इंदौर। कर्नाटक चुनाव के परिणामों का आभास होने के साथ ही संघ के सर्वे के बाद आईबी की रिपोर्ट ने भाजपा संगठन के हाथ पांव फुला दिए है। दूसरी ओर दोनों ही रिपोर्ट में सिंधिया के लगभग सभी उम्मीदवार बुरी तरह हार रहे हैं। अब सिंधिया के सामने एक ही विकल्प है कि वे नए उम्मीदवार का नाम भाजपा के खेमे से ही दे। दूसरी ओर यह भी तय हो गया है कि तीन से चार बार जीते कई विधायक मैदान से हट जाएंगे या उन्हें ऐसे क्षेत्रों में जाना होगा जहां कांग्रेस लगातार जीत रही है। इधर पिछले चुनाव में हारे उम्मीदवारों को लेकर भी संगठन बड़ा फैसला ले चुका है। इस बार उन्हें मैदान में नहीं उतारा जाएगा।
मध्यप्रदेश में भाजपा गुजरात की तरह रिकार्ड जीत दर्ज करने का दावा कर रही थी, लेकिन सत्ता, संगठन और संघ के बाद इंटेलीजेंस की सर्वे रिपोर्ट ने पार्टी की नींद उड़ा रखी है। इस रिपोर्ट के अनुसार मप्र में आधे से ज्यादा मंत्री-विधायकों की स्थिति खराब है। ऐसे में 70 से ज्यादा विधायकों के टिकट कटने की स्थिति बन गई है। दूसरी ओर भाजपा कर्नाटक की तरह यहां पर भी बगावत देख सकती है। खासकर सिंधिया समर्थक उम्मीदवारों को लेकर यह माना जा रहा है। इस स्थिति में भाजपा में बड़ी बगावत होगी। इसको देखते हुए संघ ने मोर्चा संभाल लिया है और सत्ता और संगठन को चेतावनी दी है कि जितने टिकट कटेंगे, उतने बागी होंगे। इसलिए खराब प्रदर्शन वाली सीटों पर नए चेहरों की तलाश तेज की जाए। इस तलाश में भाजपा के नेताओं के बेटे-बेटियों की लॉटरी लग सकती है।
गौरतलब है कि तमाम सर्वे रिपोर्ट के बाद सत्ता और संगठन मप्र में पहले से ही सक्रिय हैं। अब संघ ने भी पूरी तरह मोर्चा संभाल लिया है। खुद संघ प्रमुख मोहन भागवत ने अपना फोकस मप्र पर कर रखा है। अभी हाल ही में संघ ने अपने स्वयंसेवकों से पिछले 2 माह के अंदर जो सर्वे करवाया है, उसके अनुसार पार्टी मप्र में 100 का आंकड़ा भी पार नहीं कर पा रही है। स्वयंसेवकों ने सर्वे रिपोर्ट में कहा है कि शिवराज सरकार द्वारा मतदाताओं को लुभाने के लिए जो मुफ्त की रेवड़ियां बांटी जा रही है उसका भी असर नहीं दिख रहा है।
40 फीसदी नए चेहरों पर दांव प्रदेश में चुनाव जीतने को आतुर भाजपा कई कड़े और महत्वपूर्ण फैसले लेने वाली है। प्रदेश में भाजपा के लिए जमीन पर काम कर रहे पार्टी सूत्रों का दावा है कि सबसे पहले भाजपा 90 से 100 नए विधानसभा उम्मीदवारों पर दांव लगाएगी।
भागवत समेत पूरे संघ ने बढ़ाई सक्रियता माना जा रहा है कि इसीलिए आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत अचानक एमपी में सक्रिय हो गए हैं। भागवत इसी साल होने वाले मप्र विस चुनाव से पहले अलग-अलग क्षेत्रों का दौरा कर रहे हैं।
बड़े पैमाने पर कटेगा टिकट संघ सूत्रों के अनुसार अभी तक जितने भी सर्वे कराए गए हैं भाजपा सीटें 85 के अंदर ही आते दिख रही है। इसलिए इस बार बहुत बड़े पैमाने पर विधायकों की टिकट काटी जाएंगी। भाजपा के एक पदाधिकारी का कहना है कि पिछले चुनाव में ही 50 विधायकों की टिकट कटनी थी, लेकिन एक बड़े नेता अड़ गए। उनकी जिद की वजह से किसी की टिकट नहीं काट पाए। इस बार संगठन किसी के दबाव में नहीं आएगा, क्योंकि पिछला चुनाव हार गए थे।
सिंधिया समर्थकों पर खतरा आईबी की रिपोर्ट से ंिसंधिया समर्थकों की स्थिति ओर बिगड गई है। रिपोर्ट मेंं बताया है कि खुद भाजपा के कार्यकर्ता ही इन उम्मीदवारों को जीतने नहीं देंगे। इसका कारण इन मंत्रियों का व्यवहार है। ऐसे में अब ज्योतिरादित्य सिंधिया को नए उम्मीदवारों के लिए भाजपा मेें ही तलाश शुरू करना होगी।