MP CONGRESS: इस बार कांग्रेस का युवा नेतृत्व मैदान मेंं दिग्गजों से दो-दो हाथ करेगा

कांग्रेस और भाजपा दोनों की ही नजरें मालवा-निमाड़ की 66 सीटों पर

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इंदौर। मालवा निमाड़ अंचल में 66 में से 45 सीटों पर पार्टी ने जितने का लक्ष्य तय किया है इसको लेकर पार्टी ने युवा चेहरों के हाथो में कमान देने का निर्णय लिया है जिसके चलते दिग्विजय सिंह के पुत्र जयवर्धन सिंह जो अभी राजगढ़,गुना से लेकर चंबल संभाग में सक्रिय है वह अब मालवा निमाड़ में भी सक्रिय नजर आयेंगे वही अरुण यादव के अनुज सचिन यादव भी मालवा निमाड़ की राजनीति में अच्छा खासा दखल रख रहे है। खरगोन से विधायक रवि जोशी कमलनाथ की कोर टीम के सदस्य है।

सुरेश पचोरी का वरदहस्त प्राप्त विधायक संजय शुक्ला ब्राह्मण वर्ग में अपनी पैठ बनाकर इंदौर और आस पास के क्षेत्रों में काफी लोकप्रिय है। खाती समाज के साथ युवाओं में अपनी अलग पहचान बना रहे जीतू पटवारी के साथ पूर्व युवा कांग्रेस अध्यक्ष कुणाल चौधरी,सक्रिय है वही केलोता और नायता पटेलो में सत्यनारायण पटेल कमान संभाल रहे है। मालवा अंचल के आदिवासी क्षेत्रों में उमंग सिंघार, हनी बघेल,कुलदीप सिंह बुंदेला,विक्रांत भूरिया,उज्जैन तराना से विधायक महेश परमार यह वो नाम है जिनके कंधों पर महत्वपूर्ण जवाबदारी दी गई। यह सभी तीन-तीन सीटों पर उम्मीदवार के साथ ताकत भरेंगे। मालवा-निमाड़ में इस बार कमलनाथ और दिग्विजयसिंह, कांतिलालभूरिया भी अभी से रणनीतिक तैयारी शुरु कर चुके हैं। उनका लक्ष्य ग्रामीण विधानसभा सीटें है।

मध्यप्रदेश में मालवा निमाड़ एक ऐसा क्षेत्र है जो तय करता है कि मध्यप्रदेश की सत्ता पर कौन काबिज होने जा रहा है। यह ऐसा इलाका है जहां से सत्ता का रास्ता भोपाल के वल्लभ भवन तक पहुंचता है। ये क्षेत्र हर बार सत्ता की चाबी साबित होता है। लगता है कि इस बार भी कुछ ऐसा ही हुआ।

जब से छत्तीसगढ़ अलग राज्य बना है, मालवा-निमाड़ मध्यप्रदेश का एक तरह से किंगमेकर बन गया है। जिस पार्टी को यहां कामयाबी मिलती है, उसी का राजतिलक होता है। मालवा-निमाड़ में 66 सीटें कुल 230 सीटों वाली प्रदेश विधानसभा में मालवा-निमाड़ अंचल की 66 सीटें शामिल हैं। मालवा-निमाड़ में 15 जिले, और 2 संभाग आते हैं। ये जिले हैं इंदौर, धार, खरगौन, खंडवा, बुरहानपुर, बड़वानी, झाबुआ, अलीराजपुर, उज्जैन, रतलाम, मंदसौर, शाजापुर, देवास, नीमच और आगर। पश्चिमी मध्यप्रदेश के इंदौर और उज्जैन संभागों में फैले इस अंचल में आदिवासी और किसान तबके के मतदाताओं की बड़ी तादाद है। मालवा-निमाड़ का चुनावी महत्व इसी बात से समझा जा सकता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के साथ कांग्रेस प्रमुख राहुल गांधी ने भी चुनाव प्रचार के दौरान इस क्षेत्र में बड़ी रैलियों को सम्बोधित किया है

। 2013 के चुनाव में भाजपा ने 57 सीटों पर कब्जा जमाया था, कांग्रेस सिर्फ 9 सीटें जीत सकी। सीटों का यही अंतर भाजपा की सरकार बनने में सबसे महत्वपूर्ण साबित हुआ। अपने बुरे दिनों में भी भाजपा कहीं जमी रही तो इसी इलाके में। लिहाजा भाजपा और कांग्रेस दोनों के लिए मालवा-निमाड़ सबसे महत्वपूर्ण साबित होता रहा है। दोनों ही दलों ने अपनी-अपनी ताकत इस हिस्से में झोंकी। 2018 के चुनाव में कांग्रेस के दिग्गज नेता दिग्विजय सिंह,ज्योतिरादित्य सिंधिया, अरुण यादव,कांतिलाल भूरिया,सज्जन सिंह वर्मा ने मालवा निमाड़ में कांग्रेस को अच्छी बड़त दिलवाते हुए कमल नाथ जी की सरकार बनवा दी थी। परंतु ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनके समर्थक विधायको के पाला बदल करने से कांग्रेस की सरकार 15 माह भी नही टिक सकी।

इस बार मालवा-निमाड़ के 15 जिलों की 66 सीटों के साथ 230 विधानसभाओं में कांग्रेस के युवा नेताओ के हाथो में होगी कमान। भोपाल सूत्रों की माने तो इस बार कमलनाथ जी का झुकाव युवा नेतृत्व को आगे रख चुनाव लड़ने का है इसको लेकर संगठनात्मक स्तर पर भी नए युवा चेहरों को मौका दिया जा रहा है। साथ ही हर जिले बनाए गए संगठन प्रभारियों को भी सख्त निर्देश दिए है की वो अपने जिलों में काम कर रहे कार्यकर्ताओं की रिपोर्ट बनाकर समय समय पर अवगत करवाएं कांग्रेस में रहकर संगठन को नुकसान पहुंचा रहे एवं अनुशासनहीनता करने वालो पर भी विशेष नजर रखी जा रही है। 2018 के चुनाव की बात करे तो जय आदिवासी संगठन के नेता डाक्टर हीरा लाल अलावा जो अभी विधायक है ने कांग्रेस का साथ देकर आदिवासी बहुल इलाकों में कांग्रेस को बड़ी बड़त दिलवाई थी। परंतु इस बार उनके सुर बदले हुए है जो आने वाले चुनावी महासंग्राम में कांग्रेस के लिए मुश्किलें पैदा कर सकता है।

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