रखना चाह रही है। पांच अप्रैल को दीपक जोशी की पत्नी की स्मृति में एक कार्यक्रम हो रहा है उसके बाद उनसे भाजपा के नेता चर्चा करंगे। मालवा के एक ओर भाजपा के वरिष्ठ नेता भी कांग्रेस के संपर्क मेंआ गये हैं। इधर दीपक जोशी ने सरकारी बंगला खाली कर यह बता दिया है कि वे अब वापसी के मूड में नहीं हैं। इसी के साथ एक और बड़े नेता के कांग्रेस में जाने को लेकर तैयारी हो चुकी है। समय का इंतजार हो रहा है। भाजपा कार्यकर्ता से कोई बातचीत को तैयार नहीं है। बड़े नेता केवल अपना ज्ञान बघारने के लिए ही कार्यकर्ताओं का उपयोग कर रहे हैं।

सत्तन गुरु उवाच… हाय खा रही है

भाजपा के भीष्म पितामाह के अब बोलने का समय आ गया है। फिर नेता कहेंगे कि वे अकारण बोल रहे हैं, पर उनके बारे मे कहा जाता है कि हम बोलेगा तो बोलेंगे कि बोलता है… परंतु अब भाजपा के कद्दावर नेताओं के धीरे-धीरे पार्टी से बाहर होने को लेकर वे भी प्रखर होने लगे हैं। कल उन्होंने दो टूक कहा कि झूठ बोलना और लल्लो – चप्पों करना मेरा काम नहीं। शेखावत के कांग्रेस जाने की चर्चा पर उन्होंने यह भी कहा कि भाजपा के आगे चलकर बुरे हाल होने वाले हैं, अभी तो दो ही लोगों की ही बात सामने आई है, आगे चलकर इसमें असंख्य जीरो लगेंगे, भाजपा को वरिष्ठ नेताओं की हाय खा जाएगी।

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