नई दिल्ली (दोपहर आर्थिक डेस्क)। रिजर्व बैंक गर्वनर ने बैंकों को आगाह किया है कि वे मौजूदा सुरक्षा घेरा और मजबूत कर ले साथ ही रिजर्व बैंक भी अब बैंकों की निगरानी बढा रहा है। अभी जो सुरक्षा का घेरा बना हुआ है वह भविष्य के लिए पर्याप्त नहीं है। बैंक लगातार महंगे ब्याज पर कर्ज उठाकर अपना कामकाज चला रही है। इधर दूसरी ओर इस साल डूबत ऋणों की फेहरिस्त भी अगले 6 माह में जारी होना चालू हो जाएगी। यह दूसरी साइकिल होगी। वहीं बैंकों के असुरक्षित लोन में हुई भारी वृद्धि से भी आरबीआई चिंतित है। आरबीआई ने बैंकों को निर्देश दिए हैं कि वे बिना पर्याप्त जमानत ऋण नहीं दे। अभी क्रेडिट कार्ड और पर्सनल लोन महंगे ब्याज के बाद भी बढ़कर 2.49 लाख करोड़ हो गए हैं। इनमें से बड़ी राशि डूबने की संभावना बनी हुई है।
रिजर्व बैंक गर्वनर ने एक कार्यक्रम के दौरान बैंकों को चेताते हुए कहा कि वे तय लिमिट से ज्यादा अपने पास पैसा रखे। अभी जो पूंजी रखने के नियम बने हुए है वे सुरक्षा के लिए अब पर्याप्त उपाय नहीं है। आरबीआई गर्वनर शशिकांत दास ने अपने उद्बोधन में कहा कि अन्य देशों में यानि अमेरिका में भी लगातार बैंकें डूब रही है, जो पूरे विश्व पर प्रभाव डालेगी। इधर उल्लेखनीय है कि सूत्र बता रहे है कि बैंकों के भीतर किसी भी समय बड़ा झटका आ सकता है। इसके मुख्य कारण यह है कि पिछले 2 साल से सरकार ने बैंकों के लिए कोई राहत जारी नहीं की है। किसी प्रकार की पूंजी बैंकोंमें नहीं डाली गई है।
रिजर्व बैंक ने दो बार 84 हजार करोड और 1 लाख करोड रुपए बैकों के लिए जारी किए है। छोटी बैकों की स्थिति यह है कि वह अपना काम चलाने के लिए दूसरी बैकों से 6 से 7प्रतिशत पर कर्ज उठा रही है। यह कर्ज 2 से 4 दिनों के लिए लिया जाता है। बैकों ने 30 प्रतिशत से ज्यादा कर्ज उठा रखे है। वहीं दूसरी ओर मंदी के संकेत के बीच महंगाई की मार को लेकर भी बैंकों में चिंता है। इसका कारण यह है कि यदि ब्याज दरें कम होना शुरू हुई तो बैकों द्वारा ज्यादा ब्याज पर उठाए कर्ज की भरपाई कठिन हो जाएगी। अभी एसबीआई ने 9 प्रतिशत ब्याज दर पर 16 हजार करोड रुपए एकत्र करने के लिए बांड जारी किए है। इसके पहले यूको बैंक भी यही कदम उठा चुकी है। इधर अमेरिका से खबर आ रही है कि एक ओर बैंक फस्ट रिपब्लिक बैंक भी दिवालिया घोषित हो चुकी है। इसका असर आज शेयर बाजार पर भी दिखा।
पांच साल में उद्योगों से 1 लाख 3 हजार ही
वित्त मंत्रालय ने बैंकों को चेताया है कि वह बट्टे खाते में जा रहे ऋणों से वसूली बढ़ाएं। पिछले पांच साल में बैंकों द्वारा उद्योगपतियों को दिए गए 7.34 लाख करोड़ रुपए डूबत खाते में डाल दिए हैं। इन डूबत खातों में से मात्र 14 प्रतिशत ही वसूली बैंकें कर पाई हैं। 1 लाख 3 हजार करोड़ रुपए ही बैंकों को वापस मिले हैं। वित्त मंत्रालय ने अब इन्हें लेकर बैंकों को सतर्क किया है।
13 लाख करोड़ एनबीएफसी ने
बैंकों से कर्ज उठाकर बिना ज्यादा जांच किए छोटे-छोटे कर्ज देने वाली फायनेंस कंपनियों ने भी असुरक्षित लोन में 13.2 लाख करोड़ रुपए कर्ज दे रखा है। बैंकों के लिए भी यह कर्ज चिंता का विषय बन रहा है। इनमें से कई फायनेंस कंपनियां अपने कर्जों की वसूली में सफल नहीं हो पा रही हैं। वहीं बैंकों द्वारा बिना जमानत क्रेडिट कार्ड और पर्सनल लोन में 2.5 लाख करोड़ रुपए कर्ज दे रखा है। बांट रखे हैंवापस आए