गुस्ताखी माफ़: पितृ के पर्वत पर हलचल….परशुरामों के बीच राजनीति भी…

 गुस्ताखी माफ़: पितृ के पर्वत पर हलचल....परशुरामों के बीच राजनीति भी...

पितृ के पर्वत पर हलचल

इन दिनों पितृ के पर्वत पर चहल पहल दिखाई देने लगी है। हम नहीं कह रहे भाजपा के ही संगठन से जुड़े नेता मान रहे हैं कि पितृ इस बार कुछ नया करने की तर्ज पर काम कर रहे हैं। इसी के आधार पर पिछले दिनों पर्वत पर भाजपा के संगठन के पदाधिकारियों का भोज भी हुआ हालांकि यहां पर भोजन भंडारे एक सामान्य प्रक्रिया है परंतु बीच बीच में असामान्य लोग याने प्रतिष्ठित लोग भी यहां नमक का आनंद ले रहे हैं। इसे देखते हुए संगठन के ही बड़े नेता जो पितृ की प्रणाली को जानते हैं उनका कहना है कि आने वाले समय में कोई बड़ा ऐलान इंदौर के लिए हो सकता है। अब क्या होगा थोड़ा बहुत अपन को भी पता लगाना पड़ेगा।

परशुरामों के बीच राजनीति भी…

पिछले दिनों शहर के तमाम ब्राह्मण संगठनों की शोभायात्रा बड़ा गणपति से प्रारंभ होना थी शोभायात्रा के निर्धारित समय पर महापौर दूसरी शोभायात्रा में शोभा बड़ा रहे थे इसके चलते शोभायात्रा के आयोजक लटके रहे परंतु इस बीच एक नाटकीय घटनाक्रम में क्षेत्र क्रमांक १ के पूर्व विधायक सुदर्शन बाबू सैकड़ों साथियों के साथ यहां पहुंच गये यह बात परशुराम यात्रा के आयोजकों को हजम नहीं हुई। कुछ समय बाद इसे लेकर नारेबाजी भी की गई यह बात कई ब्राह्मणों को जो उस शोभायात्रा में शामिल थे उन्हें नागवार गुजरी।

उनका मानना था कि शोभायात्रा में भगवान परशुराम को लेकर कोई राजनीति नहीं होना चाहिए। दोस्त और दुश्मन सबसे लिए दरवाजे इस शोभायात्रा में खुले हैं। यह हरकत बताती है कि कितनी छोटी मानसिकता परशुराम शोभायात्रा के आयोजकों की है। हर जगह राजनैतिक लाभ उठाने का प्रयास किसी भी शोभायात्रा आयोजकों को शोभा नहीं देता है। वैसे भी यह शोभायात्रा लंबे समय से मु_ीभर लोगों द्वारा जारी फतवों के आधार पर निकलती है।

कांग्रेस का नाटक कर्नाटक के बाद


कर्नाटक चुनाव के बाद ही अब इंदौर में नगर अध्यक्ष को लेकर नाटक शुरु होगा। अभी तो दावेदार अपने अपने हिसाब से बिना आंगन देखे ही नाच रहे हैं। यह अलग बात है कि समझ ये नहीं आ रहा है कि नाच गलत है या आंगन टेड़ा है जो भी हो पर एक मामूली से निर्णय को लेकर पिछले तीन महीनों से इंदौर में कांग्रेस फैसला नहीं ले पा रही है। यह बताता है कि फैसले लेने वाले खुद ही कितने कमजोर है और आपस में कितनी खींचतान है। इन सबके बाद भी अभी भी अरविंद बागड़ी ने मैदान नहीं छोड़ा है वे इन दिनों दिल्ली में नाच रहे हैं। इस उम्मीद से कि आंगन में उनका नाम आ जायेगा। वैसे भी पूरी कांग्रेस इन दिनों उम्मीद से ही है।

हाकीम को ही हो गई चिंता…

नगर के प्रशासनिक अधिकारियों और जन प्रतिनिधियों के साथ पिछले दिनों रेसीडेंसी में एक बड़ी बैठक आयोजित हुई जिसमे सांसद से लेकर विधायक और कलेक्टर से लेकर नगर निगम आयुक्त और पुलिस आयुक्त भी मौजूद रहे इस बैठक में शहर में फैल रहे नशे के कारोबार को लेकर बड़ी चिंता व्यक्त की गई यह भी बताया गया कि नाइट कल्चर के कारण शहर में ड्रग का कामकाज भी बड़ा है। अब सवाल उठ रहा है कि इसे सरकार की उपलब्धियों में गिना जाये या नहीं क्योंकि बीस साल से मध्यप्रदेश तो सरकार तो उन्हीं लोगों की है जो इस कारोबारको लेकर चिंता कर रहे हैं। यह काम तो कांग्रेस का होना चाहिए था जो कर नहीं रहे हैं। यह ऐसा लग रहा है कि जिन्हें फैसला लेना हो वे ही फैसले की चिंता कर रहे हैं।

-9826667063

You might also like