गुस्ताखी माफ़: इधर कपड़ों का रोना, उधर लंका बस गई… आहो! गौरव तूमी चिन्ता न को करा…काम कराए तोमर और नहीं करे तो मर…

 

इधर कपड़ों का रोना, उधर लंका बस गई…

gustakhi maaf

शहर बदल रहा है और अब इंदौर में भी बांबे सहित अन्य बड़े शहरों का कल्चर दिखाई देने लगा है। पान की दुकानों पर खड़ी लड़कियां सिगरेट फूंकते देखी जा सकती हैं तो दूसरी ओर अब शहर के बीयरबार में सुंदर महिलाएं आर्डर लेते हुए और शराब परोसते हुए भी देखी जा सकती हैं। धार रोड पर कांग्रेस नेता के एक बार पर यह सुविधा प्रारंभ हो गई है। इसके बाद वे दूसरे क्षेत्रों में, जहां उनके शराब ठेके हैं, वहां पर भी यह सुंदर कार्य शुरू कर देंगे। अब जिन्हें यह देखना हो, वे इन बार तक जा सकते हैं। इधर कुछ नेता लड़कियों के कपड़ों को लेकर बहस कर रहे हैं उधर शहर की संस्कृति ही महानगर की होती जा रही है। नई लंका अब दिखाई देने लगी है।
आहो! गौरव तूमी चिन्ता न को करा…

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भाजपा में इन दिनों वाद का असर दिखने लगा है। संघ की एक बड़ी लॉबी अब नगर अध्यक्ष गौरव रणदिवे के पक्ष में जा रही है और उससे यह दिखाई दे रहा है कि गौरव रणदिवे किसी भी एक क्षेत्र से विधानसभा के उम्मीदवार होंगे। वैसे उनकी इच्छा राऊ को लेकर है, वहीं वे क्षेत्र क्रमांक पांच और क्षेत्र एक पर भी अपनी नजरें जमाए हुए हैं। महाराष्ट्रीयन लॉबी जो संघ में सबसे ज्यादा मजबूत है, इसका लाभ उन्हें इस बार मिलेगा। वैसे भी पिछली बार ब्राह्मणवाद का फायदा महापौर के चुनाव में देखा जा चुका है, जहां हितानंद शर्मा से वी.डी. शर्मा, धनंजय शर्मा एक तरफ हो गए थे और इसी के चलते मुख्यमंत्री की पसंद निशांत खरे दौड़ से बाहर हो गए थे।
काम कराए तोमर और नहीं करे तो मर…

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भाजपा में इन दिनों नया राग और नया गाना शुरू हो गया है। गाना है- रूठे-रूठे भिया मनाऊं कैसे। इंदौर पहुंचे हैं केंद्रीय मंत्री नरेंद्रसिंह तोमर दो दिन पहले रूठों को मनाने का क्रम शुरू करने आए थे, पर लग रहा है कि इस बार रायता ज्यादा फैल गया है। कई नेता अपने मोबाइल पर घंटी बजने का इंतजार ही करते रहे और उन्हें दरकिनार कर दिया। मुट्ठीभर नेताओं को बुलाकर इस कथा को समाप्त कर दिया। दूसरी ओर पिछले कई वर्षों से उम्रदराज बताकर या उम्रदराज होने की कगार पर पहुंचने के बाद उन्हें पार्टी के नेताओं ने दरकिनार कर रखा था। आयोजनों तक में उन्हें पीले चावल नहीं दिए जा रहे थे। कुछ तो ऐसे हैं जिनका पूरा जीवन ही दरी उठाते हुए गुजर गया। नई सरकार में नाचे-कूदे बांदरी और खीर खा रहे हैं मदारी… जैसी हालत हो रही है। मांझा सूतकर बैठे नेताओं को पहले से ही नहीं बुलाने का निर्णय दो नेताओं ने ले रखा था। सबसे ज्यादा विरोध बैठक में उषा ठाकुर का दिखा। हालत यह है कि इस बार यदि उम्मीदवारी हुई तो कार्यकर्ता खुद ही घर छोड़ आएंगे। बैठक में नेतापुत्र और पुत्रियों को मिल रही रेवड़ी पर भी कुछ नेताओं ने जमकर भड़ास निकाली है। इस मामले में संगठन के एक नेता का कहना है कि आखिरी बार उपयोग किया जाना है।
यह बैठकें भड़ास निकालने के लिए ही होती है, इसके बाद सभी घर ही बैठ जाएंगे। इधर, समय का फेर भी देखो किसी जमाने में जब कृष्णमुरारी मोघे संगठन मंत्री हुआ करते थे, तब वे नरेंद्रसिंह तोमर के भाग्य का फैसला कर रहे थे। अब नरेंद्रसिंह तोमर का स्वागत मोघेजी कर रहे हैं। हालांकि स्वागत करने पहुंचे मोघेजी को नरेंद्रसिंह तोमर ने कहा – आप एकदम युवा लग रहे हो। इस पर मोघेजी ने कहा- पार्टी में बुजुर्गों का सम्मान बचा कहां है। अब जो भी हो, इस बार का चुनाव भाजपा को पुराने कार्यकर्ताओं सहित घर बैठाए गए उन तमाम नेताओं के बिना लड़ना होगा, जिनका अब भाजपा से मोह भंग हो चुका है। पिछले चार सालों से उम्रदराज हो चुके कार्यकर्ता और नेता इस कदर नकारे गए हैं कि इसकी कल्पना उन्होंने कभी नहीं की थी। अब देखना होगा कितने रूठे मानेंगे और कितने जो उधार बैठे हैं, वह अपना हिसाब चुकता करेंगे। शहर में संगठन के पद पर रह चुके ताकतवर नेता अब बोल रहे हैं कि वे केवल भाजपा के कार्यकर्ता हैं। कार्यकर्ता केवल वोट डालने जाएंगे।
-9826667063
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